विकास अग्रवाल
महानाद डेस्क : उत्तराखंड में निकाय चुनावों की तैयारियों जोरों-शोरों पर हैं। पार्टियों ने भी अपनी-अपनी चुनावी तलवारों को धार देनी शुरु कर दी है और हर पार्टी के कद्दावर नेताओं ने अपनी-अपनी दावेदारी ठोंकनी शुरु कर दी है। सबके दावेदारों के मन में है कि उन्हें ही टिकट मिले, लेकिन एक टैगलाइन सबकी जुबान पर है और वह टैगलाइन है ‘पार्टी टिकट देगी तो लड़ेंगे, अन्यथा पार्टी जिसे टिकट देगी, उसे चुनाव लड़ायेंगे।
काशीपुर के नगर निगम के दो बार के चुनावों में लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच हुई है और दोनों बार भाजपा ने बाजी मारी है। ;हांलाकि पहली बार हुए चुनाव में उषा चौधरी निर्दल के तौर पर चुनाव लड़ी थीं और जीत के बाद भाजपा में शािमल हो गई थींद्ध लेकिन इस बार दो अन्य दमदार दावेदारों के कारण हो सकता है कि पासा पलट जाये।
बात करें यदि भाजपा की तो दावेदार तो कई हैं लेकिन दौड़ में सबसे आगे जो दिखाई दे रहे हैं वो हैं दीपक बाली और राम मेहरोत्रा। जहां दीपक बाली आम आदमी पार्टी से भाजपा में आये और थोड़े दिनों में ही जनता के काम करके पॉपुलर हुए हैं वहीं शासन-प्रशासन पर उनकी गहरी पैठ है। वे मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के करीबी माने जाते हैं।
वहीं, राम मेहरोत्रा पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं और एक बार नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ चुके हैं। शीर्ष नेतृत्व में उनकी अच्छी पकड़ है। अनारक्षित सीट होने के कारण इस बार वे मेयर टिकट के प्रबल दावेदार हैं।
वहीं, कांग्रेस में भी दावेदार तो बहुत हैं लेकिन इस समय जिन नामों की चर्चा हो रही है, उनमें संदीप सहगल एडवोकेट और मुक्ता सिंह का नाम जोरों पर है। मुक्ता सिंह ओबीसी जाति से आती हैं और पिछली बार वे आरक्षित सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं। जबकि इस बार सीट अनारक्षित होने के कारण ज्यादा मजबूत दावेदारी संदीप सहगल एडवोकेट की मानी जा रही है। पूर्व में वे महानगर कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्हें काशीपुर में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया जाता है।
वहीं चुनाव में इस बार ट्विस्ट आ सकता है बसपा से पूर्व चेयरमैन शमशुद्दीन और बसपा से विधायक का चुनाव लड़ चुके युवा नेता गगन कांबोज के कारण। दरअसल नगरपालिका चुनाव में भाजपा में भितरघात ;राम मेहरोत्रा को पार्टी टिकट मिलने के कारण उषा चौधरी निर्दल चुनावी मैदान में उतर गईं थींद्ध के कारण शमशुद्दीन नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव जीत गये थे। अब वे फिर से दावेदारी कर रहे हैं जिससे उम्मीद है कि मुस्लिम वर्ग का वोट बसपा और कांग्रेस में बंटने के कारण कांग्रेस को बड़ी हानि हो सकती है।
उधर, बसपा से विधायकी का चुनाव लड़ चुके युवा नेता गगन कांबोज ने भगवा झंडे तले चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर दी है। यदि वे मैदान में उतरे तो जितनी हानि शमशुद्दीन कांग्रेस को पहुंचायेंगे उतनी ही हानि गगन भाजपा को पहुंचा सकते हैं। और यदि भाजपा और कांग्रेस ने अपने किसी कमजोर प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया तो शमशुद्दीन और गगन तुरुप का इक्का बन सकते हैं।