सल्ट : मनरेगा में NMMS माध्यम से उपस्थिति का प्रधानों ने किया विरोध, दी आन्दोलन की चेतावनी

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मोहित गोयल
सल्ट (महानाद) : मनरेगा के अंतर्गत एनएमएमएस के माध्यम से उपस्थिति का विरोध बढ़ता जा रहा है। जगह-जगह ग्राम प्रधान इसका विरोध करते नजर आ रहे हैं। इसी क्रम में प्रधानों ने ज्ञापन देकर इसे वापिस लेने की मांग की।

आपको बता दें कि 1 जनवरी 2023 से उत्तराखंड राज्य में मनरेगा के अंतर्गत एनएमएमएस के माध्यम से उपस्थिति अनिवार्य हो गई है। विकास खंड सल्ट में प्रधान संगठन अध्यक्ष रविदत्त ने प्रधानों के साथ मिलकर इसका पुरजोर विरोध किया और उपजिलाधिकारी सल्ट गौरव पांडे के माध्यम से एक ज्ञापन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री भारत सरकार को   भेजा।

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रविदत्त ने कहा कि पहाड़ों में भौगोलिक परिस्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यहाँ अधिकांश गांवों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या बनी रहती है, जिसके चलते मोबाइल से मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया जाना संभव नहीं है। इसकी वजह से गांव वालों के सामने बेरोजगारी का संकट खड़ा हो सकता है। ग्रामीण अपनी मजदूरी से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि एमआईएस साइट को दिनों-दिन जटिल बनाया जा रहा है जबकि ग्राम प्रधान और संबंधित कर्मचारियों को बिना प्रशिक्षण प्रदान किए ही सिस्टम को लागू किया जा रहा है।

इसके अलावा प्रधानों ने मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों में 20 कार्यों की बाध्यता का विरोध भी किया। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों में विभिन्न कार्यों की अधिकता रहती है। लेकिन 20 विकास कार्यों की बाध्यता के कारण वह इससे ज्यादा कार्य नहीं कर पाते हैं। प्रधानों ने केंद्रीय वित्त से ग्राम पंचायतों को मिलने वाली 15 वित्त की धनराशि आज तक ना मिलने पर भी नाराजगी व्यक्त की, जिसकी वजह से ग्राम पंचायतों में विकास कार्य पूर्णतया ठप पड़ा हुआ है।

सल्ट प्रधान संगठन अध्यक्ष रविदत्त ने कहा कि यदि सरकार ने जल्द से जल्द हमारी मांगों पर पुनर्विचार नहीं किया तो उत्तराखंड के प्रत्येक विकास खंडों में ग्राम प्रधानों द्वारा 12 जनवरी से धरना प्रदर्शन किया जाएगा और मनरेगा कार्य का पूर्णतया बहिष्कार किया जाएगा।

प्रदर्शन करने वालों में ग्राम प्रधान संगठन अध्यक्ष रविदत्त, उपाध्यक्ष चंद्र प्रकाश शर्मा, विजय ध्यानी, हेमा देवी, महिला उपाध्यक्ष बबीता देवी, नीमा देवी, मंजू देवी, जितेंद्र सिंह, आनंद भट्ट, साहिल, सुरेंद्र सिंह आदि मौजूद थे।