‘अपनों को याद करें, हर मौत को गिनें- हर गम बाँटें’ कार्यक्रम के तहत आशाओं को दी श्रद्धांजलि

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हल्द्वानी (महानाद) : सरकार के द्वारा कोरोना की दूसरी लहर की तैयारी नहीं करने के चलते लाखों लोगों की जान चिकित्सीय सुविधा के अभाव में हुई है। कोरोना काल में पूरे देश में बिना किसी सुविधा के अग्रिम मोर्चे पर डटी बहुत सी आशा बहनों की भी दुखद मौतें हुई हैं। उन्हें सम्मान और उनके शोक संतप्त परिजनों को सामाजिक सुरक्षा देने से सरकारें भाग रही हैं। आशाओं की मौतों से जुड़े आंकड़े भी सरकार के पास नहीं है और इसे छिपा भी रही हैं। इसलिए ऑल इंडिया आशा कार्यकर्ता कोऑर्डिनेशन कमेटी के आह्वान पर ‘अपनों को याद करें, हर मौत को गिनें- हर गम बाँटें’ कार्यक्रम के तहत ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की आशा कार्यकर्ताओं ने मोमबत्ती जला कर और मांग का पोस्टर लेकर महिला अस्पताल में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर मृत आशा बहनों को श्रद्धांजलि दी। उनकी याद में एक मिनट का मौन रखा गया और पूरे देश में जिन भी आशाओं का कोरोना की चपेट में आकर निधन हुआ है उन सबको श्रद्धांजलि दी गई।
उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, आशा वर्कर जिन्हें सरकार कोरोना वारियर्स तो कहती है लेकिन उनके लिए कोई भी सुविधा उसने इस महामारी में नहीं दी। उन्हें अपने दम पर इलाज कराना पड़ा और मौत के बाद उन्हें घोषित 50 लाख या अन्य कोई मुआवजा नहीं दिया गया। उन्होंने सरकार पर मृत लोगों का आंकड़ा छुपाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, सरकार ने वायदा किया था कि कोरोना कार्य में मरने वाले स्कीम वर्कर्स के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा दिया जाएगा लेकिन किसी को भी यह मुआवजा प्राप्त नहीं हुआ। ऊपर से कोरोना काल के कार्य का उनके मानदेय का भी भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा है। जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है उसने आशाओं का काम तो बेहद बढ़ा दिया है लेकिन उनको मानदेय के नाम पर मात्र दो हजार रुपया मासिक दिया जा रहा है और सुरक्षा की कोई गारंटी लेने को सरकार तैयार नहीं है।
श्रद्धांजलि सभा कार्यक्रम के माध्यम से सभी आशाओं को 10 हजार रुपये मासिक कोरोना भत्ता और 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने की मांग की गई।
इस अवसर पर रिंकी जोशी, रीना बाला, सरोज रावत, अरशी, शहनाज, अंजना, पुष्पा जोशी, ममता रावत, रेशमा, नीमा शर्मा, भगवती बिष्ट,प्रीति रावत, मिथिलेश, लता तिवारी, किरन पलड़िया, कमलेश बोरा, चम्पा मेहरा, मंजू रंगवाल, तुलसी आर्य, तुलसी, छाया आर्य, गीता जोशी, रोशनी, लक्ष्मी, मुन्नी दुर्गापाल, माया टंडन, शांति जोशी, विमला शर्मा, गंगा तिवारी, कमला बिष्ट, चम्पा मंडोला, महिमा अरोड़ा, दया पाण्डे, कंचन अरोड़ा, आनंदी, रेखा उपाध्याय, पूनम भगत, मीनू चौहान, गीता देवी, विमला पांडे, गीता शर्मा और सामाजिक कार्यकर्ता मोहन लाल आर्य मौजूद रहे।

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