अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक : पंडित कृष्ण मेहता

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महानाद डेस्क : अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं।अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक
इस दिन किये गये पुण्यकर्म अक्षय (जिसका क्षय न हो) व अनंत फलदायी होते हैं
पंडित कृष्ण मेहता ने अक्षय तृतीया पर प्रकाश डालते हुए बताया कि शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं।
इस वर्ष 2021 में अक्षय तृतीया 14 मई 2021 दिन शुक्रवार को है।
अक्षय फलदायी “अक्षय तृतीया”
14 मई 2021 शुक्रवार को अक्षय तृतीया है।
वैशाख शुक्ल तृतीया की महिमा मत्स्य, स्कंद, भविष्य, नारद पुराणों व महाभारत आदि ग्रंथो में है। इस दिन किये गये पुण्यकर्म अक्षय (जिसका क्षय न हो) व अनंत फलदायी होते हैं, अत: इसे अक्षय_तृतीया कहते है। यह सर्व सौभाग्यप्रद है।
यह युगादि तिथि यानी सतयुग व त्रेतायुग की प्रारम्भ तिथि है। श्रीविष्णु का नर-नारायण, हयग्रीव और परशुरामजी के रूप में अवतरण व महाभारत युद्ध का अंत इसी तिथि को हुआ था।
इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है। जैसे – विवाह, गृह – प्रवेश या वस्त्र -आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है।
प्रात:स्नान, पूजन, हवन का महत्त्व
इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है। गंगाजी का सुमिरन एवं जल में आवाहन करके ब्राम्हमुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते है। स्नान के पश्चात् प्रार्थना करें माधवे मेषगे भानौं मुरारे मधुसुदन।
प्रात: स्नानेन में नाथ फलद: पापहा भव ॥
‘हे मुरारे ! हे मधुसुदन ! वैशाख मास में मेष के सूर्य में हे नाथ ! इस प्रात: स्नान से मुझे फल देनेवाले हो जाओ और पापों का नाश करों।’
सप्तधान्य उबटन व गोझरण मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है। पुष्प, धूप-दीप, चंदनम अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी-नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है। जप, उपवास व दान का महत्त्व
इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है। एक बार हल्का भोजन करके भी उपवास कर सकते है। ‘भविष्य पुराण’ में आता है कि इस दिन दिया गया दान अक्षय हो जाता है। इस दिन पानी के घड़े, पंखे, (खांड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ, वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है। परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए।
पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि
इस दिन पितृ-तर्पण करना अक्षय फलदायी है। पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संताने आती है।
विधि : इस दिन तिल एवं अक्षत लेकर र्विष्णु एवं ब्रम्हाजी को तत्त्वरूप से पधारने की प्रार्थना करें। फिर पूर्वजों का मानसिक आवाहन कर उनके चरणों में तिल, अक्षत व जल अर्पित करने की भावना करते हुए धीरे से सामग्री किसी पात्र में छोड़ दें तथा भगवान दत्तात्रेय, ब्रम्हाजी व विष्णुजी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें।
आशीर्वाद पाने का दिन
इस दिन माता-पिता, गुरुजनों की सेवा कर उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें। इसका फल भी अक्षय होता है।
अक्षय तृतीया का तात्त्विक संदेश
‘अक्षय’ यानी जिसका कभी नाश न हो। शरीर एवं संसार की समस्त वस्तुएँ नाशवान है, अविनाशी तो केवल परमात्मा ही है। यह दिन हमें आत्म विवेचन की प्रेरणा देता है। अक्षय आत्मतत्त्व पर दृष्टी रखने का दृष्टिकोण देता है। महापुरुषों व धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और परमात्म प्राप्ति का हमारा संकल्प अटूट व अक्षय हो – यही अक्षय तृतीया का संदेश मान सकते हो।
अक्षय तृतीया को लेकर पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कि अक्षय’ शब्द का मतलब है- जिसका क्षय या नाश न हो। इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है अतः इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं। भविष्यपुराण, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, स्कन्दपुराण में इस तिथि का विशेष उल्लेख है। इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है। इस दिन सभी देवताओं व पित्तरों का पूजन किया जाता है। पित्तरों का श्राद्ध कर धर्मघट दान किए जाने का उल्लेख शास्त्रों में है। वैशाख मास भगवान विष्णु को अतिप्रिय है अतः विशेषतः विष्णु जी की पूजा करें।
स्कन्दपुराण के अनुसार, जो मनुष्य अक्षय तृतीया को सूर्योदय काल में प्रातः स्नान करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करके कथा सुनते हैं, वे मोक्ष के भागी होते हैं। जो उस दिन मधुसूदन की प्रसन्नता के लिए दान करते हैं, उनका वह पुण्यकर्म भगवान की आज्ञा से अक्षय फल देता है।
भविष्यपुराण के मध्यमपर्व में कहा गया है वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में गंगाजी में स्नान करनेवाला सब पापों से मुक्त हो जाता है। वैशाख मास की तृतीया स्वाती नक्षत्र और माघ की तृतीया रोहिणीयुक्त हो तथा आश्विन तृतीया वृषराशि से युक्त हो तो उसमें जो भी दान दिया जाता है, वह अक्षय होता है। विशेषरूप से इनमें हविष्यान्न एवं मोदक देनेसे अधिक लाभ होता है तथा गुड़ और कर्पूर से युक्त जलदान करनेवाले की विद्वान् पुरुष अधिक प्रंशसा करते हैं, वह मनुष्य ब्रह्मलोक में पूजित होता है। यदि बुधवार और श्रवण से युक्त तृतीया हो तो उसमें स्नान और उपवास करनेसे अनंत फल प्राप्त होता हैं।
भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठरसे कहते हैं, हे राजन इस तिथि पर किए गए दान व हवन का क्षय नहीं होता है; इसलिए हमारे ऋषि-मुनियोंने इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहा है। इस तिथि पर भगवानकी कृपादृष्टि पाने एवं पितरोंकी गतिके लिए की गई विधियां अक्षय-अविनाशी होती हैं।
भविष्यपुराण, ब्राह्मपर्व, अध्याय 21 —
वैशाखे मासि राजेन्द्र तृतीया चन्दनस्य च।वारिणा तुष्यते वेधा मोदकैर्भीम एव हि।।दानात्तु चन्दनस्येह कञ्जजो नात्र संशयः।। यात्वेषा कुरुशार्दूल वैशाखे मासि वै तिथिः।तृतीया साऽक्षया लोके गीर्वाणैरभिनन्दिता।। आगतेयं महाबाहो भूरि चन्द्रं वसुव्रता।कलधौतं तथान्नं च घृतं चापि विशेषतः।।यद्यद्दत्तं त्वक्षयं स्यात्तेनेयमक्षया स्मृता।। यत्किञ्चिद्दीयते दानं स्वल्पं वा यदि वा बहु।तत्सर्वमक्षयं स्याद्वै तेनेयमक्षया स्मृता।।योऽस्यां ददाति करकन्वारिबीजसमन्वितान्।स याति पुरुषो वीर लोकं वै हेममालिनः।।इत्येषा कथिता वीर तृतीया तिथिरुत्तमा।यामुपोष्य नरो राजन्नृद्धिं वृद्धिं श्रियं भजेत्।।
अर्थ : वैशाख मास की तृतीया को चन्दनमिश्रित जल तथा मोदक के दान से ब्रह्मा तथा सभी देवता प्रसन्न होते हैं। देवताओं ने वैशाख मास की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा है। इस दिन अन्न-वस्त्र-भोजन-सुवर्ण और जल आदि का दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसी तृतीया के दिन जो कुछ भी दान किया जाता है वह अक्षय हो जाता है और दान देनेवाला सूर्यलोक को प्राप्त करता है। इस तिथि को जो उपवास करता है वह ऋद्धि-वृद्धि और श्री से सम्पन्न हो जाता है।
तो आइए जानें 25 बातों से अक्षय तृतीया का महत्व…
1.“न माधव समो मासो न कृतेन युगं समम्।
न च वेद समं शास्त्रं न तीर्थ गंगयां समम्।।”
वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं हैं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। उसी तरह अक्षय तृतीया के समान कोई तिथि नहीं है।
2 .अक्षय तृतीया के विषय में मान्यता है कि इस दिन जो भी काम किया जाता है उसमें बरकत होती है। यानी इस दिन जो भी अच्छा काम करेंगे उसका फल कभी समाप्त नहीं होगा अगर कोई बुरा काम करेंगे तो उस काम का परिणाम भी कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ेगा।
3. धरती पर भगवान विष्णु ने 24 रूपों में अवतार लिया था। इनमें छठा अवतार भगवान परशुराम का था। पुराणों में उनका जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था।
4. इस दिन धरती पर गंगा अवतरित हुई। सतयुग, द्वापर व त्रेतायुग के प्रारंभ की गणना इस दिन से होती है।
5.शास्त्रों की इस मान्यता को वर्तमान में व्यापारिक रूप दे दिया गया है जिसके कारण अक्षय तृतीया के मूल उद्देश्य से हटकर लोग खरीदारी में लगे रहते हैं। वास्तव में यह वस्तु खरीदने का दिन नहीं है। वस्तु की खरीदारी में आपका संचित धन खर्च होता है।
6. नया वाहन लेना या गृह प्रवेश करना, आभूषण खरीदना इत्यादि जैसे कार्यों के लिए तो लोग इस तिथि का विशेष उपयोग करते हैं। मान्यता है कि यह दिन सभी का जीवन में अच्छे भाग्य और सफलता को लाता है। इसलिए लोग जमीन जायदाद संबंधी कार्य, शेयर मार्केट में निवेश रीयल एस्टेट के सौदे या कोई नया बिजनेस शुरू करने जैसे काम भी लोग इसी दिन करने की चाह रखते हैं…
7. वैशाख मास की विशिष्टता इसमें आने वाली अक्षय तृतीया के कारण अक्षुण्ण हो जाती है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाए जाने वाले इस पर्व का उल्लेख विष्णु धर्म सूत्र, मत्स्य पुराण, नारदीय पुराण तथा भविष्य पुराण आदि में मिलता है।
8.यह समय अपनी योग्यता को निखारने और अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्तम है।
9. यह मुहूर्त अपने कर्मों को सही दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। शायद यही मुख्य कारण है कि इस काल को ‘दान’ इत्यादि के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
10. ‘वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आखातीज के रुप में मनाया जाता है भारतीय जनमानस में यह अक्षय तीज के नाम से प्रसिद्ध है।
11.पुराणों के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान,दान,जप,स्वाध्याय आदि करना शुभ फलदायी माना जाता है इस तिथि में किए गए शुभ कर्म का फल क्षय नहीं होता है इसको सतयुग के आरंभ की तिथि भी माना जाता है इसलिए इसे’कृतयुगादि’ तिथि भी कहते हैं ।
12.यदि इसी दिन रविवार हो तो वह सर्वाधिक शुभ और पुण्यदायी होने के साथ-साथ अक्षय प्रभाव रखने वाली भी हो जाती है।
13. मत्स्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन अक्षत पुष्प दीप आदि द्वारा भगवान विष्णु की आराधना करने से विष्णु भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा संतान भी अक्षय बनी रहती है।
14.दीन दुखियों की सेवा करना, वस्त्रादि का दान करना ओर शुभ कर्म की ओर अग्रसर रहते हुए मन वचन व अपने कर्म से अपने मनुष्य धर्म का पालन करना ही अक्षय तृतीया पर्व की सार्थकता है।
15. कलियुग के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करके दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से निश्चय ही अगले जन्म में समृद्धि, ऐश्वर्य व सुख की प्राप्ति होती है।
16. भविष्य पुराण के एक प्रसंग के अनुसार शाकल नगर रहने वाले एक वणिक नामक धर्मात्मा अक्षय तृतीया के दिन पूर्ण श्रद्धा भाव से स्नान ध्यान व दान कर्म किया करता था जबकि उसकी पत्नी उसको मना करती थी,मृत्यु बाद किए गए दान पुण्य के प्रभाव से वणिक द्वारकानगरी में सर्वसुख सम्पन्न राजा के रुप में अवतरित हुआ।
17. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर सामर्थ्य अनुसार जल,अनाज,गन्ना,दही,सत्तू,फल,सुराही,हाथ से बने पंखे वस्त्रादि का दान करना विशेष फल प्रदान करने वाला माना गया है।
18. दान को वैज्ञानिक तर्कों में ऊर्जा के रूपांतरण से जोड़ कर देखा जा सकता है। दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करने के लिए यह दिवस सर्वश्रेष्ठ है।
19. यदि अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र को आए तो इस दिवस की महत्ता हजारों गुणा बढ़ जाती है, ऐसी मान्यता है। किसानों में यह लोक विश्वास है कि यदि इस तिथि को चंद्रमा के अस्त होते समय रोहिणी आगे होगी तो फसल के लिए अच्छा होगा और यदि पीछे होगी तो उपज अच्छी नहीं होगी।
20. इस दिन प्राप्त आशीर्वाद बेहद तीव्र फलदायक माने जाते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की गणना युगादि तिथियों में होती है। सतयुग, त्रेता और कलयुग का आरंभ इसी तिथि को हुआ और इसी तिथि को द्वापर युग समाप्त हुआ था।
21.रेणुका के पुत्र परशुराम और ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार का प्राकट्य इसी दिन हुआ था। इस दिन श्वेत पुष्पों से पूजन कल्याणकारी माना जाता है।
22.धन और भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति तथा भौतिक उन्नति के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। धन प्राप्ति के मंत्र, अनुष्ठान व उपासना बेहद प्रभावी होते हैं। स्वर्ण, रजत, आभूषण, वस्त्र, वाहन और संपत्ति के क्रय के लिए मान्यताओं ने इस दिन को विशेष बताया और बनाया है। बिना पंचांग देखे इस दिन को श्रेष्ठ मुहुर्तों में शुमार किया जाता है।
23.दान करने से जाने-अनजाने हुए पापों का बोझ हल्का होता है और पुण्य की पूंजी बढ़ती है। अक्षय तृतीया के विषय में कहा गया है कि इस दिन किया गया दान खर्च नहीं होता है, यानी आप जितना दान करते हैं उससे कई गुणा आपके अलौकिक कोष में जमा हो जाता है।
24. मृत्यु के बाद जब अन्य लोक में जाना पड़ता है तब उस धन से दिया गया दान विभिन्न रूपों में प्राप्त होता है। पुनर्जन्म लेकर जब धरती पर आते हैं तब भी उस कोष में जमा धन के कारण धरती पर भौतिक सुख एवं वैभव प्राप्त होता है। इस दिन स्वर्ण, भूमि, पंखा, जल, सत्तू, जौ, छाता, वस्त्र कुछ भी दान कर सकते हैं। जौ दान करने से स्वर्ण दान का फल प्राप्त होता है।
25. इस तिथि को चारों धामों में से उल्लेखनीय एक धाम भगवान श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं। अक्षय तृतीया को ही वृंदावन में श्रीबिहारीजी के चरणों के दर्शन वर्ष में एक बार ही होते हैं।अक्षय तृतीया को सूर्य के राशि परिवर्तन से बनेगा त्रिग्रही योग, जानें राशि के अनुसार असर
सूर्य अपनी राशि का परिवर्तन 14 मई को अक्षय तृतीया के दिन करने जा रहें हैं।इस दिन सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे और सूर्य इस राशि में 15 जून तक रहेंगे। वहीं बुध और शुक्र पहले से ही राशि परिवर्तित करके वृषभ राशि में विराजमान हैं। इस प्रकार अक्षय तृतीया को सूर्य के वृषभ राशि में गोचर होते ही बुध, शुक्र और सूर्य की युति होगी और त्रिग्रही योग बनेगा।इस त्रिग्रही योग में अक्षय तृतीया का व्रत रखा जाएगा. त्रिग्रही योग का सभी राशियों पर प्रभाव पड़ेगा।आइये जानें विभिन्न राशियों पर इसका क्या असर होगा?
मेष राशि: इस राशि के जातकों के लिए यह त्रिग्रही योग शुभ फल दायक नहीं होगा. धन हानि का योग है।स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है।पारिवारिक समस्याएं बढ़ सकती हैं।
वृष राशि: इस राशि के जातकों पर त्रिग्रही योग का मिला जुला असर होगा. इस राशि के जातकों को जहां राजनीतिक जीवन में सफलता मिल सकती है वहीं भागदौड़ अधिक करना होगा. तनाव की स्थिति हो सकती है।
मिथुन राशि: धन अधिक खर्च होने के योग हैं. इस लिए धन काफी सोच समझकर खर्च करें। परिवार के सदस्यों को लेकर चिंतित हो सकते हैं।
कर्क राशि: इस राशि के जातकों को कार्यों में सफलता मिलेगी। व्यापार के मामले में सावधान रहने की जरूरत है। मानसिक तनाव हो सकता है।
सिंह राशि: राजनीति से जुड़े लोगों के लिए यह योग शुभ है।जबकि पारिवारिक सदस्यों से प्रेम बढ़ाना होगा अन्यथा समस्या पैदा हो सकती है. व्यापारिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।
कन्या राशि: इन राशि के जातकों को जमीन संबंधी विवाद का सामना करना पड़ सकता है. अच्छा होगा कि विवाद को कोर्ट कचेहरी के बाहर ही सुलझालें।
तुला राशि: रुका हुआ धन मिलने के योग हैं। सेहत ख़राब हो सकती है।चोट लगने की संभावना है। इस लिए सजग रहने की जरूरत है।
वृश्चिक राशि: गृहस्थ जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. पारिवारिक तनाव की स्थिति होगी। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की जरूरत है. नौकरी में स्थान परिवर्तन का योग है।
धनु राशि: इस राशि के जातकों के लिए यह योग शुभ फलदायी है।शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी. किसी पुराने मुकदमें से छुटकारा मिल सकती है। गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों के स्वास्थ्य में सुधार होने के प्रबल योग हैं। कोई उपहार या धन मिल सकता है।
मकर राशि: मित्रों से मतभेद हो सकता है. आचानक आई परेशानी से कष्ट मिल सकता है।
कुंभ राशि: राजनैतिक विरोधी परास्त होंगें. वाहन चलाते समय विशेष ध्यान रखें. निर्माण कार्य बाधित होगा। माता के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें।
मीन राशि: भाई बहनों से मतभेद हो सकते हैं। कार्यक्षेत्र में समय की बर्बादी होगी।मेहनत का पूरा श्रेय आपको नहीं मिलेगा।तनाव की स्थिति हो सकती है। वाहन चलाते समय ध्यान रखने की जरूरत है।
अक्षय तृतीया पर सुख-समृद्धि के लिए राशि के अनुसार करें दान
मेष एवं वृश्चिक राशि
इन दोनों राशियों के स्वामी मंगल हैं। इन राशि के जातकों को अक्षय तृतीया के दिन आटा, चीनी,गुड़, सत्तू, फल या मीठे व्यंजनों का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है एवं धन-सम्पत्ति का लाभ होता है।इसके अलावा भूमि-भवन से जुडी समस्याएं भी दूर होती हैं।
वृषभ एवं तुला राशि
इन दोनों राशियों के स्वामी शुक्र हैं। इन राशि के जातकों को अक्षय तृतीया पर कलश में जल भरकर दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को धन लाभ और शुक्र दोष का प्रभाव कम किया जा सकता है। इन राशि के लोगों को अक्षय तृतीया के दिन सफेद वस्त्रों, दूध, दही, चावल, खांड आदि का दान करना भी बहुत फलदायी होगा।
मिथुन एवं कन्या राशि
इन राशियों के स्वामी बुध होते है। मिथुन राशि के जातकों को अक्षय तृतीया पर मूंग की दाल,हरी सब्जियां और गाय को चारा दान करना चाहिए। मान्यता है कि इससे सुख समृद्धि और धन का लाभ मिलेगा एवं मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।
कर्क राशि
कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है। इस राशि से संबंधित लोगों को अक्षय तृतीया के दिन चांदी, मोती, खीर, चावल, चीनी, घी और जल का दान करना चाहिए। ऐसा करने से धन लाभ होता है घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होकर सुख-समृद्धि आती है।
सिंह राशि
इस राशि के स्वामी सूर्य है। इस राशि के जातक को अक्षय तृतीया के दिन सूर्य को जल देना चाहिए तथा गुड, गेहूं, सत्तू, तांबा आदि का दान करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान सूर्य नारायण की कृपा आप पर बनी रहेगी एवं घर के सभी सदस्य स्वस्थ्य और समृद्धि रहेंगे।
धनु एवं मीन राशि
इन दोनों राशियों के स्वामी बृहस्पति हैं। बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए इन राशियों के जातकों को इस दिन पीले कपड़े, हल्दी, पपीता, चना, चने की दाल, केसर, पीली मिठाईयां व जल का दान करना श्रेष्ठ रहता है।मान्यता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन सुखमय रहता है एवं माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
मकर एवं कुंभ राशि
इन राशि के स्वामी सूर्यपुत्र शनिदेव हैं।जन्म कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव में कमी तथा शुभ प्रभाव में वृद्धि के लिए इन राशि के जातकों को अक्षय तृतीया के दिन किसी बर्तन में तिल का तेल रखकर घर के पूर्वी किनारे पर रखें, धन लाभ होगा। इस दिन तिल, नारियल,चने का सत्तू,गरीब और असहाय लोगों के लिए वस्त्र और दवाइयों का दान करने से समय अनुकूल रहेगा एवं आपके जीवन की परेशानियां दूर होंगी।
अक्षय तृतीया पर बेहद शुभ योग, इन उपायों से प्रसन्‍न होंगी मां लक्ष्‍मी, होगी धन वृद्धि
अक्षय तृतीया हर साल वैशाख मास के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है और इस त्‍योहार को धन वृद्धि और सुख समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है। मान्‍यता है कि पूरे साल का यह सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। मान्‍यता है कि इस दिन बिना पंचांग देखे या फिर कोई शुभ मुहूर्त निकलवाए बिना कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। वहीं जब अक्षय तृतीया पर कई शुभ संयोग हों तो इसका महत्‍व और बढ़ जाता है। इस बार भी ऐसा ही कुछ होने जा रहा है। इस बार अक्षय तृतीया बेहद शुभ योग में होने की वजह से अगर इस दिन धन वृद्धि के लिए कुछ उपाय आजमाए जाएं तो हमें अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कौन से हैं ये शुभ योग और क्‍या हैं उपाय…
अक्षय तृतीया पर हैं ये शुभ योग
पंडित कृष्ण मेहता के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया बेहद शुभ योग में मनाई जाएगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग एवं मानस योग बन रहे हैं। जो कि बेहद शुभ योग माने जाते हैं। मान्‍यता है कि इन योग में मां लक्ष्‍मी की पूजा करने या फिर दान पुण्‍य करने से हमें विशेष फल की प्राप्ति होती है। सर्वार्थ सिद्धि योग होने से इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, भूमि पूजन और नया व्यापार आरंभ करने के कार्य बिना कोई मुहूर्त निकलवाए संपन्‍न किए जा सकते हैं। इसके अलावा मां लक्ष्‍मी को समर्पित यह त्‍योहार शुक्रवार को मनाया जा रहा है। शुक्रवार का दिन भी मां लक्ष्‍मी की पूजा को समर्पित होता है। इस दिन सच्‍चे मन से मां लक्ष्‍मी का स्‍मरण करने से आपको अक्षय फल की प्राप्ति होगी।
कौड़ियों का टोटका
धन प्राप्ति का उपाय करने के लिए अक्षय तृतीया का अवसर बेहद खास माना जाता है। इसके लिए हम आपको बता रहे हैं सफेद कौड़ियों का बेहद सरल उपाय। अक्षय तृतीया के दिन 11 कौड़ियां लेकर उसे लाल कपड़े में बांधकर पूजा के स्‍थान में रखें और अगले दिन सुबह स्‍नान करने के बाद पूजा करके ये कौड़ियां अपने धन के स्‍थान में रख लें। ऐसा करने से आपके घर में पैसा रुकने लगेगा और मां लक्ष्‍मी भी आपसे प्रसन्‍न होंगी। इस उपाय को करने से आपको अपने जीवन में यश, कीर्ति और मान-सम्‍मान प्राप्‍त होगा।
नारियल का उपाय
मां लक्ष्‍मी को नारियल सबसे प्रिय माना जाता है और अक्षय तृतीया के दिन नार‍ियल का उपाय करने से हमारे घर में धन का आगमन होता है। आपको करना यह है कि अक्षत तृतीया के दिन मां लक्ष्‍मी के समक्ष एकाक्षी नारियल लाकर स्‍थापित कर दें। ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी आप से प्रसन्‍न होंगी और आपको मनचाहे परिणाम प्राप्‍त होंगे। इस टोटके को आजमाने से आपके घर में कभी भी धन-धान्‍य की कमी नहीं होगी।
शादी में आ रही हो बाधा तो करें यह उपाय-
यह उपाय मुख्‍य रूप से उन माता-पिता के लिए है जो अपनी संतान के विवाह को लेकर परेशान रहते हैं। इस दिन आपके आस-पास जो विवाह हो रहे हों तो वहां जाकर कन्‍या को दान स्‍वरूप कुछ जरूर दें। ऐसा करने से आपके बच्‍चों के विवाह में हो रही देरी खत्‍म हो जाती है। ऐसा करने से आपके अपने भी कष्‍ट दूर होते हैं और मां लक्ष्‍मी आप से प्रसन्‍न होती हैं।
पितरों की कृपा के लिए करें यह उपाय
अक्षय तृतीया के दिन किए गए दान का अक्षय फल प्राप्‍त होता है। पितरों को प्रसन्‍न करने के लिए इस दिन दान करने का विशेष महत्‍व माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन पितरों के निमित्‍त कलश, पंखा, चप्‍पल, छाता, ककड़ी और खरबूजा दान करने का विशेष महत्‍व माना जाता है। इस दिन किसी जरूरतमंद साधु-संत को फल, शक्‍कर और घी का दान करने से खास फल प्राप्‍त होता है। इस टोटके को करने से भगवान विष्‍णु के साथ ही मां लक्ष्‍मी भी प्रसन्‍न होती हैं।
अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया 14 मई शुक्रवार को पूजा का मुहूर्त सुबह 05 बजकर 38 मिनट से 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. तृतीया तिथि का समापन 15 मई 2021 की सुबह 07 बजकर 59 मिनट पर होगा।
पंडित कृष्ण मेहता ने बताया कि अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।
अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। इसके साथ ही सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम जी जंयती मनाई जाती है। इसी दिन परशुराम जी का जन्म हुआ था। परशुराम जी को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना गया है।
पितरों को प्रसन्न करें।
अक्षय तृतीया का पर्व पितरों को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना गया है। इस दिन पिंडदान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं।सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ अक्षय तृतीया से ही माना जाता है। इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर ही द्वापर युग का समापन हुआ था।
दिनांक: 14 मई 2021
विक्रमी संवत्: 2078
मास अमांत: वैशाख
मास पूर्णिमांत: वैशाख
पक्ष: शुक्ल
दिन: शुक्रवार
तिथि: द्वितीया – 05:40:13 तक
नक्षत्र: रोहिणी – 05:44:58 तक
करण: कौलव – 05:40:13 तक, तैतिल – 18:52:42 तक
योग: सुकर्मा – 25:44:44 तक
सूर्योदय: 05:31:14 AM
सूर्यास्त: 19:03:57 PM
चन्द्रमा: वृषभ राशि- 19:13:52 तक
राहुकाल: 110:36:00 से 12:17:35 तक (इस काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है)
शुभ मुहूर्त का समय – अभिजीत मुहूर्त: 11:50:30 से 12:44:41 तक
दिशा शूल: पश्चिम
अशुभ मुहूर्त का समय –
दुष्टमुहूर्त: 08:13:47 से 09:07:58 तक, 12:44:41 से 13:38:52 तक
कुलिक: 08:13:47 से 09:07:58 तक
कालवेला / अर्द्धयाम: 15:27:13 से 16:21:24 तक
यमघण्ट: 17:15:35 से 18:09:46 तक
कंटक: 13:38:52 से 14:33:03 तक
यमगण्ड: 15:40:46 से 17:22:21 तक
गुलिक काल: 07:12:50 से 08:54:25 तक
अपार धन प्राप्ति के 6 सरल उपाय, अक्षय तृतीया पर जरूर आजमाएं…
पं0 कृष्ण मेहता ने बताया कि धन-संपत्ति का सीधा संबंध वास्तुशास्त्र से होता है। किसी भी जातक के परिवेश में सकारात्मक और नकारात्मक शक्तियां उसके जीवन पर असर डालती हैं। आइए जानते हैं वो खास परंतु सरल उपाय जिन्हें आजमाने से किसी के भी जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। अक्षय तृतीया के शुभ नक्षत्र पर जानिए कैसे करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न…
1. लग्न राशि के ‘स्वामी ग्रह’ को करें प्रसन्न : प्रत्येक जातक की एक चन्द्र राशि होती है और इसी तरह कुंडली में जन्म के समय से संबंधित एक लग्न राशि भी होती है। जातक गुण व व्यवहार को लग्न राशि काफी हद तक प्रभावित करती है। यदि किसी के कार्य नहीं बन पा रहे हैं या आर्थिक रूप से तकलीफ में हैं तो अपनी लग्न राशि के ‘स्वामी ग्रह’ के अनुकूल रंग की कोई वस्तु अपने साथ जरूर रखें या स्वामी ग्रह के रंग से संबंधित कोई एक छोटा कपड़ा अपने साथ जरूर रखें।
2. अलमारी रखें उचित स्थान पर : धन की अलमारी उत्तर दिशा के कमरे में दक्षिण की दीवार पर अगर लगी हो तो यह धनवृद्धि में लाभदायक साबित हो सकती है।
3. मुख्य द्वार पर दीपक लगाएं : प्रात:-सुबह लक्ष्मीजी का पूजन घर में प्रतिदिन किया जाना चाहिए और सायंकाल घर के मुख्य द्वार पर दाईं ओर एक घी का दीया जरूर जलाना चाहिए। इन दोनों कार्यों से धन की देवी लक्ष्मीजी प्रसन्न होकर व्यक्ति के पास ही रहती हैं।
4. घर के मुख्य द्वार पर गणेशजी का स्वरूप : गणेश भगवान के स्वरूप को घर के मुख्य द्वार पर लगाने से घर में धन संबंधित सभी समस्याओं का अंत होता है और घर में नकारात्मक शक्तियों का भी उदय नहीं हो पाता है।
5. घर में तुलसीजी का पौधा लगाएं: तुलसीजी की सेवा करने से धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती है। तुलसी के पौधे पर नियमित रूप से दीपक लगाने और पूजन से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
6. गोमाता को चारा खिलाएं : नित्य सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर गोमाता को हरा चारा या आटे का भोग लगाने से भी लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं।
पं0 कृष्ण मेहता ने बताया कि ग्रहों की शांति के लिए अक्षय तृतीया पर करें यह विशेष दान
दान जरूरतमंद क़ो ही देवे
अक्षय तृतीया का पवित्र व्रत करने पर अखंड सौभाग्य तथा संतान की प्राप्ति होती है। जिन्हें ग्रहों की दशा प्रतिकूल हों, साढ़े साती, वक्री या अस्त ग्रह हों, उन्हें विशेष दान करना चाहिए। ग्रहों की दान वस्तुएं इस प्रकार हैं-
1. सूर्य- गुड़, कमल, लाल वस्त्र, लाल चंदन, तांबा, माणिक्य, गेहूं सामर्थ्यानुसार।
2. चंद्र : सफेद वस्तुएं, सफेद वस्त्र, चावल, चंदन, घी, दही, मोती, चांदी सामर्थ्यानुसार।
3. बुध- कांसा, हरा वस्त्र, घी, मूंग, पन्ना इत्यादि।
4. गुरु- पीली वस्तुएं- वस्त्र, चना दाल, पीले फल, पुखराज, शहद, पुस्तकें इत्यादि।
5. शुक्र- श्वेत वस्तुएं- वस्त्र, चंदन, दही, घी, चांदी, हीरा, स्फटिक इत्यादि।
6. मंगल- लाल वस्त्र- वस्तुएं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, मूंगा, लाल चंदन इत्यादि।
7. शनि- काली वस्तुएं- वस्त्र, लोहा, तिल, तेल, उड़द आदि।
8. राहु- नीली वस्तुएं- वस्त्र, तेल, सीसा, लोहा, गोमेद आदि।
9. केतु- काली वस्तुएं- तिल, तेल, लोहा इत्यादि।
10. ब्राह्मण भोजन, कन्या भोजन, अन्नदान इत्यादि का भी बहुत महत्व है।
अक्षय तृतीया : अपनी राशि के अनुसार खरीदें यह वस्तुएं
अक्षय तृतीया का महत्व है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी खरीदारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीदारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं। नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है। आप अपनी राशि के अनुसार खरीद सकते हैं यह वस्तुएं :
मेष – मसूर दाल,
वृषभ – चावल, बाजारा,
मिथुन : मूंग, धनिया और वस्त्र,
कर्क – दूध, चावल,
सिंह – लाल फल, तांबा,
कन्या – मूंग दाल,
तुला – शक्कर, चावल,
वृश्चिक – जल, गुड़,
धनु – केला, पीले चावल,
मकर – काली दाल, उड़द, दही,
कुंभ – काला तिल, वस्त्र,
मीन – हल्दी, चना दाल।

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