खोह नदी में गिरने वाले 09 नालों को टैप करने सहित होंगे ये काम, केंद्र ने दी स्वीकृति…

0
272

केंद्र से उत्तराखंड को करोड़ों रुपए की सौगात मिली है। ये सौगात प्रदेश को कई निर्माण कार्यों के लिए मिली है। बताया जा रहा है कि उत्तराखण्ड राज्य को नमामि गंगे परियोजना के तहत् गंगा नदी जल प्रदूषण नियंत्रण के लिए लगभग 135 करोड रूपए की लागत परियोजना को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार की 52 वीं कार्यकारी समिति की बैठक में सैद्धान्तिक स्वीकृति मिली है। जिसपर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का आभार व्यक्त किया है।

मिली जानकारी के अनुसार स्वीकृत परियोजना में उत्तराखंड के जनपद पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र के कोटद्वार शहर में बहने वाली खोह नदी में गिरने वाले 09 नालों को टैप करने एवं 21 एम.एल.डी. सीवेज शोधन संयंत्र के निर्माण की स्वीकृति हेतु सहमति प्रदान की गई है।  करीब डेढ़ दशक पूर्व तक यह नदी कोटद्वार नगर के साथ ही आसपास के तमाम गांवों की प्यास बुझाती थी। खोह नदी कोटद्वार नगर से बहते हुये रामगंगा नदी में मिलती है, जो कि गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदी है। परियोजना के निर्माण से खोह एवं रामगंगा नदी के पारिस्थितिकी तंत्र में तो सुधार होगा ही साथ ही साथ गंगा नदी में दूषित जल का प्रवाह भी रूकेगा।

कहा जाता है कि खोह नदी वही खोह है जिसके तट पर अप्सरा मेनका अपनी नवजात पुत्री को छोड़कर वापस स्वर्ग लौट गई थी। इसके तट पर शकुंत पक्षी ने अपने पंख फैलाकर उस नवजात की तेज धूप से रक्षा की थी। यही नवजात बालिका बाद में शकुंतला के नाम से जानी गई। इसी शकुंतला के गर्भ से भरत ने जन्म लिया, जो आगे चलकर चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम से प्रसिद्ध हुए। ये नदी सदियों से लोगों का जीवन बचाती आई है, लेकिन इस नदी का ही जीवन खतरे में है। अब इसे बचाने की कवायद तेज हो गई है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here