शहर में कितना पानी रोजाना हो रहा सप्लाई, कहां हो रही लीकेज, ऐसे मिलेगी जानकारी…

0
40

Dehradun News: देहरादून में अब बूंद-बूंद पानी का हिसाब हो सकेगा। इसके लिए हाइटेक उपकरण का उपयोग होगा जिसका ट्रायल सुरू हो गया है। बताया जा  रहा है कि स्मार्ट सिटी की स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्यूजीशन) परियोजना एक ऑटोमेशन संबंधित एकीकृत स्वचालित प्रणाली है जिसमें सॉफ्टवेयर के माध्यम से उपकरणों का संचालन किया जाता है। इसके जरिये उत्तराखंड जल संस्थान को एक ही स्थान से पानी सप्लाई की पूरी जानकारी मिल रही है जैसे किस क्षेत्र में कितना पानी सप्लाई हुआ, बूस्टरों में कितना पानी है, किस इलाके में कितना पानी जा रहा है। वहीं, लीकेज आदि की जानकारी भी दाब नियंत्रण उपकरणों के माध्यम से सॉफ्टवेयर में प्रदर्शित होती है जिससे नियंत्रण कक्ष में आसानी से उपलब्ध हो रही है।

शहर में कितना पानी रोजाना हो रहा सप्लाई?

बताया जा रहा है कि वाटर स्काडा सिस्टम का मूल उद्देश्य बिजली की बचत के साथ -साथ पेयजल की बर्बादी पर भी अंकुश लगाना है। अभी तक किस क्षेत्र में कितना पानी सप्लाई हो रहा है, इसकी जानकारी नहीं होती है, लेकिन स्काडा सिस्टम से इसके बारे में आसानी से पता चल रहा है।  उत्तराखंड जल संस्थान देहरादून शहर के किस इलाके में कितना पानी रोजाना सप्लाई कर रहा है? किस बूस्टर में कितना पानी है? कितनी मात्रा में किस क्षेत्र में पानी जा रहा है? इसकी जानकारी अब वाटर स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्यूजीशन) के जरिये मिल रही है।

Advertisement

चार करोड़ रुपये से अधिक की बचत का लक्ष्य

देहरादून स्मार्ट सिटी लि. द्वारा प्रदेश सरकार को एक साल में समग्र रूप में चार करोड़ रुपये से अधिक की बचत कराने का लक्ष्य निर्धारित कर चुका है। मौजूदा समय में एस्को मॉडल स्काडा परियोजना के अंतर्गत जल संस्थान के 206 ट्यूबवेल, 11 बूस्टर पंपिंग स्टेशन और 72 ओवरहेड टैंक का स्वचालन अत्यधिक ऊर्जा दक्ष उपकरणो के माध्यम से किया जाना प्रस्तावित था जिस कार्य को पूर्ण कर वर्तमान में ट्रायल रन किया जा रहा है। इनके जरिये शहर में पेयजल सप्लाई की जाती है। पानी की सप्लाई में वर्तमान में सालाना लगभग 35 करोड़ रुपये की बिजली खर्च होती है। लेकिन, स्काडा सिस्टम के जरिये लगभग 15-20 प्रतिशत बिजली की बचत वर्तमान में की जा रही है।

कई बड़ी समस्याओं का होगा निदान, ट्रायल जारी

पंपिंग स्टेशन और मशीनरी की वार्षिक मरम्मत पर लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च होते हैं, जिसे परियोजना पूर्ण होने के पश्चात स्काडा सिस्टम लगाने वाली पी0पी0पी0 कंपनी के द्वारा अपने स्तर पर 10 वर्ष तक किया जाएगा। जिससे विद्युत के साथ -साथ सरकारी धन की भी बचत होगी। मौजूदा समय की बात करें तो किस क्षेत्र में कितने लीटर पानी की सप्लाई समेत अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती थी, जिसके कारण पानी के वितरण में असमानता होने के कारण कुछ क्षेत्रों में जहां पर्याप्त पानी रहता है, वहीं कई इलाके ऐसे हैं, जहां हमेशा पेयजल किल्लत बनी रहती थी। अब इस समस्या के समाधान के लिए देहरादून स्मार्ट सिटी लि. वाटर स्काडा सिस्टम परियोजना का कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा वर्तमान में ट्रायल रन गतिमान है।

मुख्यालय में बने कंट्रोल रूम, हेल्पलाइन नंबर भी बना

बताया जा रहा है कि जलापूर्ति पर स्काडा सिस्टम के द्वारा जल उत्पादन एवं गुणवत्ता पर 24×7 नजर रखी जा रही है, जिससे पाइपलाइन के प्रेशर और लीकेज का पता लगाया जाना अब आसान हो गया है। कुल मिलकार स्काडा सिस्टम से जलापूर्ति प्रणाली की मॉनिटरिंग का कार्य किया जा रहा है। इसके तहत ट्यूबवेलों, पानी की टंकियों, पंपिंग स्टेशनों आदि को इलेक्ट्रोनिक सेंसर से युक्त किया गया है जिससे उपरोक्त सभी का एकीकृत कंट्रोल उत्तराखंड जल संस्थान मुख्यालय में बने कंट्रोल रूम में लगे कम्प्यूटरों से किया जा रहा है। उपभोक्ताओं की समस्या के निस्तारण हेतु हेल्पलाइन नंबर भी बनाया गया है जिससे उपभोक्ताओं की समस्याओं का शीघ्र निस्तारण किया जा सके।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here