महानाद डेस्क : बाजार और एटीएम से 2000 के नोट गायब होते जा रहे हैं। 2017-18 के मुकाबले 2,000 रुपये के नोटों की संख्या लगभग 27 प्रतिशत कम हुई है। नोटबंदी के बाद यह 33,630 लाख के अपने चरम पर पहुंच गई थी, जो कि मार्च 2021 में घटकर 24,510 लाख हो गई है। अगर इसकी कीमत के हिसाब से देखें तो यह उस समय करीब 6.72 लाख करोड़ रुपये थी, जो अब घटकर 4.90 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
प्रचलन से हटाए गए 2,000 रुपये के नोटों की संख्या 9,120 लाख है, जिनकी कुल कीमत 1.82 लाख करोड़ रुपये है। इसका मतलब है कि 2,000 रुपये के नोटों की संख्या में 27 फीसदी की गिरावट आई हैै।
आरबीआई की ताजा रिपोर्ट 2000 रुपये के इन नोटों के बारे में कुछ नहीं कहती है। जाहिर है, आरबीआई ने 2,000 रुपये के नए नोटों की छपाई बंद कर दी है क्योंकि ये उच्च मूल्य के नोट बैंकों में वापस नहीं आ रहे हैं। एटीएम में भी लोगों को पहले की तरह 2,000 रुपये के नोट नहीं मिल रहे हैं। इस बात की प्रबल संभावना है कि इन नोटों की कीमत अधिक होने के कारण काले धन के रूप में जमा कर लिया गया हो।
500 और 2,000 रुपये के बैंक नोटों की हिस्सेदारी 31 मार्च, 2021 तक प्रचलन में बैंक नोटों के कुल मूल्य का 85.7 प्रतिशत थी, जबकि 31 मार्च, 2020 को यह 83.4 प्रतिशत थी। इससे यह साफ है कि 2,000 रुपये के नोट की जगह 500 रुपये के नोट ले रहे हैं। मात्रा के लिहाज से, 500 रुपये के मूल्यवर्ग में 31.1 प्रतिशत की उच्चतम हिस्सेदारी थी।
बैंक नोटों की कुल मात्रा में 500 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की हिस्सेदारी 31 मार्च, 2019 को 19.8 प्रतिशत से बढ़कर 31 मार्च, 2020 तक 25.4 प्रतिशत और 31 मार्च, 2021 को 31.1 प्रतिशत हो गई है।