उत्तराखंड में युवाओं के लिए खुशखबरी है। युवाओं को रोजगार देने के लिए सरकार नए कदम उठा रही है। इसी के तहत सरकार ने उत्तराखंड में ड्रोन अथवा मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) के निर्माण और इसके बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए ड्रोन पॉलिसी तैयार की है। इस पॉलिसी के तहत हजारों युवाओं को रोजगार मिल सकेगा। इस पॉलिसी को कैबिनेट में पेश किया जाएगा। कैबिनेट मंजूरी के बाद ये पॉलिसी लागू हो जाएगी। आइए जानते है इस पॉलिसी की खासियत…
मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ गया है। अब ट्रैफिक कंट्रोल करने से लेकर दूरस्थ क्षेत्रों में दवाइयां भेजने तक में ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इतना ही नहीं राज्य में बड़ी संख्या में पर्यटक भी ड्रोन कैमरे का प्रयोग कर रहे हैं। तो वहीं उत्तराखंड सरकार ड्रोन को अब खेती में भी इस्तेमाल करने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि ड्रोन की मदद से किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकें। इन सबको देखते हुए सरकार ड्रोन पॉलिसी लागू करने वाली है। इसका ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। इसमें ड्रोन के निर्माण के लिए पात्रता व शर्तों के साथ ही इसके संचालन की सीमाएं भी तय की जा रही हैं। जल्द ही इसे कैबिनेट के सम्मुख लाया जाएगा।
बताया जा रहा है कि प्रदेश में ड्रोन निर्माण के क्षेत्र को भी एक संभावना के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें युवा स्टार्ट अप शुरू कर सकते हैं। इसे देखते हुए सरकार ड्रोन नीति लाने जा रही है। ड्रोन पॉलिसी में तमाम अहम बिंदुओं को शामिल किया गया है, जिसके तहत ड्रोन स्कूल और ड्रोन मैन्यूफैक्चरिंग को प्रदेश में बढ़ावा देने के साथ ही ड्रोन की सर्विसेज से लोगों को बेहतर ढंग से लाभ पहुंचे इसका फ्रेम इस ड्रोन पॉलिसी में शामिल किया गया है।
माना जा रहा है कि उत्तराखंड में आने वाले 2030 तक ड्रोन उत्पादन और सेवाओं से 5000 युवाओं को रोजगार मिलेगा। सरकार ने इस क्षेत्र में जहां एक हजार करोड़ निवेश और एक हजार राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है, तो वहीं दो आईटीआई में ड्रोन के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनेंगे तो सरकारी कॉलेजों, नैक प्रमाणित निजी विश्वविद्यालयों में ड्रोन स्कूल स्थापित किए जाएंगे।