काशीपुर : अस्पताल ने 26 घंटे में मरीज से वसूले 88 हजार, मुकदमा दर्ज

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आकाश गुप्ता
काशीपुर (महानाद) : पुलिस ने मुरादाबाद रोड स्थित एक अस्पताल द्वारा महज 26 घंटे के इलाज के 88 हजार रुपये वसूलने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

बता दें कि बृहस्पतिवार को सी- ए ब्लॉक, आनंद होम, काशीपुर निवासी देवेंद्र सिंह रावत पुत्र रणजीत सिंह रावत ने कोतवाली काशीपुर में तहरीरर देकर बताया कि उसकी माता मंजू रावत का स्वास्थ्य कोरोना के कारण अत्यंत खराब चल रहा था। जिनके इलाज के लिए वे मुरादाबाद रोड स्थित स्पर्श मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल पहुंचा तो वहां पर पहले उसेे इलाज के लिए बेड नहीं होना बताया गया। जब उसने अस्पताल प्रबंधन से प्रार्थना की तो डाॅक्टरों ने कहा कि आपको यदि अपनी माता का इलाज यहां करवाना है तो 55000 हजार रुपए प्रतिदिन देने होंगे अन्यथा अस्पताल में आपको बेड नहीं मिलेगा। देवेंद्र सिंह द्वारा रिक्वेस्ट करने पर 45000 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से उन्होंने उसकी माता को दिनांक 2 मई को अपने अस्पताल में भर्ती कर लिया।

देवेंद्र ने तहरीर में बताया कि रविवार का दिन होने के कारण उसके पास 20,000 रुपये अस्पताल में जमा कर दिये। और उसकी माता का 26 घंटे इलाज करने के बाद अस्पताल वालों ने उससे वह उसकेे छोटे भाई धनंजय रावत से दिनांक 3 मई को डिस्चार्ज करने के समय इलाज के एवज में उससे 88,000 हजार रुपए का बिल दिए जाने को कहा गया। जो बताए हुए बिल से बहुत अधिक था। देवेंद्र ने पुलिस से अस्पताल प्रशासन द्वारा उसके व उसके परिवार के साथ कालाबाजारी, धोखाधड़ी पर सरकारी नियमों की अनदेखी कर मनमाना पैसा वसूलने का आरोप लगाते हुए कानूनी कार्रवाई की मांग की। जिस पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कोतवाली काशीपुर में एफआईआर सं. 172/2021 धारा- 3 महामारी, 51(इ) आपदा प्रबंधन अधिनियम व 188, 384 आईपीसी बनाम- अज्ञात पंजीकृत कर जांच कार्यवाही शुरु कर दी।

जिसके बाद बृहस्पतिवार की दोपहर बाद कोरोना नोडल अधिकारी डॉ. अमरजीत साहनी, सीओ अक्षय प्रहलाद कोंडे, कोतवाल संजय पाठक, कुंडा थाना प्रभारी अरविंद चौधरी, आईटीआई थाना प्रभारी विद्या दत्त जोशी, कटोराताल चौकी प्रभारी ओमप्रकाश, बांसफोड़ान चौकी प्रभारी रविंद्र बिष्ट ने संयुक्त रुप से मुरादाबाद रोड स्थित अस्पताल पर छापामार कार्रवाई की। छापे के दौरान निजी अस्पतालों के रिसेप्शन पर मौजूद भर्ती रजिस्टरों को चैक किया तो अस्पताल संचालकों की हकीकत सामने आई। रजिस्टर में जहां सभी बैड फुल दर्शाये गए थे, तो वहीं जब कोविड वार्ड का भौतिक निरीक्षण किया तो वहां आधे से अधिक बैड खाली पड़े थे। आईसीयू वार्ड में भर्ती कोविड रोगियों को उनके परिजन खाना व अन्य सामान स्वयं पहुंचा रहे थे। जिससे संक्रमण और अधिक फैलने का खतरा बना हुआ है। जांच के दौरान टीम ने देखा सरकार द्वारा जो गाइड लाइन जारी की गई है उसका पालन नहीं किया जा रहा था, अस्पताल मनमर्जी से रकम वसूल रहे थे और जो सुविधाएं कोविड रोगी को दी जानी चाहिए थी वह नहीं दी जा रही थी।

कार्रवाई के पश्चात सीओ अक्षय प्रहलाद कोंडे ने बताया कि मुरादाबाद रोड स्थित स्पर्श अस्पताल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। वहां काफी अनियमितताएं पाई गई जिसके चलते उक्त अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की गई है। आगे भी कार्यवाही जारी रहेगी।

कोरोना नोडल अधिकारी अमरजीत सिंह साहनी ने बताया कि सरकार ने कोविड-19 के अंतर्गत मरीजों के इलाज की जो कीमतें निर्धारित की थीं स्थानीय निजी चिकित्सालय मानकों से अधिक कीमत कोविड के मरीजों से वसूल रहे थे। जिसकी शिकायत पर आज छापामार कार्यवाही की गई। अस्पताल में बेड खाली होने के बावजूद भी मरीजों से बेड भरे होने की बात कहकर उन्हें वापस लौटा दे रहे थे। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस चालक भी मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे मनमाने रेट वसूल कर रहे हैं उनके खिलाफ भी आगे कार्रवाई की जाएगी।

उधर, स्पर्श अस्पताल में निदेशक डाॅ. रजनीश शर्मा ने बताया कि उनके अस्पताल के कोविड वार्ड में 30 बेड हैं जिसमें से 22 बेड पर ही ऑक्सीजन सप्लाई की सुविधा उपलब्ध है। 8 बेडों पर आॅक्सीजन सप्लाई न होने के कारण हम उन बेडों पर कोविड मरीज को भर्ती नहीं कर सकते। निरीक्षण करने पहुंची टीम ने उन आठ खाली पड़े बेड को देखकर उक्त कार्रवाई की है। मरीज के तीमारदार की ओर से अस्पताल प्रबंधन पर 88 हजार रुपये लेने का आरोप गलत है।

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