मोदी विरोध में मर्यादा भूल जाते हैं राहुल गांधी

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अंशिता

देवबंद (महानाद) : कांग्रेस के बड़बोले नेता राहुल गांधी ने उस समय हद कर दी जब वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए मर्यादा भूल गये। राहुल गांधी को देश की जनता कभी गम्भीरता से नहीं लेती है, क्योंकि वह कब क्या बोलदे कहा नही जा सकता है । राहुल गांधी ने डोकलाम विवाद को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को डरपोक कहने सहित कई ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जो उनकी योग्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। राहुल गांधी ने रक्षामंत्री व सेना पर भी उंगली उठाई, मगर सेना ने अपना पक्ष रखकर राहुल गांधी को आईना दिखा दिया है।

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अब सवाल यह पैदा होता है कि कांग्रेस जो कभी देश की नम्बर वन पार्टी हुआ करती थी, आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है और उसका नेतृत्व राहुल गांधी जैसे भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता से अनभिज्ञ व्यक्ति के हाथ में है। राहुल को आम आदमी की जीवन शैली, रहन सहन और तौर तरीकों का तक ज्ञान नहीं है, इनको तो यह भी पता नही कि सोना कैसे बनता है, यह आलू से सोना बनाना जानते हैं। इनकी भी खता नहीं है पचास साल पहले इनके चाचा संजय गांधी ने भी खेतों में गुड़ उगाने की बात की थी। वह खेत में पैदा गुड़ से गन्ना बनाने की बात कहते थे।

राहुल गांधी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में इतने विवेकहीन हो गये हैं कि इनको इतना भी ज्ञान नहीं रहा कि वह 135 करोड़ जनता वाले देश के मजबूत प्रधानमंत्री हैं। नरेन्द्र मोदी इस समय दुनियां के सर्वमान्य तथा प्रथम नेता हैं। राहुल गांधी को तो प्रधानमंत्री से राजनीतिक गुण सीखने चाहिए थे परन्तु वह क्या सीखते उनकी पार्टी के सीखे सिखाए नेता भी उनकी बेतुकी तथा अमर्यादित बातों पर खुश होकर कांग्रेस की कब्र खोदने में लगे हैं।

कांग्रेस के नेताओं का राहुल गांधी के अमर्यादित शब्दों को लेकर कोई सार्थक प्रतिक्रिया का न करना चिन्ता का विषय है। कांग्रेस नेताओं के चुप रहने से एक बात तो पक्की है, कि वह नही चाहते हैं कि राहुल गांधी कांग्रेस के नेता ही नहीं देश के प्रधानमंत्री बने। क्या कांग्रेस के नेता नहीं समझते हैं कि राहुल गांधी समय-समय पर कुछ ऐसी बयानबाजी कर देते हैं, जिसके कारण पार्टी ऊपर उठने के बजाये धुडुम हो जाती हैं। राहुल गांधी नरेन्द्र मोदी को चीन से डरने वाला व चीन को फिंगर फोर पर भूमि कब्जा कराने का आरोप लगाते हैं, मगर राहुल गांधी यह कैसे भूल गये कि उनके परनाना ने तो तिब्बत के विशाल भूभाग पर ही चीन का कब्जा करा दिया था। प्रधानमंत्री को डरपोक बताने वाले राहुल गांधी बतायें कि मुम्बई हमले (2008) के समय देश में कांग्रेस की ही सरकार थी और भारतीय सेना पाकिस्तान से आतंकी हमले का बदला लेना चाहती थी, सेना की तैयारी पूर्ण थी, मगर तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह ने सेना को स्वीकृति प्रदान नहीं की थी, आखिर क्यों? जनता ने और तत्कालीन विपक्ष ने तो उनको डरपोक नहीं कहा था, जबकि उनका उस समय का आचरण कुछ ऐसा ही था। क्योंकि उस समय का विपक्ष तथा उसके नेता देश से प्रेम करते थे।

कांग्रेस के रणनीतिकारों की बुद्धि पर अफसोस हो रहा है, कि वह भी अपनी पार्टी के सुप्रीम लीडर को सही रास्ता दिखाने के स्थान पर उनकी बेतुकी बातों का समर्थन करते हैं। उत्तर प्रदेश को जीतने के चक्कर में कांग्रेस के नेताओं को कुछ नही सूझ रहा है और बेतुकी बयानबाजी कर रहे हैं। जनता भी कांग्रेस व राहुल गांधी की बातों को गम्भीरता से नहीं ले रही है। यदि कांग्रेस तथा राहुल गांधी इसी प्रकार बिना सोचे समझे बयानबाजी करते रहे तो इस बात से इंकार नही किया जा सकता है कि कांग्रेस पहले से कुछ अच्छा नहीं कर पायेगी।

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