लखनऊ (महानाद) : उ.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का 89 साल की उम्र में आज शनिवार की शाम निधन हो गया। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। पहले उन्हें इलाज हेतु लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन विगत 4 जुलाई को उनकी हालत फिर से बिगड़ी तो उन्हें पीजीआई में शिफ्ट किया गया, जहां शनिवार की शाम उन्होंने अंतिम सांस ली। इस बीच मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित कई नेताओं ने समय-समय पर पीजीआई जाकर उनका हालचाल जाना था। कल्याण सिंह के निधन की खबर मिलते ही भाजपा सहित तमाम राजनीतिक दलों में शोक की लहर दौड़ गई है।
बता दें कि 90 के दशक में भाजपा के राममंदिर आंदोलन को कल्याण सिंह ने अलग पहचान दी थी। अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए उन्होंने उ.प्र. के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी सन् 1932 को अलीगढ़ की अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। बचपन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में कड़ी मेहनत कर उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद अध्यापक की नौकरी के साथ-साथ वे आरएसएस से जुड़ कर राजनीति के गुण भी सीखते रहे। कल्याण सिंह गांव-गांव जाकर लोगों कों जागरूक करने का कार्य करते थे।
कल्याण सिंह 1967 में अतरौली से चुनाव जीतकर पहली बार उत्तर प्रदेश की विधानसभा पहुंचे थे। वे 1967 से लगातार 1980 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। इस बीच देश में आपातकाल के समय 1975-76 में 21 महीने जेल में रहे। कल्याण सिंह को अलीगढ़ तथा बनारस की जेलों में रखा गया। आपातकाल समाप्त होने के बाद जब 1977 में रामनरेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। सन् 1980 में वे विधानसभा का चुनाव हार गये। भाजपा के गठन के बाद कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश का संगठन महामंत्री बनाया गया।
भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के 2 बार मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे। एक दौर में कल्याण सिंह राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे। उनकी पहचान हिंदुत्ववादी और प्रखर वक्ता के तौर पर होती थी।