उत्तराखंड में सांस्कृतिक नगरी में पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाएं हैं। हर साल देशी व विदेशी पर्यटक हजारों की संंख्या में पहुंचते हैं। सरकार ने स्थानीय लोगों को पर्यटन कारोबार से जोड़ने के लिए लाभकारी होम स्टे योजना से जोड़ना शुरू कर दिया है। पर्यटन विभाग द्वारा युवाओं को होम स्टे के जरिए स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कवायद जारी है। बताया जा रहा है कि युवाओं को होम स्टे के लिए आसानी से लोन उपलब्ध कराया जाएगा। जिलों में होम स्टे के लिए आवेदन मांगे जाने शुरू हो गए हैं।
विभाग ने दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास योजना (होम स्टे) के तहत युवाओं से आवेदन मांगे हैं। इसके तहत स्थानीय लोग नए होम स्टे बनाने के साथ पुराने घर भी होम स्टे में बदल सकते हैं। इसके लिए उन्हें रियायती दरों पर लोन के साथ सब्सिडी भी दी जाएगी। ऐसे लोग जो अपने घरों में रह रहे हैं, वो पर्यटकों-अतिथियों के लिए एक से छह कमरों तक के होम स्टे संचालित कर सकते हैं। इसमें पारंपरिक पहाड़ी शैली में बने, विकसित भवनों की प्राथमिकता दी जाएगी।
बताया जा रहा है कि इस योजना के तहत लोग पुराने घर की मरम्मत सुदृढीकरण भी कर सकते हैं और नया निर्माण भी कर सकते हैं। योजना के तहत लाभार्थियों को कुल लागत का 50% या 15 लाख रुपये, जो भी कम हो वो सब्सिडी के रूप में मिलेंगे। साथ ही ऋण के सापेक्ष देय ब्याज का 50% या 1.5 लाख, इनमें से जो कम हो, वो प्रतिवर्ष की दर से मिलेगा। लोगों को 12.5% मार्जिन मनी के रूप में योजना में लगानी होगी। इसके सापेक्ष 87.5% बैंक लोन उपलब्ध कराया जाएगा।
रिपोर्ट की माने तो राज्य में 5150 होम स्टे पंजीकृत हो भी चुके हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार पोर्टल msy.uk.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। आवेदकों को पंजीकृत आर्किटेक्ट से बनाया नक्शा जमा करना होगा। जमीन या पुराने मकान का फोटो अपलोड करना होगा। बैंक का सहमति प्रमाण पत्र, आवेदक की फोटो, पहचान पत्र • आधार कार्ड जमा कराना होगा।