- 1111 पैंक्रीयाटाइटिस के रोगियों के अनुभवों वाली पुस्तिका का हुआ विमोचन
- आयुर्वेद के परंपरागत ज्ञान को विज्ञान से जोड़ना अति आवश्यक
- केवल मान्यताओं और पुरातन जानकारी के साथ आयुर्वेद का समाज को नहीं मिल सकेगा लाभ
- जानलेवा और जटिल रोग पैंक्रीयाटाइटिस के इलाज में वैद्य बालेंदु ने पेश किये चौकाने वाले आँकड़े
- शराब से ज्यादा आहार में प्रोटीन और खनिज तत्वों की कमी से तेज़ी से बढ़ रहा है पैंक्रीयाटाइटिस रोग
प्रदीप फुटेला
गदरपुर (महानाद) : नीति आयोग के उपाध्यक्ष एवं प्रख्यात अर्थ शास्त्री डॉ. राजीव कुमार ने वैद्य बालेंदु के चिकित्सा अनुभवों पर आधारित पैंक्रीयाटाइटिस रोग की स्वदेशी चिकित्सा का गंगापुर रोड स्थित एक स्कूल के सभागार में विमोचन किया। समारोह की अध्यक्षता जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. तेज प्रताप ने की।
भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिसर, नई दिल्ली के पूर्व अपर महानिदेशक डॉ. जीएस टोटेजा, आयुर्वेद के प्रखंड विद्वान डॉ. सीके कटियार तथा अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली के प्रोफेसर पीके प्रजापति इस अवसर पर मौजूद रहे।
राजीव कुमार ने आज सुबह सिकरौरा, बिलासपुर स्थित वैद्यजी की रसशाला का भ्रमण कर रस शास्त्र पर आधारित औषधियों की निर्माण प्रक्रिया को देखा, समझा और जाना। इसके बाद रतनपुरा, गदरपुर स्थित पड़ाव विशिष्ट आयुर्वेदिक केंद्र में पैंक्रीयाटाइटिस का आयुर्वेदिक इलाज करा रहे मरीजों से मुलाकात की तथा दोपहर बाद पुस्तिका का विमोचन किया।
इस अवसर पर दिल्ली निवासी नितिन श्रीवास्तव ने अपने 24 वर्षाे के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने वर्ष 1997 में एक वर्ष में पैंक्रीयाटाइटिस के 9 अटैक्स होने के बाद वैद्य जी से इलाज करवाया था। ताम्बा, पारा और गंधक के योग से बनी रस शास्त्र पर आधारित आयुर्वेदिक औषधि से उन्हें पूर्ण लाभ प्राप्त हुआ और दवा से कोई दुष्प्रभाव नहीं हुआ। जयपुर के मशहूर एलोपैथिक हॉस्पिटल के संचालक रास बिहारी रुंगटा ने बताया कि उनका 15 वर्षीय बेटा पिछले 9 वर्षाे से आनुवांशिक पैंक्रीयाटाइटिस से पीड़ित है। वैद्य जी की चिकित्सा लेने के बाद 3 वर्षाे से वह लगभग सामान्य जीवन जी रहा है।
राजीव कुमार ने आयुर्वेद के परंपरागत ज्ञान को विज्ञान की विभिन्न विधाओं से जोड़ कर वैद्य जी के राष्ट्रीय मिशन नोबल प्राइज की भूरी-भूरी प्रशंसा की और सरकार की तरफ से उनके केंद्र को उत्कृष्ट चिकित्सा केंद्र बनाने के लिए हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार देश के परंपरागत ज्ञान को नया रूप देने के लिए दृढ़ संकल्पित है, जिससे उसका लाभ जनमानस सके। उन्होंने उम्मीद जगाई कि आने वाले समय में ‘पड़ाव’ चिकित्सा के क्षेत्र में नए आयाम पैदा करेगा और उधम सिंह नगर को मानचित्र पर विशिष्ट चिकित्सा स्थल के रूप में स्थापित करेगा।
समारोह के अध्यक्ष डॉ. तेज प्रताप ने विश्वविद्यालय स्तर पर वैद्यजी के मिशन नोबल प्राइज को भरपूर सहयोग देने का आश्वासन दिया। मालूम हो कि 26 जून को विश्वविद्यालय और वैद्यजी के बीच इस आशय का करार स्थानीय सांसद और वर्तमान में केंद्र में मंत्री अजय भट्ट की उपस्थिति में हो चुका है। समारोह का संचालन जबलपुर से आये वैद्य सुमित श्रीवास्तव ने किया। देवेन्दु प्रकाश, मेघा प्रकाश, वैद्य शिखा प्रकाश, स्नेहा सती, नेहा नेगी, शुभांग आदि ने समारोह में सहयोग किया। जेपीएस विद्यालय के प्रबंधक की ओर से उपप्रधानचार्य ने भी बुके देकर मुख्य अतिथि का स्वागत किया।