काशीपुर : आरओबी निर्माण की 105 दिन की डेडलाइन हुई खत्म, देखें क्या बोले भाजपा नेता राम मेहरोत्रा

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आकाश गुप्ता
काशीपुर (महानाद) : बाजपुर रोड पर विगत 6 वर्षों से बन रहे रेल ओवर ब्रिज (आरओबी) के निर्माण के लिए डीएम द्वारा दिये गये 105 दिन की डेडलाइन भी खत्म हो गई। लेकिन पुल है कि बनता ही नहीं। अब भाजपा नेता राम मेहरोत्रा ने कहा है कि वे जनप्रतिनिधियों के साथ निर्माण कार्य का जायजा लेंगे और कोशिश करेंगे कि ठेकेदार पर दबाव बनाकर 2 जुलाई तक पुल का निर्माण पूरा करवा दें।

आपको बता दें कि 6 वर्षों से बन रहे इस रेल ओवर ब्रिज ने पांच से ज्यादा बार तय तारीख की सीमा पार करने का रिकार्ड बना डाला है। ठेकेदार ने कोर्ट, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इसके निर्माण की इतनी तारीख दी हैं कि अब ठेकेदार द्वारा दी गई कोई भी तारीख एक मजाक ही लगती है।

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विदित हो कि डीएम युगल किशोर पंत ने विगत 1 फरवरी को ठेकेदार को इस पुल का निर्माण पूरा करने के लिए 105 दिन का समय दिया था। लेकिन 105 दिन बीत जाने के बाद अब निर्माण कंपनी ने तीस जून का समय मांगा है। बता दें कि जब आरओबी का निर्माण शुरू हुआ था तो लगा था कि कुछ समय बाद शहर को जाम से मुक्ति मिलेगी और शहर का तेजी से विकास होगा। लेकिन लगभग 6 साल बीत जाने के बावजूद इसका निर्माण न हो सका। निर्माण अवधि के दो साल पूरे होने के बावजूद निर्माण न होने पर निर्माणदायी संस्था को पहला कार्य विस्तार दिया गया। फिर दूसरा, तीसरा और चौथे कार्य विस्तार के बाद भी निर्माण कार्य पूरा न होने पर जिलाधिकारी युगल किशोर पंत से 105 दिन का समय मांगा गया। लेकिन इस अवधि में भी काम पूरा नहीं हुआ तो अब तीस जून का समय दिया गया है।

लोगों का कहना है कि जब ठेकेदार को लगातार और समय दे दिया जाता है तो उसे क्या फर्क पड़ता है कि रेल ओवर ब्रिज कब बने। यदि नगर के विधायक/मेयर और क्षेत्रीय सांसद तथा स्थानीय प्रशासन द्वारा सख्ती बरती जाती तो इसका निर्माण न जाने कब का हो चुका होता।

वहीं जहां क्षेत्र के विधायक/मेयर व सांसद ने इसके निर्माण में अपनी रुचि नहीं दिखाई तो काशीपुर के विपक्षी राजनैतिक दलों की कमजोरी भी खुलकर जाहिर हो गई है। यदि विपक्ष ने मजबूती के साथ धरना/प्रदर्शन कर शासन पर दबाव बनाया होता तो शायद इसका निर्माण कब का हो जाता। वर्ष 2017 से बन रहे रेल ओवर ब्रिज के निर्माण के कारण इसके आसपास व्यापार करने वाले व्यापारियों की दुकानें चौपट हो चुकी हैं या फिर घाटे में चल रही हैं।

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