रामनगर : सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर किसी भी पीर बाबा का नाम देकर धड़ल्ले से बनाए जा रहे हैं मजार

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सलीम अहमद
रामनगर (महानाद) : रामनगर में सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर किसी भी पीर बाबा का नाम देकर धड़ल्ले से मजार बनाए जा रहे हैं।

आपको बता दें कि उत्तराखंड सरकार द्वारा अवैध रूप से अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है। इसी के मद्देनजर जब अवैध रूप से कब्जा कर मजारों के विरुद्ध कार्रवाई की गई तो मजारों में मानव अवशेष नहीं मिले, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी भी पीर बाबा का नाम देकर मजार बना दिए जाते हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में करीब 2,000 से ज्यादा मजार हैं। यह मजारें उत्तराखंड के करीब-करीब सभी जिलों में हैं। ज्यादातर मजारें किसी पीर बाबा का नाम देकर अवैध रूप से अतिक्रमण कर बनाई गई हैं। यदि रामनगर की बात की जाए तो रामनगर में भी कई मजारें ऐसी हैं जो अवैध रूप से बनाई गई हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह मजार बनाई कैसे जाती है? सबसे पहले जहां मजार बनानी है, उस जगह को चिन्हित किया जाता है तथा आसपास के पेड़ों पर हरा कपड़ा बांध दिया जाता है तथा चूना डाला जाता है फिर उसके बाद अगरबत्ती जलानी शुरू की जाती हैं और फिर धीरे-धीरे झोपड़ी बनाकर रहना शुरू कर देते हैं और फिर पक्का निर्माण कर मजार बना दिया जाता हैै तथा किसी पीर बाबा का नाम देकर स्थानीय लोगों को अवगत कराया जाता है और फिर अवैध रूप से बनाए गए मजार पर उर्स कराना शुरू कर हजारों की भीड़ एकत्र की जाती है तथा लोगों को गुमराह कर इन अवैध मजारों के माध्यम से मोटी कमाई की जाती है।

आपको अवगत करा दें कि साल में एक बार होली के ही दिन अलग-अलग राज्यों से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत क्षेत्र में किसी पीर बाबा की मजार होने का दावा कर वहां हजारों की भीड़ जुदाई जाती थी जिसके कारण कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती थी। स्थानीय लोगों के विरोध के चलते प्रशासन ने वहां आने-जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। इसी तरह जंगलों में कई और अवैध रूप से मजारें बनी हुई हैं। संबंधित विभागों द्वारा अवैध रूप से अतिक्रमण कर बनाए जा रहे मजारों पर कार्रवाई करनी चाहिए। क्योंकि सरकारी जमीनों को अवैध रूप से कब्जा कर बनाए गए मजारों पर इबादत करोगे तो इबादत कबूल ही नहीं होगी।

वहीं दूसरी ओर सरकारी जमीनों पर धार्मिक स्थल बनाया जाता है तो उसे लोग अतिक्रमण नहीं समझते और ना ही संबंधित विभागीय अधिकारी मामला धार्मिक होने के चलते कोई कार्यवाही नहीं करते हैं। अब उत्तराखंड सरकार द्वारा अवैध रूप से बने धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई होने के चलते दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

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