नई दिल्ली/मुंबई/गुजरात (महानाद): सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ गुजरात दंगों को लेकर दाखिल की गई अर्जी खारिज करने और उनके खिलाफ साजिश रचने वालों की जांच करने के निर्देश दने के बाद गुजरात एटीएस टीम एक्शन में आ गई है। गुजरात एटीएस की टीम मुंबई स्थित तीस्ता सीतलवाड़ के आवास पर पहुंची और उन्हें हिरासत में लेकर शांताक्रूज थाने पहुंची जहां से उन्हें गुजरात लाने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है।
बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की अपील को खारिज करते हुए कहा था कि अपील में दम नहीं है। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने गुजरात दंगों के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष जांच दल (एसआईटी) की 2012 की क्लीन चिट को बरकरार रखते हुए कहा कि मामले में सह-याचिकाकर्ता सीतलवाड़ ने जकिया जाफरी की भावनाओं का शोषण किया।
दरअसल, इस याचिका में गुजरात दंगों के पीछे एक ‘बड़े स्तर पर साजिश’ की जांच की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य अधिकारियों के खिलाफ सभी आरोपों का अध्ययन किया। सीबीआई के पूर्व निदेशक आरके राघवन की अगुवाई वाली एसआईटी की जांच रिपोर्ट का भी अध्ययन किया और इसके बाद अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि इस बात के कोई सबूत नही हैं कि 2002 में दंगे भड़काने के लिए ‘बड़े स्तर पर’ कोई साजिश रची गई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘संक्षेप में हमारा विचार है कि एसआईटी की इस जांच में कोई दोष नहीं पाया जा सकता। इस मामले को बंद करने से जुड़ी 8 फरवरी 2012 की एसआईटी रिपोर्ट पूरी तरह से तथ्यों और मजबूत तर्कों पर आधारित है। साथ ही उस अवधि में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ आपराधिक साजिश (बड़े स्तर पर) के आरोपों को खारिज करने के लिए यह रिपोर्ट हर तरह से पर्याप्त है।
सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी और अन्य लोगों पर आरोप लगाकर इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाने और झूठी गवाही देने के लिए दो पूर्व आईपीएस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने यह सुझाव दिया कि पिछले 16 साल से इस मुद्दे को गरमाए रखने के पीछे जो लोग शामिल हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। कोर्ट ने इन लोगों को ‘असंतुष्ट’ करार दिया।
बड़े स्तर पर जांच कराने की ज़किया जाफरी की याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरी जांच की और उस रिपोर्ट पर सवाल उठाना न्याय का मजाक है। यह अदालत की बुद्धिमत्ता पर संदेह करने जैसा होगा।
मामला उस घटना से संबंधित है जिसे गुलबर्ग सोसाइटी की घटना के रूप में जाना जाता है, जिसमें एक ट्रेन के डिब्बे में आग लगने से हुए दंगों में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 68 लोग मारे गए थे, जिसमें फरवरी 2002 में गोधरा में 59 तीर्थयात्री मारे गए थे। एक दशक बाद एसआईटी रिपोर्ट ने गुलबर्ग सोसाइटी मामले में ‘अभियोजन योग्य सबूत नहीं’ का हवाला देते हुए नरेंद्र मोदी को दोषमुक्त कर दिया।
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आरोप लगाया था कि तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा संचालित एनजीओ ने गुजरात दंगों के बारे में आधारहीन जानकारी दी थी। शाह ने कहा कि मैंने फैसले को बहुत ध्यान से पढ़ा है। फैसले में स्पष्ट रूप से तीस्ता सीतलवाड़ के नाम का उल्लेख है। उनके द्वारा चलाए जा रहे एनजीओ ने पुलिस को दंगों के बारे में आधारहीन जानकारी दी थी।
वहीं, पूर्व डीजीपी आरबी कुमार को भी हिरासत में लिये जाने की खबर मिल रही है।