विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : सहोता हॉस्पिटल के प्रबन्धक एवं सुप्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि सहोता ने पुर्तगाल के लिसबीन शहर में विगत 15-17 फरवरी तक आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रतिभाग करते हुए कुपोषण मुक्त समाज निर्माण के लिए जागरूक किया। इस अवसर पर मौजूद देश-विदेश के हजारों डॉक्टरों ने डॉ. रवि सहोता के प्रयासों की सराहना की।
आपको बता दें कि मुरादाबाद रोड स्थित सहोता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल एवं न्यूरो ट्रामा सेंटर के प्रबन्धक डॉ. रवि सहोता ने तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रतिभाग करते हुए अपने तीन शोधपत्र मोटापा, कुपोषण और पीडिया आईसीयू में बच्चों की देखरेख पर चर्चा करते हुए बच्चों के अभिभावकों एवं धातृ व गर्भवती महिलाओं को कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर जागरूक किया।
इस दौरान उन्होंने पीआईसीयू में बच्चों की देखरेख पर भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास अभिभावकों को उचित पोषण की आवश्यक जानकारी देते हुए कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाने पर होना चाहिए। कुपोषण से पीड़ितों का आंकड़ा पूरे संसार में दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, और यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। स्कूल के बच्चे और गर्भवती महिलाएं कुपोषण का शिकार बन रही हैं।
सहोता ने बताया कि कुपोषण का मतलब होता है कि एक व्यक्ति को उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक नुट्रिशन नहीं मिल पा रहा है। संसार में कुपोषण से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या बहुत अधिक है और यह विभिन्न आयु वर्गों के लोगों को प्रभावित करता है, खासकर बच्चों और मां-बच्चों को संसार में कुपोषण से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या बहुत अधिक है, और यह विभिन्न आयु वर्गों के लोगों को प्रभावित करता है। कुपोषण से पीड़ित व्यक्तियों के लक्षण शारीरिक कमजोरी, मानसिक कमजोरी, बीमारियों का अधिक प्रावण्य, और शिक्षा से वंचित आदि होना है।
डॉ. रवि सहोता ने कहा कि हालांकि सभी देश की सरकारों ने कुपोषण को नियंत्रित करने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं, जैसे कि पोषण अभियान, आंगनबाड़ी कार्यक्रम, मिड-डे मील स्कीम आदि। इनके माध्यम से बच्चों और माताओं को सही पोषण प्राप्त करने के लिए साहयता पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। कुपोषण से बचाव के लिए सामाजिक जागरूकता और अधिक संपूर्ण और संतुलित आहार की आदतों को प्रोत्साहित करना भी महत्वपूर्ण है। इस समस्या से केवल सरकार की दिशा से ही नहीं, बल्कि समाज के सभी सदस्यों के सहयोग से ही समाधान मिल सकता है। उन्होंने विकसित और विकासशील देशों के प्रतिनिधियों से कुपोषण को खत्म करने में सहयोग का आह्वान किया।