नहीं है बहस का समय, रामदेव ने किया कोरोना योद्धाओं का अपमान : दीपिका गुड़िया

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काशीपुर (महानाद) : प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सदस्य डॉ. दीपिका गुड़िया आत्रेय ने स्वामी रामदेव द्वारा उत्पन्न की गई अनर्गल बहस का विरोध करते हुए कहा कि एक तरफ जहाँ सारा देश कोरोना और ब्लैक फंगस जैसी महामारियों से खुद को बचाने की जद्दोजहद में है, जिसको जैसे भी उचित लग रहा है वह वैसे ही स्वयं को सुरक्षित करने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में योग शिक्षक स्वामी रामदेव ने आयुर्वेद और एलोपैथ के बीच एक नई अनावश्यक बहस छेड़ दी है जिसका मकसद मात्र ध्यान आकर्षित करने का लगता है क्योंकि उसके पीछे कोई सकारात्मक समाधान तो नहीं लग रहा है।

दीपिका गुड़िया ने कहा कि आयुर्वेद प्राचीन भारतीय चिकित्सा की अनमोल धरोहर है, जिसकी महत्ता विश्व स्वीकार करता है। किन्तु बीमारियों से त्वरित सुरक्षा प्रदान करने में एलोपैथ का विशिष्ट महत्व है। व्यर्थ का विवाद सिर्फ एक बहस को जन्म देता है ना कि निराकरण को। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एवं फार्मा कम्पनियों को स्वामी रामवेद ने अपने खुले पत्र में 25 सवाल पूछे हैं जिसका फिलहाल कोई औचित्य नहीं है। आईएमए द्वारा तीखी प्रतिक्रिया एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के दखल के बाद भले ही स्वामी रामदेव ने अपना वक्तव्य वापस ले लिया हो लेकिन इतने जिम्मेदार लोगों को इस संकटकाल में ऐसे बयानों से बचना चाहिये।

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गुड़िया ने कहा कि योग गुरु द्वारा की गई टिप्पणी से कोरोना योद्धाओं का अपमान हुआ है। उन चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों का अपमान हुआ है जिन्होंने इस संकट काल में सेवा करते-करते अपनी जान गँवा दी।

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