देहरादून (महानाद) : प्रदेश में खनन में लगे वाहनों में जीपीएस (ग्लोबल पोजिस्निंग सिस्टम) लगाना अनिवार्य हो गया है। सरकार ने इसके लिए 18 अप्रैल तक की समय-सीमा तय कर दी है।
बता दें कि प्रदेश के सभी जिलों में इस समय खनन/चुगान का कार्य जोरों पर है। वहीं, नदियों में अवैध खनन की शिकायतें भी लगातार आती रहती हैं। इस पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने खनन कार्यों से जुड़े सभी वाहनों में जीपीएस लगाना अनिवार्य कर दिया है।
बता दें कि उत्तराखंड में अवैध खनन की रोकथाम सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। नदियों में खनन के लिए निर्धारित क्षेत्र से बाहर जाकर बड़े पैमाने पर बेतरतीब ढंग से खनन करना, एक ही रवन्ने से कई-कई चक्कर लगाकर उपखनिज का ढुलान करना आम बात हो गई है। इससे जहां सरकार को राजस्व की हानि होती है, वहीं नदियों में खनन के लिए किए गए बड़े-बड़े गड्ढे और अवैज्ञानिक ढंग से हुआ खनन बाढ़ के खतरे का कारणभी बन रहा है।
इसी को देखते हुए सरकारने वर्ष 2019 में खनन विभाग को ऐसे सभी वाहनों में जीपीएस लगाने के निर्देश दिए थे जिनका उपयोग खनन सामग्री के ढुलान में किया जा रहा है। वाहनों में जीपीएस लगने से सरकार को पता चल जायेगा कि वाहन कब खनन लाट से बाहर निकल कर रहे हैं, कहां जा रहे हैं।
इसीलिए अब शासन ने सभी व्यावसायिक वाहनों में अनिवार्य रूप से जीपीएस लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए सरकार ने 18 अप्रैल का समय तय किया गया है। शासन के स्पष्ट निर्देश है कि जिन वाहनों पर जीपीएस नहीं लगा होगा, उन्हें खनन कार्य नहीं करने दिया जाएगा।