काशीपुर : कांग्रेस-भाजपा प्रत्याशी अपने पिता के चेहरे पर तो दीपक बाली लड़ रहे हैं अपने ‘चेहरे’ पर चुनाव

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विकास अग्रवाल
महानाद डेस्क : काशीपुर में चुनाव का जोर शोर शुरु हो चुका है। लगभग सभी पार्टियों के प्रत्याशियों ने अपने-अपने नामांकन कर दिये हैं। जहां दो राष्ट्रीय पाटिर्यों भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी अपने पिता के चेहरे पर चुनाव लड़ रहे हैं तो उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में पहली बार दस्तक दे रही आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी दीपक बाली के पास किसी का चेहरा नहीं है, वे खुद अपने चेहरे को लेकर चुनावी संग्राम में उतरे हुए हैं।
बता दें कि चुनावों से कुछ समय पहले भाजपा के वर्तमान विधायक हरभजन सिंह चीमा ने पार्टी की नीति-रीति को भांपते हुए अपन सुपत्र त्रिलोक सिंह चीमा को भाजपा की सदस्यता दिलवाई और संगठन के सभी दावेदारों को दरकिनार करते हुए अपने पुत्र को भाजपा का टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। चीमा का कहना है कि मैं 4 बार का विधायक हूं और इस बार अपने पुत्र का चुनाव भी मैं ही लड़ रहा हूं और पांचवी बार फिर इस सीट को जीतकर भाजपा की झोली में डाल दूंगा।
विदित हो कि काशीपुर की जनता के लिए इस बार भाजपा प्रत्याशी त्रिलोक सिंह चीमा एकदम नये हैं और जनता में उनकी कोई जान पहचान नहीं हैं। इससे पहले उनके कोई राजनीतिक क्रियाकलाप नहीं रहे हैं। वे शुद्ध रूप से अपने पिता हरभजन सिंह चीमा के मार्गदर्शन एवं मैनेजमेंट के सहारे चुनावी समुद्र में अपनी नय्या पार लगाने में जुटे हैं। वहीं भाजपा के अन्य दावेदारों का साथ भी उन्हें पूर्ण रूप से नहीं मिल रहा है।
उधर, कांग्रेस के पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा ने तो अचानक से विस्फोट करते हुए अपने सुपुत्र नरेंद्र चंद को कांग्रेस प्रत्याशी बनाकर पार्टी के सभी दावेदारों को सकते में डाल दिया। बाबा के सुपुत्र को टिकट मिलने की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। लेकिन राजनीतिक रूप से बिल्कुल निष्क्रिय दिखाई देने वाले केसी सिंह बाबा अचानक से सक्रिय हुए और सभी दावेदारों को दरकिनार कर अपने सुपुत्र नरेंद्र चंद्र को कांग्रेस का टिकट दिलाने में कामयाब रहे।
लेकिन अब दिक्कत यह है कि जहां नरेंद्र चंद का जनता से तो कोई संवाद है ही नहीं वहीं वे अपनी पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से भी अच्छे से परिचित नहीं हैं। ऐसे में नरेंद्र चंद भी अपना पूरा चुनाव अपने पिता केसी सिंह बाबा के चेहरे पर ही लड़ रहे हैं।
वहीं आपको बता दें कि लगभग 1.5 वर्ष पूर्व राजनीति बदलने का सपना लेकर मैदान में उतरे आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी दीपक बाली ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत काशीपुर नगर के अंदर मौजूद इंदिरा गांधी स्कूल के जीर्णोद्धार सेे की। उन्होंने गिरने की हालत में पहुंच चुके स्कूल का पूर्णतः कायाकल्प कर दिखाया। इसके बाद दीपक बाली ने राजनीति में कदम रखने के लिए नई राजनीति का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को चुना और कदम दर कदम काशीपुर की समस्याओं को हल करने की कोशिशें शुरु कीं।
नई राजनीति के तहत उन्होंने अपनी सरकार के आने का इंतजार नहीं किया। लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का काम किया। अपने कार्यालय में उन्होंने ई-रिक्शा, टेम्पो चालकों के रजिस्ट्रेशन करवाये जिससे उन्हें सरकार द्वारा दिये जाने वाले 2000 रुपये महीना मिलने शुरु हुए। कोरोना के विकट समय में उन्होंने सरकारी अस्पाल में कोविड वार्ड का निर्माण कराकर चिकित्सक और स्टाफ भी मुहैया करवाया। कोरोना संक्रमितों को खाना, मेडिकल सुविधायें आदि मुहैया करवाई।
जन सेवा के साथ-साथ दीपक बाली ने आम आदमी पार्टी में एक अलग मुकाम हासिल किया। अपनी सक्रियता के कारण वे काशीपुर में ही नहीं पूरे उत्तराखंड में ‘आप’ का चेहरा बनकर उभरे। जहां हर पार्टी का सेंटर देश की राजधानी देहरादून में है वहां बाली ने आप का सेंटर काशीपुर को बनाकर दिखा दिया। उत्तराखंड में पार्टी के हर अहम फैसले में उनकी राय जरूरी हो चुकी है। विगत 1.5 वर्षों में काशीपुर के कोेने-कोने में पहुंच चुके हैं। इसीलिए जहां भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी अपने पिता के चेहे के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने में लगे हैं वहां दीपक बाली खुद एक ‘चेहरा’ बन चुके हैं।

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