काशीपुर : साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या संपन्न

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विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : साहित्य दर्पण की मासिक काव्य संध्या का आयोजन भगवती प्रसाद कोटनाला के सौजन्य से उनके आवास वीरभूमि एनक्लेव, मानपुर रोड, काशीपुर में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता पीसी त्रिपाठी तथा संचालन शकुन सक्सेना राही अंजाना ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र का अनावरण माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन व सरस्वती वंदना भोला दत्त पांडे ने हारमोनियम के साथ स्वरचित मधुर स्वर में प्रस्तुत की।
कवियों ने अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।
कवि जितेंद्र कुमार कटियार-मां से पूछती है घर की बेटियां क्यों ब्याह रचाने की जल्दी है, रीत निभाऊंगी मां तेरी तरह से फिर क्यों दुल्हन बनाने की जल्दी है।
कवि शेष कुमार सितारा-गर्दनें कट गई थी वतन के लिए, गीत मेरे हैं उनको नमन के लिए।
कवि सुरेंद्र भारद्वाज- आज सुबह से रह-रह कर मुझे हिचकी आ रही है, क्या तुम्हें पता है ओ माधव मुझे राधे बुला रही है।
कवि सोमपाल सिंह प्रजापति- खाओ कसम वचन लोग खुद से अब ना बहकावे में आओगी, कुछ भी हो पर कुल को अपने बट्टा नहीं लगाओगी। कवि भगवती प्रसाद कोटनाला- उठो मेरे यौवन, तुम उठो, तुम्हीं अग्नि की ज्वाला, उठती लपटें हो, मातृभूमि की बलिवेदी से।
कवि कैलाश चंद्र यादव- जाने जां दूर से आवाज मुझे और न दे, बेइरादा ये साज़ मुझे और न दे।
कवि शकुन सक्सेना राही अंजाना- राम देखें सिया और सिया राम को, मान बैठी सिया थी पिया राम को।
कवियित्री अंशिका जैन- भारत ने रचे आयाम नये, पर आया कहीं तूफान है, जनता यहां गौरवान्वित है, पर विपक्षी वहां परेशान हैं।
कवियित्री डॉ. जया कोटनाला मणि- मैं धरा हूं। पृथ्वी, मही! मेरे भीतर का उबाल, बवाल, उफान, तूफान तुम्हें दिखता ही नहीं।

काव्य संध्या में पीसी त्रिपाठी, हरीश मणि, भोला दत्त पांडे, शोभा कोटनाला, निर्मला कोटनाला, तेजस्वी कोटनाला अनुज जैन, अभय कटियार आदि उपस्थित रहे।

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