अप्रैल माह का राशिफल : पं. गोविन्दराम की कलम से

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मेष (चू, चे, चै, ला, ली, लू, ले, लो, अ): अत्यधिक दौड़ धूप के बावजूद आय में कमी एवं खर्च अधिक होंगे। व्यवसाय में रुकावटें पैदा होंगी। ता.18 के बाद मंगल तृतीयस्थ तथा सूर्य इसी राशि पर उच्चस्थ होने से संघष के बाद धन लाभ के साधन बनेंगे।
उपाय – ता. 13 से पाप प्रशमन स्त्रोत एवं वैशाख महात्म्य का पाठ करें, शुभ रहेगा।

वृष (ई, उ, ए, ओ, वा, वि, वु, वे, बो): मासारंभ में धन लाभ के चांस बनेंगे। ता. से शुक्र द्वादशस्थ होने से खर्च अधिक, घरेलू उलझनें व तनाव भी बढ़ेगा। घरेलू समस्याओं के कारण मन परेशान रहेगा।
उपाय – ता. 14 को किसी ब्राह्मण को घट का दान दक्षिणा सहित करें, शुभ रहेगा।

मिथुन (क, की, कु, घ, ड, छ, के, को, ह): मासारंभ में बुध नीच राशिगत होने से वृथा भागदौड़ एवं खर्च की अधिकता रहेगी। विदेश संबंधी कार्यों में कुछ प्रगति परंतु विघ्नों के पश्चात ही सफलता मिलेगी। तां. 16 से कुछ बिगड़े काम बनेंगे एवं धन लाभ होगा। संतान के करियर संबंधी चिंता रहेगी।
उपाय – नित्य 21 दिन तक राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें, शुभ रहेगा।

कर्क (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो): विघ्न बाधाओं के बावजूद निर्वाह योग्य धन प्राप्त होता रहेगा। व्यर्थ ही समय नष्ट होगा। शरीर कष्ट व मानसिक तनाव रहेगा। व्यवसाय में आर्थिक परेशानी हो। संघर्ष के बावजूद गुजारे योग्य धन प्राप्ति के साधन बनते रहेंगे।
उपाय – मंगलवार का व्रत रखें और हनुुमान जी को बूंदी का प्रसाद चढ़ायें, शुभ रहेगा।

सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे): मासांभ में सूर्य अष्टमस्थ होने से स्वास्थ्य संबंधी कष्ट, विशेषकर नेत्र एवं रक्त संबंधी विकारों का भय है। तां. 14 से सूर्य उच्चस्थ होने से सोची हुई योजनाओं में कामयाबी। व्यवसाय में लाभ व उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। पदोन्नति एवं धन लाभ के योग हैं। शुभ कार्य में धन खर्च होगा।
उपाय – आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें, सूर्य को अघ्र्य दें, शुभ रहेगा।

कन्या (टो, प (प्र), पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो): मासांभ से बुध नीचस्थ परंतु उसकी स्वगृही दृष्टि होने से व्यवसाय में उतार चढ़ाव का सामना रहेगा। शरीर कष्ट व खर्च भी अधिक होंगे। आर्थिक परेशानियां एवं धनागमन के साधनों में विघ्न उत्पन्न होंगे।
उपाय – हरी वस्तुओं का दान करें और पन्ना रत्न धारण करें, शुभ रहेगा।

तुला (री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते): कार्य क्षेत्र में व्यस्ततायें बढेंगी। नवीन कार्य की योजना बनेगी। गत दिनों में किये गये प्रयासों में सफलता मिलेगी। विशेष परिश्रम से किसी रुके हुए कार्य में सफलता के योग हैं।
उपाय – 13 अप्रैल से वैशाख महात्म्य का पाठ करें, शुभ रहेगा।

वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, पा, पी, यू): किसी नवीन कार्य की योजना बनेगी। विदेश गमन के बारे में भी विचार बनेंगे। परंतु पंचम सूर्य पर शनि की दृष्टि होने के कारण सफलता प्राप्ति में अड़चनें रहेंगी। तां. 14 के बाद नई योजनायें बनेंगी। स्त्री सुख एवं परिवार में खुशी का अवसर बनेगा।
उपाय – नित्य शनि चालीसा का पाठ करें, शुभ रहेगा।

धनु (ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, डा): ता. 6 के बाद उलझनों के बावजूद पराक्रम में वृद्धि होगी। आय के साधन बढ़ेंगे। निर्वाह योग्य धन की प्राप्ति होगी। परिवार की तरफ से शुभ समाचार प्राप्त होगा। विदेशी मित्रों से समागम होगा। गुरु तृतीयस्थ से बिगड़े कामों में सफलता प्राप्त होगी।
उपाय – श्री सूक्त का पाठ करते रहें, शुभ रहेगा।

मकर (भे, ज, जी, जू, जे, जो, ख, खी, खू, खे, खो, ग, गी): ता. 6 से गुरु का संचार हट जायेगा। परंतु तृतीयस्थ सूर्य पर ता. 13 तक शनि की दृष्टि रहने से परिवार संबंधी विभिन्न परेशानियों का सामना रहेगा। अपने भी परायों जैसा व्यवहार करेंगे। तां. 13 से शुभ कार्य होंगे तथा नवीन योजना भी बनेगी।
उपाय – संकट मोचक बजरंग बाण का नित्य पाठ करें, शुभ रहेगा।

कुंभ (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा): मासारंभ में किसी नवीन कार्य की योजना बनेगी। अकस्मात धन लाभ के अवसर भी मिलेंगे। ता. 6 से गुरु के इस राशि पर आने तथा ता. 13 से मंगल-शनि के मध्य दृष्टि संबंध रहने से आशाओं के अनुरूप सफलता प्राप्त नहीं होगी। मन उदास रहेगा।
उपाय – कुंभ स्नान-दान करें, शुभ रहेगा।

मीन (दी, दू, थ, झ, दे, दो, चा, ची): मासारंभ में सूर्य-बुध-शुक्र आदि ग्रहों का संबंध बना हुआ है। जिससे कठिन एवं संघर्षपूर्ण परिस्थितियांे के बावजूद निर्वाह योग्य धन की प्राप्ति होगी। ता. 14 के पश्चात परिवार में शुभ मंगल कार्य संपन्न होंगे। धन लाभ के अवसर भी मिलेंगे।
उपाय – नित्य 21 दिन तक गणेश अथर्व शीर्ष का पाठ करें, शुभ रहेगा।

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