मरीज पर भारी पड़ेगा आयुष्मान योजना में सरकारी अस्पताल का रेफर सिस्टम

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विकास अग्रवाल
महानाद डेस्क : आयुष्मान योजना में उत्तराखंड सरकार द्वारा मरीज को सरकारी अस्पताल से रेफर करने के नये नियम लागू किये गये हैं। जिसके मुताबिक अब छोटे सरकारी अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत मरीजों को सीधे निजी अस्पतालों के लिए रेफर नहीं कर सकेंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज के लिए सरकार ने नई रेफरल नीति बनाई है। ताकि आयुष्मान कार्डधारक मरीज का पहले राजकीय अस्पतालों में इलाज किया जाए। अब मरीजों को पहले नजदीकी राजकीय चिकित्सकों, बेस अस्पताल व राजकीय मेडिकल कालेज के लिए रेफर किया जाएगा। इनमें इलाज न मिलने की स्थिति में ही मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर किया जाएगा। इमरजेंसी केस जिनमें रोगी को तत्काल इलाज की आवश्यकता है, उनमें रेफरल की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसी इमरजेंसी की स्थिति में किसी भी सूचीबद्ध निजी अस्पताल में बिना किसी रेफरल के आयुष्मान योजना के तहत उपचार किया जा सकता है।

आपको बता दें कि सरकार द्वारा ही निजी अस्पतालों को आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध किया गया है। ऐसे में नई नीति लागू होने से मरीजों को अपना इलाज कराने के लिए दर-दर भटकना पड़ जायेगा। क्योंकि छोटे अस्पताल से निजी अस्पतालों में रेफर करने का अधिकार खत्म होने से ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को अपने इलाज के लिए अपने शहर या कस्बे से पहले बड़े शहर जाना पड़ेगा। वहां आने जाने का खर्च वहन करना पड़ेगा। अपने साथ एक तीमारदार को लेजाना पड़ेगा (लोकल में होने पर अलग-अलग लोग तीमारदारी में लगे रहते हैं)। वहां पर तीमारदार को अपने खाने-रहने का खर्च करना पड़ेगा। जबकि उसका इलाज अपने ही क्षेत्र के आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध निजी अस्पताल में हो सकता था।

अगर हम यहां की बात करें तो अब काशीपुर/जसपुर/प्रतापपुर/कुंडा/महुआखेड़ा गंज/गढ़ीनेगी आदि क्षेत्र के मरीजों को काशीपुर उप जिला अस्पताल में इलाज उपलब्ध न होने पर रुद्रपुर या हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में रेफर किया जायेगा। सिके लिए उसे कम से कम 70 से 90 किमी. तक का सफर करना होगा। ऐसेा होने पर मरीज को अपना पैसा, समय और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

इसलिए सरकार को चाहिए कि रेफर सिस्टम ऐसा हो कि यदि सरकारी अस्पताल में इलाज/बैड उपलब्ध न हो तो वह आसानी से उसके निकटतम निजी सूचीबद्ध अस्पताल में अपना इलाज करा सके।

वहीं इसमें एक सवाल यह भी है कि आज निजी अस्पताल सूचीबद्ध होने से मरीज अपनी पसंद/विश्वसनीय डॉक्टर से अपना इलाज करा सकता है लेकिन इस नये सिस्टम के कारण अन्य जगह इलाज उपलब्ध होने के बावजूद उसे अपना इलाज सरकारी अस्पताल में ही कराना पड़ेगा।