काशीपुर : जीएसटी के विरोध में उतरा प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल, अधिकारियों पर लगाया उत्पीड़न का आरोप

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आकाश गुप्ता
काशीपुर (महानाद) : केन्द्र सरकार द्वारा घोषित जीएसटी के बाद से व्यापारियों ने सर्वे के नाम पर व्यापारियों के उत्पीड़न के खिलाफ प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के आह्वान पर पूरे प्रदेश में विरोध शुरू कर दिया है।

इस क्रम में आज यहाँ एक होटल में प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के पदाधिकारियों ने एक पत्रकार वार्ता में आगामी आंदोलन की रणनीति का खुलासा किया। प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के कुमाऊं प्रभारी अश्विनी छाबडा ने कहा कि कि पांच प्रतिशत खाने पीने की वस्तुओं पर टैक्स लगाया गया है, उसका पुरजोर विरोध किया जायेगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी अधिकारी तमाम जगह पर व्यापारियों का उत्पीड़न जीएसटी के नाम पर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा कर देने वाले व्यापारी पर दिन प्रतिदिन दबाव बनाकर उससे ज्यादा टैक्स वसूलने की नीति बंद होनी चाहिए। किसी भी नगर क्षेत्र में ऐसे सर्वे / छापे डालने आए अधिकारियों का घेराव किया जाना सुनिश्चित किया गया है। इसके लिए नगर व जिला इकाइयों को कहा गया है कि वे आपसी सामंजस्य बनकर अपने सहयोगी संगठनों के माध्यम से सर्वे/छापे का करेंगे।

व्यापारियों ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष नवीन वर्मा के निर्देश पर विरोध की इस मुहिम को प्रदेश महामंत्री द्वारा संचालित किया जाएगा। इसी क्रम में आज प्रदेश संगठन की सभी जिला इकाइयों/महानगर इकाइयों द्वारा अपने-अपने जिला / महानगर मुख्यालयों पर प्रेस वार्ता कर जीएसटी सर्वे का विरोध करने की नीति को व्यापक रूप से अपने जिले प्रचारित किया जा रहा है।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना के बाद से लगातार व्यापारी अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्रियों से मिलकर अपने प्रतिवेदन देता रहा है, लेकिन आज तक व्यापारी समाज की एक भी मांग प्रदेश व केन्द्र सरकार ने पूरी नहीं की है, उल्टा अब व्यापारियों को धमका कर टैक्स बढ़ाने की मुहिम चला दी है। व्यापारियों का आरोप है कि जीएसटी काउंसिल द्वारा जीएसटी का सरलीकरण करने के बजाए और पेचीदा बना दिया गया है, वर्तमान में 18 जुलाई से खाद्यान्नों पर 5 प्रतिशत का टैक्स लगा दिया गया है और अन्य कई वस्तु पर टैक्स रेट बढ़ाए गए हैं।

संगठन की सभी 381 इकाइयां इसका पुरजोर विरोध करेंगी। जीएसटी सर्वे छापे पूरी तरह बंद नहीं हुए तो हम सरकार के विरुद्ध प्रदेश व्यापी आन्दोलन करेंगे और फिर भी सरकार नहीं मानी तो हमें प्रदेश बंद की घोषणा करनी पड़ सकती है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाले हमारे देश में एफडीआई और ऑनलाइन बिजनेस को लागू कर देने से हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, साथ ही लघु उद्योग, गृह उद्योग और कुटीर उद्योग लगभग समाप्ति की ओर है। सरकार ने इन उद्योगों को इस तरह समाप्त करने से पहले यह सोच लेना चाहिए था कि जो लाखों लोग बेरोजगार होंगे जिनका व्यवसाय चल जाएगा? उन्हें किस तरह समायोजित किया जाएगा? जीएसटी के जटिल प्रावधानों के कारण हमारा व्यापारी समाज बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहा है। जीएसटी काउंसिल द्वारा हर बार वस्तुओं की टैक्स दरों में वृद्धि कर देने से निरंतर महंगाई बढ़ती जा रही है। रुपए का डॉलर के मुकाबले अवमूल्यन हमें श्रीलंका की परिस्थितियों की ओर देखने को मजबूर कर रहा है।

व्यापारियों ने कहा कि जब 2017 में जीएसटी लागू किया गया था, उस समय तत्कालीन वित्त मंत्री ने कहा था कि खाद्यान्न में किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन आज खाद्यान्न को भी टैक्स की परिधि में लाया जा रहा है। सरकार छोटी से छोटी वस्तुओं को भी टैक्स के दायरे में लाना चाह रही है, जैसे होटलों में ही देख लीजिए- सस्ते से सस्ता होटल जिसमें गरीब इंसान रहता था 100/200 वाले जो कमरे हैं, उन पर भी 12 प्रतिशत टैक्स लगा दिया गया है। इससे सरकार की मंशा स्पष्ट दिखाई दे रही है कि सरकार अपने सारे खर्चे टैक्स ही निकालना चाह रही है, जबकि सरकार को अपने खर्चों में लगाम लगानी चाहिए थी।

इस मौके पर जिलाध्यक्ष सत्यवान गर्ग, नगर अध्यक्ष प्रभात साहनी, मीडिया प्रभारी दिलप्रीत सेठी, विक्की सौदा, मुशर्रफ हुसैन, अमन बाली, मनीष सपरा, जतिन नरूला आदि व्यापार मंडल पदाधिकारी मौजूद थे।