काशीपुर का नवनिर्माण करने में सक्षम हैं राज्य आंदोलनकारी दीपक बाली : बीपी कोटनाला

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विकास अग्रवाल
काशीपुर (महानाद) : वरिष्ठ अधिवक्ता बीपी कोटनाला ने कहा है कि विकास की बाट जोहते काशीपुर का नवनिर्माण राज्य आंदोलनकारी दीपक बाली ही कर सकते हैं।

‘महानाद’ से विशेष बातचीत करते हुए बीपी कोटनाला एडवोकेट ने कहा कि पिछले 20 सालों में भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा ने काशीपुर को कस्बा बना डाला। यदि उन्होंने काशीपुर का विकास किया होता तो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत को इसे कस्बा न कहना पड़ता। जनता की मांग को ध्यान में रखकर यदि काशीपुर को जिला बनवा दिया होता तो आज काशीपुर की तस्वीर कुछ और ही होती। जो विधायक अपने 5 साल के कार्यकाल में दोनों रेल ओवर ब्रिज नहीं बनवा पाये अब उनके पुत्र यदि विधायक बन भी जाते हैं तो वे भी क्या कर पायेंगे। क्योंकि चाहें वे विधायक नहीं थे लेकिन उनके पिता 20 सालों से काशीपुर के विधायक हैं। ऐसे में वे चाहते तो वे भी जनता के बीच काम कर जनता को समस्याओं से निजात दिला सकते थे।

कोटनाला ने कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस की भी 2 बार सरकार रह चुकी है। और केसी सिंह बाबा दो बार सांसद रह चुके हैं। लेकिन उन्होंने भी काशीपुर को जिला बनाने का कोई प्रयास नहीं किया। उत्तराखंड बनने के बाद के लगभग 22 सालों में भाजपा-कांग्रेस सरकारों ने काशीपुर को विकास से दूर करने का काम ही किया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता बीपी कोटनाला ने कहा कि इस बार काशीपुर में विकल्प के रूप में कोई व्यक्ति उभर कर आया है तो वह है आम आदमी पार्टी प्रत्याशी राज्य आंदोलनकारी दीपक बाली।

कोटनाला ने कहा कि जिस व्यक्ति (दीपक बाली) ने उत्तराखंड निर्माण की लड़ाई लड़ी। 17 दिन जेल में बिताये। राज्य सरकार ने उन्हें राज्य आंदोलनकारी घोषित किया और आज भी उन्हें पेंशन दे रही है। वहीं व्यक्ति काशीपुर का नवनिर्माण कर सकता है। उन्होंने कहा कि विधायक के हाथ खड़े करने के बाद दीपक बाली ने सड़क पर उतरकर जनता की समस्याओं को हल करना शुरु किया। उन्हीं के प्रयासों से ओवर ब्रिज निर्माण में गति आई। सर्विस रोड का निर्माण हुआ। कोरोना से लड़ाई में सरकारी अस्पताल में कोविड वार्ड का निर्माण करवाया। कोविड संक्रमितों को भोजन उपलब्ध करवाया। बेड के लिए तरस्ते लोगों को बेड उपलब्ध करवाये। इंदिरा गांधी स्कूल का नवनिर्माण करवाया।

कोटनाला ने कहा कि कांग्रेस व भाजपा दोनों ही अपने पुराने सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, लोकसेवा, लोकतन्त्र रक्षा के व्रत को भूल चुके है। उनके लिए सत्ता सर्वोपरि हो गयी है। सौभाग्य का ‘दीपक’ प्रज्ज्वलित हो गया है, आओ उसके विजय पथ को प्रशस्त करें।

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