पंजाब : अपनी कुर्सी बचाने को अमरिंदर सिंह दे रहे विधायक पुत्रों को सरकारी नौकरी

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चंडीगढ़ (महानाद) : शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर अपनी कुर्सी बचाने के लिए विधायक पुत्रों को सरकारी नौकरी देने के आरोप लगाते हुए कहा कि 2022 में राज्य में शिअद-बसपा गठबंधन की सरकार बनते ही ऐसी सभी अवैध नियुक्तियों को रद्द किया जाएगा।
बता दें कि पंजाब सरकार ने अपने दो विधायकों के पुत्रों को अधिकारी बनाने के प्रस्ताव को मात्र 3 मिनट में मंजूरी दे दी। सरकार ने सांसद प्रताप सिंह बाजवा के भतीजे तथा विधायक फतेहजंग बाजवा के बेटे अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर तथा विधायक राकेश पांडे के बेटे भीष्म पांडे को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार बना दिया। नियुक्त किया गया।
इन दोनों को नौकरी देने के लिए सरकार ने पहले अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने संबंधी नियमों में संशोधन किया और फिर दोनों को अनुकंपा के आधार पर ही नौकरी दी गई है। बता दें कि इन दोनों के दादा पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा और जोगिंद्र पाल पांडे की पंजाब में आतंकवाद के दौर में आतंकवादियों ने हत्या की थी। अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियों संबंधी पॉलिसी 2002 में एक बार छूट देकर इसे विशेष केस मानते हुए इन दोनों को नौकरी दे दी गई। और फिर यह भी कह दिया गया कि इसे प्रथा के तौर पर नहीं माना जायेगा और फिर किसी को इस आधार पर नौकरी नहीं दी जायेगी।
सरकार के इसी कदम के कारण विपक्षी शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाते हुए कहा कि मात्र अपनी कुर्सी बचाने के लिए सरकार ने ये संशोधन किया और अपने चहेतों को नौकरी देकर यह भी कह दिया कि इस तरीके से दोबारा नौकरी नहीं दी जायेगी।
अकाली दल अध्यक्ष सुखवीर बादल ने कहा कि यह बेहद निंदनीय है कि जहां प्रदेश के गरीब और होनहार छात्र नौकरियों का इंतजार कर रहे हैं, वहां कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस सरकार ने घर-घर नौकरी योजना को बदलकर केवल कांग्रेस घर नौकरी में बदल दिया है। पहले पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते को अनुकंपा के आधार पर डीएसपी बनाया था। अब कांग्रेसी विधायक फतेहजंग सिंह तथा राकेश पांडे के पुत्रों को नियम में संशोधन कर इंस्पेक्टर और नायब तहसीलदार के पद पर तैनात कर दिया।
सुखवीर बादल ने कहा कि 1987 में जब पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा को गोली मारी गई थी तब थाने में दर्ज एफआईआर में कहा गया था कि सतनाम सिंह बाजवा को व्यक्तिगत मतभेद के चलते गोली मारी गई थी। फिर इसमें कुर्बानी का तो सवाल ही पैदा नहीं होता, जिसके आधार पर बाजवा के पोते को उनकी मौत के 33 साल बाद सरकारी नौकरी से नवाजा जा रहा है। बादल ने कहा कि 2022 में उनकी सरकार बनते ही वे इन अवैध नियुक्तियों को रद्द कर देंगे।

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