हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसे अचला एकादशी भी कहते हैं। आज ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इस व्रत में सुबह तीर्थ स्नान और फिर भगवान विष्णु की पूजा करने की परंपरा है। साथ ही दिन में जरुरतमंद लोगों को अन्न या जलदान किया जाता है। अपरा एकादशी का व्रत करने से बीमारियां और परेशानियां दूर होने लगती हैं। इस एकादशी पर स्नान-दान से गोमेध और अश्वमेध यज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है।
महाभारत और पुराणों में बताया है महत्व
नारद और भविष्यपुराण के मुताबिक अपरा एकादशी का व्रत और पूजन करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती है। महाभारत में बताया गया है कि पांडवों ने अपरा एकादशी की महिमा भगवान श्रीकृष्ण के मुख से सुनी थी। श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में इस व्रत को करके महाभारत युद्ध में विजय हासिल की थी। इस एकादशी व्रत को करने से कई यज्ञों का फल भी मिलता है। इस तिथि पर भगवान त्रिविक्रम यानी वामन देवता की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है।
आरोग्य देने वाली अपरा एकादशी अपरा एकादशी का व्रत ज्येष्ठ महीने के विशेष फल देने वाले व्रतों में एक माना गया है। इस व्रत से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। इस दिन नियम और विधि से भगवान की स्तुति करने से सुख-समृद्धि मिलती है और हर तरह के संकटों से भी मुक्ति मिलती है। इस व्रत के प्रभाव से दुश्मनों पर जीत मिलती है। साथ ही आरोग्य भी मिलता है।