‘बिजनिश उत्तरायणी’ द्वारा आयोजित प्रथम नेशनल लीडर्स सम्मिट, ‘मंथन-2021’ सफलता पूर्वक सम्पन्न

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सी एम पपनैं

नई दिल्ली (महानाद) : कन्स्टीट्युशन क्लब मे, उत्तराखंड के प्रतिष्ठित उद्यमियो व व्यवसायियो द्वारा गठित ‘बिजनिश उत्तरायणी’ द्वारा आयोजित प्रथम नेशनल लीडर्स सम्मिट ‘मंथन-2021’ उत्तराखंड व दिल्ली एनसीआर के दर्जनों उद्यमियों व व्यवसायियो की उपस्थिति मे सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ।

आयोजित ‘मंथन-2021’ का विधिवत शुभारंभ डी एस भंडारी (जनरल मैनेजर, एचआर, ओएनजीसी), पुष्पेश त्रिपाठी, (पूर्व विधायक द्वाराहाट), इंद्र सिंह बिष्ट (वित्त प्रमुख, ओजिलभी डाट कांम), मनोज चंदोला (फिल्म निर्देक) तथा सी एम पपनैं (सैक्रेट्री जनरल एनएफएनई) द्वारा, दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

‘बिजनिश उत्तरायणी’ संस्थापक सदस्य नीरज बवाडी द्वारा सभागार मे उपस्थित सभी उद्यमियों, व्यवसायियो व पत्रकारों का अभिनंदन कर, अवगत कराया गया, मध्य हिमालय उत्तराखंड के पर्वतीय भू-भाग मे उद्यम विकास व व्यावसायिक संवर्धन हेतु 2007-2008 मे स्थापित ‘बिजनिश उत्तरायणी’ (हिमालयन रिसोरसेश एन्हासमैंट सोसाइटी) उत्तराखंड के प्रबुद्ध प्रवासी जनो द्वारा गठित एक प्रतिबद्ध पंजीकृत संस्था है। सोसाइटी का, व्यवसायिक सरोकारो के विकास हेतु मिलकर काम करने। साथ जुड़, उत्तराखंड मे निवेश कर, संयुक्त उपक्रम स्थापित कर, नए आयाम स्थापित करने तथा रोजगार से संसाधनों के संवर्धन एवम पलायन के विरुद्ध एक सशक्त अभियान, जिसमे राष्ट्रीय सहभागिता का सामूहिक प्रयास, मुख्य उद्देश्य रहा है।

सोसाइटी से जुडे, प्रबुद्ध सदस्यों तथा उत्तराखंड की प्रवासी संस्थाओ के सहयोग से हिमालयी उद्यम के संवर्धन व उत्थान हेतु सोसाइटी द्वारा विगत वर्षों मे अनेको बैठके आयोजित की गई। 18 फरवरी 2019 को विश्व युवक केंद्र चाणक्यपुरी, नई दिल्ली मे। 12 अक्टूबर 2019 को बंगलुरु मे। 23 नवम्बर को फरीदाबाद मे तथा 24 व 25 दिसंबर 2019 को उत्तराखंड के मानिला (अल्मोडा) मे आयोजित की गई थी।

अवगत कराया गया, उक्त बैठके ‘हिमालयन हाइट्स विजनेश उत्तरायणी 2019’ नाम से, उत्तराखंड के प्रबुद्ध प्रवासी उद्यमियों व विशेषज्ञयो के सानिध्य मे, उत्तराखंड के उघमिता विकास से जुडे अनेकों ज्वलंत मुद्दों पर हुई सार्थक चर्चा के साथ सम्पन्न हुई थी। सोसाइटी से जुड़े प्रबुद्ध उत्तराखंडियों मे विख्यात विदेशी कम्पनियो तथा भारत सरकार मे उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों के साथ-साथ समाज से जुड़े सु-विख्यात समाजसेवी, ख्यातिप्राप्त रंगकर्मी, साहित्यकार तथा पत्रकारो के जुड़ने से सोसाइटी को अत्यधिक बल मिला है, साथ ही सोसाइटी के महत्व व कार्यरूप को बृहद फलक पर पहचाना जा सका है। 2020 कोरोना विषाणु संक्रमण की वैश्विक महामारी के कारण, सोसाइटी द्वारा किसी भी बैठक का आयोजन, सरकार के सख्त दिशानिर्देशो के कारण, आयोजित नही किए जा सके थे।

23 जनवरी की सांय, कन्स्टीट्युशन क्लब, ‘मंथन-2021’ मे उपस्थित उद्यमियों, व्यवसायियो, उच्च अधिकारियों, समाज सेवियो व पत्रकारों द्वारा, स्वयं का परिचय, अपने जुडे व्यवसाय के साथ दिया गया। उद्यम विकास के क्षेत्र मे, प्रमुख रूप से जुडे प्रबुद्ध जनो द्वारा, सम्बोधन से पूर्व, कोरोना संकट के दोरान, विगत महीनों मे, संस्था से लम्बे समय से जुडे रहे, प्रेरक सदस्यो, दिवंगत लोक गायक, हीरा सिंह राणा, निधन 13 जून, 2020, पद्ममभूषण प्रो.के एस बल्दिया, निधन 29 सितंबर 2020, कमल सिंह बिष्ट, निधन माह अक्टुबर 2020, सुरेन्द्र सिंह जीना, निधन 12 नवम्बर 2020 तथा दीवान सिंह नयाल, निधन 14 नवम्बर 2020 के आकस्मिक निधन पर दुःख व्यक्त कर, मृत आत्माओ की शांति हेतु, दो मिनट का मौन रख, श्रद्धान्जलि अर्पित की गई।

प्रथम नेशनल लीडर्स सम्मिट, ‘मंथन-2021’ को सम्बोधित करने वाले, प्रमुख वक्ताओ मे, डी एस भंडारी, कुल भूषण भट्ट, जगदीश भट्ट, संजय उनियाल, नरेंद्र एस मेहता, द्वारका सेमवाल, पुष्पेश त्रिपाठी, गोपाल उनियाल, सुनील कोठारी, संजय सत्यवली, मानवेद्र रावत, संजय शर्मा दरमोडा, इंदर सिंह बिष्ट, विनोद बछेती व नीरज बवाडी मुख्य थे। वक्ताओ द्वारा, उद्यम विकास हेतु, संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यो व उत्तराखंड के जनमानस व राज्य की आर्थिक उन्नति के लिए, प्रबुद्ध व्यवसायियो व उद्यमियों द्वारा, किए जा रहे प्रयासों, मिल रही सफलता व उद्यम विकास के क्षेत्र मे, अन्य जनसरोकारो से जुडी प्रभावी योजनाओ पर, मुखर होकर, विचार व्यक्त किए गए।

वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, ‘मंथन 2021’ कई माइनो मे महत्वपूर्ण है। कोरोना संकट मे बहुत बडे स्तर पर, व्यवसाय से लेकर रोजगार तक, चुनौतिया खडी हुई हैं। अब मंथन यह करना है, उत्तराखंड के टूरिज्म को कैसे बढ़ाया जाय? लोगों को रोजगार कैसे दिया जाय? जिन लोगों ने कोरोना संकट मे नौकरी छोड़, गांव वापसी की है, उन्हे कैसे रोजगार दिया जाय? क्या हम कुछ नया कर सकते हैं? नया सोच सकते हैं? बिजनिश उत्तरायणी द्वारा उत्तराखंड के उद्यमियों व व्यवसायियों को इकठ्ठा कर, सबको एक साथ, एक मंच पर लाकर, उक्त चुनौतियो पर मंथन करने का जरिया बन, महत्वपूर्ण उद्देश्य की पूर्ति करने का, कार्य किया है।

वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, उत्तराखंड के गांव खाली क्यों हो रहे हैं? दिल्ली प्रवास में हम प्रदूषित जीवन क्यो, जी रहे हैं? पल-पल पर समस्याओं को क्यो झेल रहे हैं? वक्ताओ द्वारा अवगत कराया गया, उन्होंने कोरोना संकट मे, उत्तराखंड बचाओ अभियान चलाया। स्वरोजगार पर सोचा। चुनौतियों से निपटने के लिए, लाकडाउन मे लोगों को इकठ्ठा किया। ‘उत्तराखंड जन विकास सहकारी समिति लिमिटेड’ संस्था बनाई। आज जिसकी सदस्य संख्या पाच हजार हो गई है। सभी मिलजुल कर कार्य कर रहे हैं। लोगों को ट्रेनिग दे रहे हैं। स्वरोजगार के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उत्तराखंड के बहुत से व्यवसायी, समिति से जुडे हुए हैं। उक्त समिति के माध्यम, सबसे कहा जाता है, अपना स्वरोजगार स्थापित करे, समिति आपकी मदद करेगी। स्कारात्मक रिजल्ट मिल रहा है। अन्य और सभी समितियां व संस्थाऐ मिलकर काम करेगी, तो बडी सफलता हासिल की जा सकती है।

व्यवसायियो द्वारा व्यक्त किया गया, हम खेती-किसानी मे किसी का मुकाबला नही कर सकते। उत्तराखंड के व्यवसायियो को
अन्य क्षेत्रों मे काम कर, अनुभव प्राप्त करना होगा। हम मंथन करे, कि कैसे, किसी भी व्यवसाय से जुड़ा व्यक्ति, किसी भी अन्य व्यवसाय से जुडे व्यक्ति की मदद, नेटवर्क बना कर, कर सकता है।

मंथन कर विचार व्यक्त किए गए, हमारे उद्योग, पानी, जंगल, पर्यटन, उत्तराखंड का मुख्य उद्योग है। इनका कैसे सदुपयोग किया जाय, यह महत्वपूर्ण है। यह सब उत्तराखंड की अर्थ व्यवस्था का बड़ा जरिया बन सकता है, जिस पर कभी मंथन नही किया गया। समय के साथ हमारी सम्पत्तिया खत्म हो रही हैं। आज मंथन की जरूरत है, कैसे हम सब, जो यहां इकठ्ठा हुए व्यवसायी हैं, उत्तराखंड के देश भर मे फैले प्रबुद्ध व्यवसायियों को संदेश पहुचा कर, उन सब को इकठ्ठा कर, विश्वास जगा, एक टीम बना, उत्तराखंड मे स्वरोजगार की दिशा मे लोगों को जागरूक कर, राज्य व राज्य के जनमानस के सरोकारों व आर्थिक उन्नति के लिए, बडे स्तर पर, कार्य करे।

व्यक्त किया गया, कोरोना संकट मे अर्थव्यवस्था की धूरी हमारे गांव बने। कोरोना ने सबको सोचने का अवसर दिया। गांव अर्थव्यवस्था व व्यवसाय दोनों की धूरी बना। गांव का असल मतलब, प्रवासियो की समझ मे, कोरोना संकट मे ही आया। जरूरत है, सबक व अनुभव लेकर, उत्तराखंड का प्रत्येक प्रवासी उद्यमी व व्यवसायी अपनी नैतिक जिम्मेवारी समझ, अपने गांव-देहात को समृद्धि की राह की ओर अग्रसरित करने का प्रयास करे।

खेती-किसानी से जुडे व्यवसायियो द्वारा व्यक्त किया गया, जंगली जानवरो की समस्या व आतंक से, उत्तराखंड जूझ रहा है। जन हानि हो रही है। कृषि कार्यो मे लोग रुचि कम ले रहे हैं। मानव व वन्यजीवो मे द्वंद चल रहा है। खेती का रकवा घटा है। करंट लगाओ, फैनशिंग लगाओ कहा जा रहा है। अवगत कराया गया, जंगली जानवरो के भरण-पोषण, जैव विविधता, पर्यावरण संरक्षण हेतु, 2019 मे ‘बीज बम’ अभियान ग्रामीणों के बीच आपसी सहयोग व समन्वय बना, हिमालय पर्यावरण जडी-बूटी एग्रो संस्थान जाडी, उत्तरकाशी द्वारा, शुरू किया गया है। किसी भी प्रकार के बीज को सुरक्षित रख, मिट्टी, गोबर मे मिलाकर, ‘बीज बम’ बना, उन्हे जंगलो मे बो कर, जंगली जानवरो के लिए ‘कल के लिए जन अभियान’ के तहत, चारे का इंतजाम किया जा रहा है। जंगलो मे, दानियों द्वारा दिए गए, दान से, पोखर बना, जंगली जानवरो के पीने व पानी को रिचार्ज करने की व्यवस्था की जा रही है। गढ़ बाजार बना कर, स्थानीय उत्पादों को बेचने की, व्यवस्था की जा रही है। गांड़-गधेरो मे दान मे प्राप्त राशि से, पुल बनाकर, जटिल पहाडी रास्तो को, सुगम बनाया जा रहा है। कार्यशालाओ का निर्माण व स्थापना कर, ग्रामीणों को ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे वे स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ा सके।

व्यवसायियो द्वारा व्यक्त किया गया, सफलता के लिए समुद्र की गहराई व पहाड जैसी ऊचाई चाहिए। उतराखंड मे उत्पादन हो रहा है। विचारणीय सवाल है, क्या उत्तराखंड मे निवेश हो रहा है? समय की मांग है, हम कही भी कुछ करे, निवेश उत्तराखंड मे करे, तभी पलायन रुकेगा। उत्पादक जो भी कमाए, उसका फायदा उत्तराखंड को जाए। मंथन हमें अपने लिए करना है। उत्तराखंड मे किसी चीज की कमी नहीं है, कमी है तो इच्छया की। सबको फौज मे जाना है।
पहाड़ के दो प्रतिशत लोग ही, व्यवसाय की ओर रुख कर रहे हैं। भू-मंडलीकरण के बढते दोर व रोजगार की दशा व दिशा को देख, नोनिहालो को जीवन के अन्य उपायों व क्षेत्रों से भी अवगत कराया जाना चाहिए। उत्तराखंड के बच्चे मेधावी हैं। उनको व्यवसायिक शिक्षा का ज्ञान करवाया जाय। उत्तराखंड के नोनिहालो को, वह शिक्षा दी जाय, जिससे वह जीवन में, निरंतर तरक्की कर अपने कुल-कुटुंब और अपने क्षेत्र का उत्थान कर सके। इस प्रकार के मंथन से, रिजल्ट निकलता है। इस तरह के आयोजनों की बहुत जरूरत है।

व्यवसायियो द्वारा व्यक्त किया गया, प्रवास मे हमें मंथन करना होगा। मैंने अपने गांव के लिए क्या किया है? हमें अपने संस्कार, परंपराओ, बोली-भाषा को जिंदा रहना होगा। यह हमारी पहचान है। व्यापार, व्यवसाय मे रिश्क लेना होगा। स्थानीय उत्पादों को महत्व देना होगा। व्यापार का मतलब है, विश्वास।

व्यक्त किया गया, जो दिखता है, वही बिकता है। पैकैजिग का महत्त है। उत्तराखंड के लिए क्या किया जाय, यह सोच सच्चे उत्तराखंडी की पहचान है। युवाओ मे पनप रही, नशे की आदतो से, छुटकारा दिलवाना होगा। उत्तराखंड के पहाडी क्षेत्र का विकास नितांत जरूरी है, विकास मे युवाओ की भागीदारी, बडी भूमिका निभा सकती है। उत्तराखंड के प्रवासियो ने प्रवास मे अपनी निष्ठा, ईमानदारी व मेहनत के बल पर, बहुत विकास किया है।

समारोह मे उत्तराखंड के प्रबुद्ध व्यवसायियो द्वारा उत्पादित अनेको उत्पादों का लोकार्पण किया गया। उत्पादकों द्वारा, उत्पादित उत्पादों की गुणवत्ता व महत्व के बारे, अवगत कराया गया। उत्तराखंड के सु-परिचित उद्यमी के सी पांडे द्वारा उत्तराखंड के चीड़ बनो को आग व भू-स्खलन से बचाने, पर्यावरण की रक्षा, स्थानीय लोगों हेतु रोजगार व जनचेतना की मुहीम पर निर्मित डाक्यूमैंट्री फिल्म, संदेश स्वरूप, प्रदर्षित की गई।

उत्तराखंड की लोक संस्कृति की समृद्धि व संरक्षण, फिल्म निर्माण इत्यादि पर भी, वक्ताओ द्वारा विचार व्यक्त किए गए। उपस्थित प्रबुद्ध व्यवसायियो, समाज सेवियो व पत्रकारों को ‘बिजनिश उत्तरायणी’ द्वारा सम्मानित किया गया। ‘मंथन-2021’ सम्मेलन का मंच संचालन ज्योति संघ द्वारा बखूबी किया गया।

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