70 सालों में बनाये गये लोकतंत्र को 8 साल में समाप्त कर दिया : राहुल गांधी

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नई दिल्ली (महानाद) : बढ़ती महंगाई-बेरोजगारी के खिलाफ आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में लोकतंत्र की जो मौत हुई है, उससे आपको कैसा लग रहा है? जिस लोकतंत्र को 70 सालों में बनाया गया, उसे आठ साल में खत्म कर दिया गया है। देश में आज लोकतंत्र नहीं है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि आज देश मेंकेवल चार लोगों की डिक्टेटरशिप चल रही है। हमें संसद में बहस नहीं करने दी जा रही है। हम महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं, लेकिन हमें जेल में डाल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जब केंद्र में हमारी सरकार थी तब केंद्रीय एजेंसियां और अन्य संवैधानिक संस्थाएं निष्पक्ष होती थीं। इन्हीं के सहारे विपक्ष खड़ा होता है, लेकिन भाजपा की मोदी सरकार ने सभी एजेंसियों और संस्थाओं को अपने कब्जे में कर लिया है।

राहुल गांधी ने कहा कि मैं जितना सच बोलता जाऊंगा, उतना मुझ पर आक्रमण होगा। लेकिन मैं अपना काम करूंगा। मैं महंगाई पर बात करूंगा, मैं बेरोजगारी पर बात करूंगा। मैं जितना इनके खिलाफ बोलूंगा, उतना ये मुझ पर आक्रमण करेंगे। ऐसा केवल हमारे साथ नहीं है। सभी के साथ है, जो भी सरकार के खिलाफ बोलता है, उसे केंद्रीय एजेंसियों के जरिए डराया जाता है। यह बात लोगों को अभी समझ नहीं आ रही है, लेकिन एक दिन समझ में जरूर आएगी।

राहुल ने कहा कि ये लोग गांधी परिवार पर हमले क्यों करते हैं? क्योंकि, गांधी परिवार एक विचारधारा के लिए लड़ता है। देश में हिंदू-मुसलमान को बांटा जाता है, तब हमें दर्द होता है। महिलाओं के साथ अत्याचार होता है, तब हमें दर्द होता है। हमारी लड़ाई सौहार्द बनाने के लिए है। मेरे परिवार ने इसके लिए अपनी जान दी है।

गांधी ने कहा कि जर्मनी की सभी संस्थाएं हिटलर के हाथ में थीं। वह भी चुनाव जीतता था। आज हिंदुस्तान की सभी संस्थाएं आरएसएस के हाथ में हैं। मुझे पूरा ढांचा दे दो, फिर मैं बताता हूं। हम सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी से नहीं लड़ रहे हैं। हम हिंदुस्तान के पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर से लड़ रहे हैं।

राहुला गांधी ने कहा कि आज सबसे ज्यादा बेरोजगारी भारत में हैं। पेट्रोल-डीजल से लेकर हर चीज के दाम बढ़े हुए हैं, लेकिन वित्त मंत्री को महंगाई नहीं दिख रही है। किसी भी गांव या शहर में जाकर देख लीजिए, लोग बता देंगे महंगाई कहां है। मुझे लगता है कि वित्तमंत्री निर्मला जिस मैक्रोइकॉनॉमिक फंडामेंटल की बात कर रही हैं, वह कुछ और है। मुझे नहीं लगता कि वित्त मंत्री को भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में कोई समझ है।