लखनऊ (महानाद) : उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने आज 260 पन्नों के जनसंख्या नियंत्रण कानून के मसौदे को योगी सरकार को सौंप दिया। इसे विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस आदित्यनाथ मित्तल द्वारा तैयार किया गया है। उ.प्र. की योगी सरकार इसे मानसून सत्र में पेश कर सकती है। यदि ये ड्राफ्ट कानून में बदला तो भविष्य में जिनके 2 से ज्यादा बच्चे होंगे, उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी साथ ही वे 77 सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित कर दिये जायेंगे।
इस ड्राफ्ट की मुख्य बात यह है कि इसे किसी सरकारी आदेश पर नहीं बल्कि आयोग ने स्वयं तैयार किया है। इस ड्राफ्ट में प्रस्ताव है कि दो से अधिक बच्चे होने की स्थिति में सरकारी नौकरी में आवेदन से लेकर स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने तक पर रोक लगाई जा सकती है। कानून का उल्लंघन करने वाले नागरिकों को 77 सरकारी योजनाओं एवं अनुदान से वंचित रखने का प्रावधान भी इसमें शामिल किया गया है।
बता दें कि विधि आयोग द्वारा तैयार 260 पेज की इस रिपोर्ट में विभिन्न वर्गों की ओर से आए सुझावों को भी शामिल किया गया है। इन्हें 57 श्रेणियों में रखा गया है। रिपोर्ट में मान्य और आमान्य प्रस्तावों को रखते हुए उनकी विधिक स्थिति भी स्पष्ट की गई है। मसलन विधायक और सांसद बनने के लिए दो अधिक बच्चों को चुनाव लड़ने से रोकने लिए राज्य सरकार कानून नहीं बना सकती है। यह अधिकार केंद्र सरकार को है।
उक्त विधेयक उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) एक्ट 2021 के नाम से जाना जाएगा और यह 21 वर्ष से अधिक उम्र के युवकों और 18 वर्ष से अधिक उम्र की युवतियों पर लागू होगा। मसौदे को अंतिम रूप देने से पहले आयोग ने अपनी वेबसाइट पर सुझाव एवं आपत्तियां ली थीं। 19 जुलाई तक आयोग को 8500 से ज्यादा सुझाव और आपत्तियां मिली थीं। इन सुझावों और आपत्तियों पर विचार करने के बाद आयोग ने विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दिया है।
ड्राफ्ट की मुख्य बातें –
– दो से अधिक बच्चों के अभिभावकों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी।
– स्थानीय निकाय और पंचायत का चुनाव भी नहीं लड़ पायेंगे।
– राशन कार्ड में चार से अधिक सदस्यों के नाम नहीं लिखे जाएंगे।
– जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित पाठ्यक्रम स्कूलों में पढ़ाए जाने का सुझाव भी दिया है।
– कानून लागू होने के बाद यदि किसी महिला को दूसरी प्रेग्नेंसी में जुड़वा बच्चे होते हैं, तो वह कानून के दायरे में नहीं आएंगी।
– तीसरे बच्चे को गोद लेने पर रोक नहीं रहेगी। यदि किसी के 2 बच्चे निःशक्त हैं तो उसे तीसरी संतान होने पर सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाएगा।
– सरकारी कर्मचारियों को शपथ पत्र देना होगा कि वे इस कानून का उल्लंघन नहीं करेंगे।
– उकत कानून को एक साल बाद लागू किया जाएगा।
कानून के मौजूदा ड्राफ्ट के मुताबिक ये विधेयक राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से एक साल बाद लागू होगा। एक से ज्यादा शादी के मामले में, बच्चों की सही संख्या जानने के उद्देश्य से प्रत्येक जोड़े को एक विवाहित जोड़े के रूप में गिना जाएगा।