उत्तराखंड। बैंकों के निजीकरण के विरोध और छह मांगों के लिए बैंकों की देशव्यापी हड़ताल का धर्मनगरी में मिलाजुला असर देखने को मिला। हड़ताल के कारण एक दिन में लगभग 50 करोड़ का कारोबार ठप रहा। उपभोक्ताओं को भी बैंकों के बंद रहने से परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके कारण एटीएम और नकदी जमा करने वाली मशीनों पर अधिक दबाव देखने को मिला। मंगलवार को भी हड़ताल जा रहेगी।
केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ सेंट्रल ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चे के आह्वान पर बैंक, एलआईसी समेत विभिन्न कर्मचारियों की दो दिवसीय हड़ताल सोमवार से शुरू हुई। यूनियन के हड़ताल के आह्वान का धर्मनगरी में मिला-जुला असर दैखने को मिला। उत्तरांचल बैंक एंपलाइज यूनियन के बैनर तले पंचपुरी के बैंककर्मियों ने नगर निगम हरिद्वार में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। बैंकों से जुड़ी आठ यूनियनों से जुड़े तीन यूनियनों के कर्मचारी बैंकों से निकलकर धरना-प्रदर्शन स्थल पर पहुंच गए। बीईयू के महामंत्री राजकुमार सक्सेना ने कहा कि केंद्री सरकार की जनविरोधी और कर्मचारी विरोधी नीतियों के चलते बैंकों के साथ ही उपभोक्ताओं को भी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। बैंकों का निजीकरण कर सरकार कर्मचारियों को सड़क पर लाना चाहती है। साथ ही इससे आने वाले समय में रोजगार के अवसर भी युवा खो देंगे। इस मौके पर बीईयू के संयुक्त महासचिव राहुल खुराना, अमित, प्रवीण, राजकुमार, अनुज केशव मौजूद थे।
30 मार्च से बढ़ेगा दबाव
हरिद्वार। दो दिवसीय हड़ताल से बैंकों में कामकाज प्रभावित रहा। इससे पहले शनिवार और रविवार को भी काम नहीं होने से और अब वित्तीय वर्ष के आखिरी सप्ताह में हो रही इस हड़ताल से उपभोक्ताओं का सोमवार को भी कोई काम नहीं हुआ। मंगलवार को भी यही स्थिति रहेगी। इससे बैंकों से जुड़े लोगों को बुधवार तक का इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में मार्च का महीना होने के कारण उपभोक्ताओं के पास वित्तीय वर्ष का लेखाजोखा पूरा करने के लिए दो दिन का समय रहेगा। इससे बैंकों में 30 मार्च और 31 मार्च को दबाव बढ़ सकता है।
बैंक कर्मियों की ये हैं प्रमुख मांगें
– बैंकों का निजीकरण रोका जाए।
– आउट सोर्सिंग व्यवस्था बंद की जाए।
– सभी ठेका कर्मचारियों एवं बिजनेश कॉरेस्पोंडेंट को नियमित किया जाए।
– हेयर कट्स पर रोक लगाई जाए।
– नेशनल पेंशन स्कीम समाप्त की जाए।
– महंगाई भत्ते से संबंध पेंशन योजना बहाल की जाए।
इन दिनों मार्च फाइनल का काम चल रहा है। इसकी वजह से दबाव अधिक है। हड़ताल से बैंकों पर तो असर पड़ा ही है 50 करोड़ रुपये के आसपास कारोबार प्रभावित हुआ है। फिर भी धर्मनगरी में सभी यूनियनों के हड़ताल में शामिल नहीं होने से मिलाजुला असर रहा है