उत्तराखंड में बच्चों की परीक्षा के रिजल्ट के बाद अब शिक्षकों की परीक्षा होने वाली है। बताया जा रहा है कि प्रदेशभर के विभिन्न जिलों में 10वीं-12वीं के 20,800 छात्र-छात्राएं विभिन्न विषयों में अनुत्तीर्ण हुए हैं। ऐसे में अब उन शिक्षक शिक्षिकाओं पर शासन की तलवार लटक रही है, जिनके विषयों में छात्र-छात्राएं अधिक मात्रा में असफल हुए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत ने कहा कि छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। अगले वर्ष का रिजल्ट 90 फीसदी रहेगा। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण में भी भागीदारी करनी है। उन्हें संस्कृति से भी जोड़ा जाएगा। मातृभाषा का ज्ञान और इतिहास का पता होना छात्र-छात्राओं के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने सुगम क्षेत्रों में तैनात होने के बावजूद अच्छे रिजल्ट न दे पाने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं का मूल्यांकन करवाने को कह दिया है।
वहीं उन्होंने कहा कि वे विद्या भारती के स्कूलों के बच्चों को भी बहुत-बहुत बधाई देते हैं। विद्या भारती के विद्यालयों में बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में शिक्षा गुणवत्ता सुधार के लिए वे टीचर शेयरिंग व्यवस्था को लागू करने जा रहे हैं। इससे केंद्रीय विद्यालय एवं विद्या मंदिर के शिक्षक सरकारी विद्यालयों में लेक्चर दे सकेंगे। वहीं, सरकारी विद्यालयों के शिक्षक विद्या मंदिर और केंद्रीय विद्यालय में जाकर अपनी सेवाएं दे सकेंगे।