मुंबई (महानाद): शिवसेना सांसद एवं सामना के संपादक संजय राउत को आखिरकार जमानत मिल गई। मुंबई की पीएमएलए कोर्ट ने उनकी 2 नवंबर को सुनवाई करते हुए उनकी जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था लेकिन उनकी न्यायिक हिरासत को 14 दिनों के लिए बढ़ा दिया था।
बता दें कि 21 अक्टूबर को संजय राउत की जमानत याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ा दी गई थी। ईडी ने इस मामले में एक पूरक आरोपपत्र दाखिल कर संजय राउत को मामले में आरोपी बनाया था। कोर्ट ने पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लिया जिसमें राउत का नाम मनी लॉड्रिंग के एक मामले में आरोपी के रूप में लिया गया है। राउत ने जमानत के लिए धनशोधन निवारण अधिनियम मामलों की विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
बता दें कि ईडी ने राज्यसभा सदस्य संजय राउत को इस साल जुलाई में उपनगरीय गोरेगांव में पात्रा चाल के पुनर्विकास के संबंध में वित्तीय अनियमितताओं में उनकी कथित भूमिका को लेकर गिरफ्तार किया था। ईडी की जांच पात्रा चाल के पुनर्विकास और उनकी पत्नी और सहयोगियों से संबंधित वित्तीय लेनदेन में कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित है।
विदित हो कि गोरेगांव में सिद्धार्थ नगर, जिसे पात्रा चाल के नाम से जाना जाता है, 47 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें 672 परिवार किराये पर रहते हैं। गौरतलब है कि 2008 में, महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी, एक सरकारी एजेंसी ने हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को चाल के पुनर्विकास को लेकर एक अनुबंध सौंपा था।
जिसमें जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट तैयार करने थे और इनमें से कुछ फ्लैट म्हाडा को भी देने थे। जबकि बाकी बची हुई जमीन निजी डेवलपर्स को बेची जा सकती थी। लेकिन बीते 14 वर्षों में किरायेदारों को एक भी फ्लैट नहीं मिला क्योंकि कंपनी ने पात्रा चाल का पुनर्विकास नहीं किया। ईडी से मिली जानकारी के अनुसार 1,034 करोड़ रुपए में अन्य बिल्डरों को भूमि पार्सल और फ्लोर स्पेस इंडेक्स बेच दी गई।