यूपी : पहले होगी शिकायतों की जांच, फिर दर्ज होगी एफआईआर

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लखनऊ : यूपी में अब सिविल मैटर में पहले शिकायतों की जांच की जायेगी उसके बाद ही एफआईआर दर्ज की जायेगी।

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की सरकार ने सिविल मामलों में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने से पहले जांच का आदेश दिया है। मामले में डीजीपी ने सभी जिलों व पुलिस कमिश्नरेट को दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा है कि उत्तर प्रदेश के विकास कार्यों को गति देने के लिए ‘इज आफ डूइंग बिजनेस’ के प्रति शासन-प्रशासन दृढ़ संकल्पित है। ऐसे में आवश्यक है कि किसी भी उद्यमी, व्यापारी, शैक्षिक संस्थान, अस्पताल, बिल्डर तथा होटल-रेस्टोरेंट आदि से संबंधित स्वामी तथा प्रबंधन स्तर के कर्मचारियों का किसी प्रकार से उत्पीड़न न होने पाए। इसके तहत उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जाये।

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पुलिस मुख्यालय ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी एक रिट याचिका संख्या- 68/2008, ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसे प्रकरण जो सिविल प्रकृति के हैं या व्यवसायिक विवाद से संबंधित हैं या किसी प्रतिष्ठान-संस्थान में आकस्मिक दुर्घटना से संबंधित हैं, उनमें एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच कराए जाने की एक औपचारिक प्रक्रिया निर्धारित की है। अतः सभी महत्वपूर्ण संस्थानों-प्रतिष्ठानों जैसे चिकित्सा, शिक्षा व विनिर्माण आदि में आकस्मिक दुर्घटनाओं में एफआईआर दर्ज करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रार्थना पत्र में नामित अभियुक्त का घटना से प्रत्यक्ष संबंध है या नहीं। कहीं आरोपी को व्यवसायिक प्रतिद्वंदिता, विवाद या स्वेच्छाचारिता के कारण तो नामित नहीं किया जा रहा है या कहीं अनावश्यक दबाव या अनुचित लाभ के उद्देश्य से तो नामित नहीं किया गया है?

डीजीपी मुख्यालय ने बताया कि इसका एकमात्र उद्देश्य यह है कि सिविल प्रकृति के विवादों को आपराधिक रंग देते हुए एफआईआर दर्ज कराने की प्रवृत्ति को कम किया जा सके तथा न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर एफआईआर दर्ज कराने के अभ्यस्त शिकायतकर्ताओं पर नियंत्रण पाया जा सके। इससे निवेशकों के लिए प्रतिकूल वातावरण होने से बचा जा सकेगा तथा राज्य को अधिक निवेश प्राप्त हो सकेगा।

डीजीपी मुख्यालय ने कहा है कि इस आदेश का यह मतलब नहीं है कि संज्ञेय अपराध घटित होने के प्रत्येक मामले में प्रारंभिक जांच कराई जाएगी। ऐसे मामले, जिनमें शिकायती प्रार्थना पत्र से संज्ञेय अपराध का होना स्पष्ट है, उन मामलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार तत्काल एफआईआर दर्ज की जाएगी।

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