काशीपुर : तहसीलदार और तहसीलकर्मियों के खिलाफ लामबंद हुए वकील, डीएम से की शिकायत

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नरेश खुराना
काशीपुर (महानाद) : तहसील में ढंग से काम न होने तथा हर काम के लिए सुविधा शुल्क मांगने के विरोध में आज तहसील के तमाम अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी उधम सिंह नगर को शिकायती पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है।

तहसील में कार्यरत तमात अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी उधम सिंह नगर को शिकायती पत्र भेजकर बताया कि प्रार्थीगण तहसील काशीपुर में अधिवक्तागण, दस्तावेज लेखक, अरायजनवीस इत्यादि के रूप में विधि व्यवसाय कर रहे हैं। प्रार्थीगण आपको तहसील काशीपुर के कर्मचारियों की कार्यशैली एवं अपने दायित्व के निवर्हन में बरत रहे लापरवाही से अवगत कराना चाहते हैं।

पत्र में बताया कि तहसील काशीपुर में कार्यरत लेखपाल, कानूनगो, नायब तहसीलदार एवं तहसीलदार लोक सेवक होते हुये अपने कर्तव्य एवं दायित्व का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। स्थायी, जाति, आय आदि प्रमाण पत्र पर समय से रिपोर्ट नहीं लगती है। दाखिल खारिज की पत्रावलियां 6 माह से अधिक बीत जाने के बावजूद भी निस्तारित नहीं की जा रही हैं। जो पत्रावलियां निस्तारित हो जाती हैं उनके अमलदरामद 2 महीने से पहले आर-6 में दर्ज नहीं किये जाते और अलमलदरामद जब खतौनी में दर्ज किये जाते है तो अधिकतर अमलदरामद में गलतियां पायी जाती हैं पुत्र का पुत्री, पुत्री का पत्नी तथा नाम इत्यादि में गलती पायी जाती है और दुरुस्त कराने के लिये पुनः प व क 23 की रिपार्ट कानूनगो के द्वारा मंगवायी जाती है, जिसमें लेखपाल के नीचे काम कर रहे प्राईवेट लड़के रुपयों की मांग करते हैं।

पत्र में बताया कि 143 की पत्रावलियां अलमारी में बंद पड़ी रहती हैं। जब तक पैसे नहीं दिये जाते तब तक पत्रावली आगे नहीं बढ़ती है। प्रमाण पत्रों में यदि पैसे दे दिये जाते है तो रिपोर्ट लग जाती है अन्यथा उसे निरस्त कर दिया जाता है। तहसील काशीपुर में आम जनता की कोई सुनवाई नहीं है। तहसील से जुड़े कार्याे के लिये बनाये गये हैल्प डेस्क का भी पालन नहीं हो रहा है। त्रुटि सुधार, खसरा खतौनी की नकल, नामान्तरण, हैसियत, आय, जाति, स्थायी प्रमाण पत्र के काम के लिये सरकारी फीस के अलावा सुविधा शुल्क की राशि भी तय है। जो लोग शुल्क दे देते हैं उनके काम तो आसानी से हो रहे हैं लेकिन जो सुविधा शुल्क नहीं देते हैं उनके काम तहसील के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा दरकिनार रखते हुये महीनों तक नहीं किये जाते हैं। साथ ही अधिकारी अगर किसी आदेश पर दस्तखत करता है तो उस आदेश पर मुहर लगवाने के लिये भी सुविधा शुल्क लिया जाता है। मरता क्या ना करता कि मजबूरी में सुविधा शुल्क देना पड़ता है।

अधिवक्ताओं ने पत्र में बताया कि सभी वादों को जरूरत से ज्यादा लम्बित रखा जाता है ताकि पीड़ित पक्ष मजबूरन सुविधा शुल्क दे। फिर भी शुल्क नहीं मिलता है तो काम लम्बित ही रहता है। इसके अतिरिक्त पटवारी, कानूनगो और तहसीलदार कार्यालयों में प्राईवेट लड़के नियुक्त किये गये हैं। सरकारी अभिलेखों से छेड़छाड़ करते हुये साफ दिखायी देते हैं। वहीं इन सरकारी कामों के बदले में सुविधा शुल्क की मांग करते हैं। कई लेखपाल और कर्मचारी तो ऐसे हैं जो दिन भर अपने कार्यालयों में उपस्थित हीं नहीं होते हैं। जब कार्यालय बंद होने का समय होता है तो उपस्थिति दर्ज कराने आ जाते हैं।

अधिवक्ताओं ने बताया कि तहसील काशीपुर में जितने भी कक्ष है उनको प्राईवेट लड़कों ने अय्याशी का अड्डा बना रखा है। शराब, गुटखा, सिगरेट इत्यादि नशीले पदार्थ का सेवन करते हैं।

उन्होंने बताया कि तहसील काशीपुर के कर्मचारियों की कार्यशैली से जनता और प्राईवेट कर्मचारी दोनों पीड़ित हैं। इसलिए तुरंत पत्र का संज्ञान लेकर कार्यवाही करने के आदेश पारित करें।

New Doc 2022-03-04 16.48.27 tehsil

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