Uttarakhand News: उत्तराखंड के कई जिले लंपी बीमारी की चपेट में है। गाय व भैंसों में यह रोग ( Lumpy Skin Disease) गंभीर रूप से फैल रहा है। ऐसे में बढ़ते खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। शासन ने राज्य में गो व महिष वंशीय पशुओं के परिवहन पर रोक लगा दी है। केवल पशु चिकित्सक के प्रमाणपत्र के बाद ही परिवहन की अनुमति मिल सकेगी। साथ ही लोगों से पशुओं को बिमारी से बचाने के लिए बचाव की अपील की गई है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार राज्य सरकार ने राज्य के भीतर पशु चिकित्सक के प्रमाणपत्र के आधार पर ही पशु को एक से दूसरे स्थान पर ले जाने की अनुमति होगी। अन्य राज्यों से लाए जाने वाले पशुओं के मामले में भी फिलहाल यही नियम लागू होगा। अन्य राज्यों से लाए जाने वाले पशुओं के मामले में भी फिलहाल यही नियम लागू होगा।
वहीं शासन द्वारा पशुपालकों से खास निवेदन किया गया है। शासन की अपील है कि अपने पालतू जानवरों से संक्रमित पशुओं को दूर रखना जरूरी है। साथ ही मवेशियों के रहने वाली व आसपास की जगहों की नियमित सफाई करना भी अनिवार्य है। इसके अलावा पालतू जानवर जहां रहते हैं वहां मच्छरों और मक्खियों को न पनपने देने का अनुरोध किया गया है।
बताया जा रहा है कि राज्य में पशुपालकों के लिए लंपी त्वचा रोग परेशानी का सबब बना हुआ है। पशुओं में लंपी रोग के कारण हरिद्वार जिले में सर्वाधिक 3354, देहरादून जिले में 370, पौड़ी में 26 और टिहरी जिले में चार पशु बीमार पड़े हैं। अबतक कुल 67 की मृत्यु हो चुकी है। इसके लिए टीकाकरण शुरू हो गया है। अब तक हरिद्वार जिले में 8428 और देहरादून में 1047 पशुओं का टीकाकरण हो चुका है।
बता दें कि लंपी रोग एक संक्रामक बीमारी है। यह रोग मच्छर, मक्खी, जूं इत्यादि के काटने या सीधा संपर्क में आने अथवा दूषित खाने या पानी से फैलता है। बीमार होने पर बुखार के साथ पशु कमजोरी महसूस करता है और त्वचा पर चकत्ते हो जाते हैं।