शिक्षा का मंदिर बना यदि व्यवसाय का अड्डा, तो रातों रात लटका देंगे ताले : डीएम

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डीएम देहरादून सविन बंसल इन एक्शन

-नो इफ, नोट बट, मानकों की अनदेखी, फीस बढ़ोतरी पर कर देंगे मान्यता रद्द
– हेल्पलाईन नं. जारी होने से पूर्व ही सीएम के निर्देश पर जिला प्रशासन ने खंगाल ली थी सभी निजी स्कूलों की पूरी कुंडली
– प्रशासन के बढ़े एक्शन, तो घटने लगी नामी-गिरामी स्कूलों की फीस, अन्डरटेकिंग देते घूम रहे सीडीओ दफ्तर में
– सीएम के डीएम को सख्त निर्देश अभिभावकों बच्चों का शोषण अक्षम्य
– जिला प्रशासन के आक्रमक रवैये से बैकफुट पर शहर के प्रतिष्ठित निजी स्कूल, घटाई फीस
– जिले की कोर टीम द्वारा 25 तथाकथित प्रतिष्ठित स्कूलों पर ससाक्ष्य दमदार प्रहार
– सभी निजी स्कूल पर प्रशासन की गिद्द दृष्टि
– स्कूलों से जारी होने लगी एडवाइजरी, कहीं से भी खरीदें किताबें और ड्रेस, अभिभावकों को मिली राहत
– शिक्षा सबका अधिकार, अभिभावकों और बच्चों का शोषण बर्दाश्त नहीं -डीएम

सुहानी अग्रवाल
देहरादून (महानाद) : मुख्यमंत्री के निर्देश और जिला प्रशासन के आक्रामक रवैये से पुस्तक माफियाओं के बाद अब निजी स्कूल भी बैकफुट पर आ गए हैं। स्कूलों ने मनमाने तरीके से बढ़ाई फीस कम कर दी है। जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देश पर गठित प्रशासन की कोर टीम ने प्राप्त शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए अब तक 25 निजी स्कूलों का पिछले 5 वर्षाे के फीस स्ट्रक्चर की जांच की गई। मानक से अधिक फीस बढ़ाने वाले स्कूलों को सख्त हिदायत के बाद निजी स्कूल बैकफुट पर आ गए हैं। जिला प्रशासन की कार्रवाई के बाद स्कूलों ने मनमाने तरीके से 35 प्रतिशत तक बढ़ाई फीस स्ट्रक्चर को रिवाइज कर लिया है और मानक के अनुसार अब अधिकतम 10 प्रतिशत तक ही फीस बढ़ोतरी रखी है। साथ ही स्कूलों ने अभिभावकों को स्पष्ट एडवाइजरी भी जारी कर दी है कि अभिभावक कहीं से भी किताबें और ड्रेस खरीद सकते हैं। जिला प्रशासन की सख्त प्रवर्तन एक्शन के बाद अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है।

डीएम सविन बंसल ने सख्त चेतावनी दी है कि काई भी इफ या बट नहीं सुना जाएगा। मानकों की अनदेखी करते हुए फीस बढोतरी पर स्कूलों की मान्यता रद्द की जाएगी।

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के डीएम को सख्त निर्देश हैं कि अभिभावकों/बच्चों का शोषण अक्षम्य है। ऐसा करने वालों पर कड़ी कार्यवाही की जाए। जिला प्रशासन के आक्रमक रवैये से शहर के प्रतिष्ठित निजी स्कूल बैकफुट पर आते हुए फीस घटा रहे हैं। जिले की कोर टीम द्वारा 25 तथाकथित प्रतिष्ठित स्कूलों पर ससाक्ष्य दमदार प्रहार किये गये हैं तथा सभी निजी स्कूल पर प्रशासन गिद्द दृष्टि बनाए हुए हैं। जब जिला प्रशासन ने स्कूलों पर का शिकंजा कसा तो स्कूलों को फीस कम करनी पड़ी है। डीएम बंसल ने कड़ी चेेतावनी दी है कि शिक्षा का मंदिर यदि व्यवसाय का अड्डा बना तो रातों रात ताले लटका दिए जाएंगे। जिला प्रशासन की कार्यवाही के खौफ से अब स्कूलों से एडवाइजरी जारी होने लगी है कि कहीं से भी किताबें और ड्रेस खरीद सकते हैं, जिससे अभिभावकों को राहत मिली है।

जिला प्रशासन ने माउंट लिट्रा, सेंट जोसेफ एकेडमी, जिम पायनियर, समर वैली, स्कॉलर्स होम, संत कबीर, समरफील्ड, क्राइस्ट, चैतन्य टेक्नो स्कूल सहित अब तक 25 निजी स्कूलों में विगत पांच वर्षाे के फीस स्ट्रक्चर की गहनता से जांच की। जिसमें कुछ स्कूलों में मानकों को ताक पर रखते हुए मनमाने तरीके से 35 प्रतिशत तक फीस वृद्धि कर ली थी। जबकि कतिपय स्कूलों में इस वित्तीय वर्ष 2025-26 में कोई फीस वृद्धि नहीं होना पाया गया। मानकों का अनुपालन न करने वाले स्कूलों को जिलाधिकारी की सख्त हिदायत के बाद अपना फीस स्टेक्चर रिवाइज करना पड़ा है। स्कूलों ने अब आरटीई एक्ट और प्रोविजन के अनुसार अधिकतम फीस वृद्धि 10 प्रतिशत तक ही रखी है।

डीएम सविन बंसल ने कहा कि निर्धारित मानकों से अधिक फीस वृद्धि, अभिभावकों का शोषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कहीं से शिकायत प्राप्त हुई तो इस पर सख्त से सख्त एक्शन लिया जाएगा और ऐसे स्कूलों की मान्यता निरस्त की जाएगी। उन्होंने समस्त निजी विद्यालयों को निर्देशित किया है कि शासनादेशों के अनुरूप अपने विद्यालयों में शुल्क वृद्धि तीन वर्ष के अन्तराल में किसी भी दशा में अधिकतम 10 प्रतिशत से अधिक नहीं करेंगे।

निजी स्कूलों द्वारा किसी एक निर्धारत दुकान से किताबें और ड्रेस खरीदने के लिए अभिभावकों को मजबूर करने की शिकायत को भी गंभीरता से लेते हुए डीएम ने स्कूल संचालकों को आड़े हाथ लिया। उन्होंने स्कूलों को निर्देशित किया था कि अभिभावक और बच्चों को किसी निर्धारित दुकान से किताबें खरीदने को मजबूर न करें। डीएम के कड़े निर्देशों पर निजी स्कूलों ने अभिभावकों के लिए एडवाजारी जारी कर दी है। जिससे अभिभावक अब किसी भी दुकान से बच्चों की किताबें और ड्रेस ले सकते है। वहीं डीएम बंसल शिक्षा माफियाओं पर भी सख्त रूख अपनाए हुए हैं। विगत दिनों 4 बड़े पुस्तक भण्डार पर जीएसटी चोरी, बिल न देने, अनावश्यक सामग्री क्रय करने को विवश कर रहे थे, जिन पर सख्त एक्शन लेते हुए प्राथमिकी दर्ज करने के साथ ही दुकाने सील कर दी गई थी।

जिला प्रशासन के आक्रमक तेवर के चलते एन मेरी स्कूल ने 10 प्रतिशत फीस वृद्धि अन्डरटेकिंग दी है जो कि पहले 30 प्रतिशत कर दी थी। जिला प्रशासन के आक्रमक रवैये से जहां निजी स्कूल पंक्तिबद्ध हुए हैं वहीं अभिभावकों को भी राहत मिल रही है। डीएम की कोर टीम इन दिनों निजी स्कूलों पर नजर तरेरे हुए है। सख्त निर्देश हैं कि नियम मानों नहीं तो लाईसेंस निरस्त कर स्कूलों पर ताला जड़ दिया जाएगा। जिले में प्रथम बार शिक्षा के व्यापार पर सख्त एक्शन लिया जा रहा है। पुस्तक माफियाओं के बाद, अब निजी स्कूल बैकफुट नजर आ रहे हैं।

डीएम के सख्त निर्देश हैं कि निर्धारित मानकों से अधिक फीस, अभिभावकों का शोषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कहीं से शिकायत प्राप्त हुई तो इस पर सख्त-सख्त एक्शन लिया जाएगा। वहीं प्रशासन के रडार पर कई बडे़ निजी स्कूल हैं जिन पर कभी भी कार्रवाई हो सकती है।

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