जसपुर रोडवेज बस अड्डा मामले में विवाद, अधिकारी गुमराह और जनता भ्रमित

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पराग अग्रवाल
जसपुर (महानाद) : पूर्व विधायक एवं भाजपा नेता डॉक्टर शैलेंद्र मोहन सिंघल ने उत्तराखंड परिवहन निगम के बस अड्डे के मामले में राजस्व अधिकारियों पर परिवहन निगम के अधिकारियों को गुमराह करने व क्षेत्र की जनता को भ्रमित करने के आरोप लगाए हैं।

भाजपा कार्यालय पर आयोजित पत्रकार वार्ता में पूर्व विधायक डॉ शैलेंद्र मोहन सिंघल ने कहा कि 17 नवंबर वर्ष 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर खसरा नंबर 101, रकबा 0.121 हेक्टेयर खसरा नंबर 102 रकबा 0.057 हेक्टेयर भूमि को रोडवेज बस अड्डे के लिए अधिग्रहित करने का आदेश कर बस अड्डे का शिलान्यास किया था। यह भूमि वर्ग 3 में दर्ज थी। जिसके कब्जेदार इस अधिग्रहण के खिलाफ उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश ले आए थे। तभी से इस भूमि पर उच्च न्यायालय का स्थगन आदेश चला रहा है।

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डॉ. सिंघल ने बताया कि 28 जुलाई को राजस्व अधिकारियों द्वारा खसरा नंबर 100 क रकबा 0.539 खसरा नंबर 96 ग रकबा 0.024 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण उत्तराखंड परिवहन निगम के अधिकारियों को किया। जबकि कब्जा खसरा नंबर 101 वह 102 पर करा दिया। यह भूमि वर्ग 3 की भूमि है। इस भूमि पर उच्च न्यायालय का स्थगन आदेश है। उन्होंने राजस्व अधिकारियों पर उत्तराखंड परिवहन निगम के अधिकारियों को गुमराह करने क्षेत्र की जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया है।

प्रेस वार्ता के दौरान सुधीर विश्नोई, तरुण गहलौत, अंकुर सक्सेना, डॉ. सुदेश चौहान, सरवन सिद्धू, अनिल नागर आदि मौजूद रहे।

वहीं, नायब तहसीलदार बीसी आर्य ने बताया कि जिस भूमि के खसरा नंबर शासन से हस्तांतरण किए गए हैं। उन्हीं खसरा नंबरों के रकबे पर कब्जा कराया गया है। फिर भी आरोपों की जांच की जाएगी।

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