यतीश शर्मा
पंचकूला (महानाद) : रंगमंच एक ऐसा शब्द जिसको कहीं भी जोड़ा जा सकता है। जिसकी परिभाषा किसी भी भाषा से मेल खा सकती है। रंगमंच वो है जिसमे हर क्षेत्र से जुड़ा व्यक्ति अपनी कला को जन-जन तक पहुँचा उनके व्यक्तित्व को एक नया रूप प्रदान करता है।
यह बात मशहूर लेखिका व अदाकारा रितु वर्मा सिंदवानी ने प्रेस को एक बयान जारी कर कही। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से दुनिया कोरोना वायरस का शिकार हुए बैठी है। जिसमें आम जनता से लेकर बड़े व्यापारी तक शामिल हैं। लेकिन वो कहते हैं कि जान है तो जहान है। पर हम ये भूल जाते हैं कि कलाकार की जान उनके चाहने वालो में बसी है। थियेटर की तालियां उनकी प्रतिभा का सम्मान है। पर पिछले एक वर्ष से कोरोना वायरस के कारण मानो उनकी कला को जंग लग गया हो। क्योंकि इस वायरस के कारण वो अपनी प्रतिभा को, अपने चाहने वालों तक नही पहुँचा पा रहे। जिसके कारण वो मायूस बैठे हैं।
रितु ने कहा कि भारत देश अपनी संस्कृति, भाईचारे और एकता को लेकर पूरी दुनिया में नम्बर एक पर है। दुख होता है कि भारत सरकार कोरोना वायरस को लेकर हर क्षेत्र के कार्य पर ध्यान दे रही है, पर रंगमंच को जिस प्रकार से अनदेखा किया जा रहा है वो एक गम्भीर विषय है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को चाहिये कि वो रंगमंच से जुड़े कलाकारों व उनके सहयोगियों पर भी ध्यान दें ताकि रंगमंच की दुनिया इस वायरस के तूफान से निकल किनारे लग सके ओर हर वो कलाकार व उसका सहयोगी सरकार की नीतियों व मदद से अपनी कला को अपने कलाप्रेमियों के बीच ले जाकर अपनी प्रतिभा व कला को जीवित रख सके।