देवीकुंड क्षेत्र बना गंदगी का भंडार, मंदिर के पुजारी पुजापे के लिए हकदार, पर सफाई उनकी जिम्मेदारी नहीं

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गोविंद शर्मा
देवबंद (महानाद) : हिन्दूधर्म केवल दिखावा मात्र बन कर रह गया है, पवित्र स्थलों की साफ सफाई की ओर किसी का भी ध्यान नहीं है। इसका उदाहरण श्री मां त्रिपुर बालासुन्दरी देवी मंदिर तथा क्षेत्र में देखने को मिलता है। आये दिन मंदिर आने वाले सैकडों श्रद्धालु और मंदिर के पुजारी भी इस ओर गम्भीर नहीं है।

बता दें कि श्री मां त्रिपुर बालासुन्दरी देवी मंदिर एक ऐतिहासिक शक्तिपीठ है और इसकी पौराणिक्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि धार्मिक पुस्तकों में इसका सम्बंध महाभारत काल से जुड़ा है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां मांगी गयी सभी मुरादें पूरी होती हैं। इसी लिए इस मंदिर पर हर रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मगर निहायत अफसोस और दुःख की बात है कि इस मंदिर के परिसर में यदि घूम कर देखा जाये तो सफाई का नाम नहीं है। जगह-जगह गंदगी पड़ी दिख जायेगी ।

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मंदिर के अपने को तथाकथित रूप स्वामी बने मंदिर पुजारी केवल केवल मंदिर के चढावे से प्रेम करते हैं, साफ सफाई से उनको कुछ लेना देना नही है। मां के भवन में भी प्रातः घूमने के लिए आने वाले श्रद्धालु ही साफ सफाई करते हैं, क्यांेकि उनकी मां बाला सुंदरी देवी मे अगाध श्रद्धा है। मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर स्थित सरोवर जो कभी बहुत पवित्र समझा जाता था अब गंदगी से भरा हुआ है। ग्रंथों में लिखा है कि हजारों वर्ष पूर्व इस सरोवर से होकर गंगा मैया बहती थी और इसी लिए यह सरोवर पवित्र माना जाता था, जिसमें अब गंदगी भरी रहती है।

सरोवर में मंदिर में दर्शनार्थ आने वाले श्रद्धालु भी प्रसाद के साथ लाई गई पन्नी तथा खाने पीने में प्रयोग किए गए सामान को कूड़ेदान में या किसी निश्चित स्थान पर डालने के बजाय सरोवर में डालकर चले जाते हैं। यह सब गंदगी तालाब में सड़ती है, इसके कारण बीमारी फैलने की संभावना से तो इंकार नहीं किया जा सकता है साथ ही जल में रहने वाले जीव जैसे मछली, कछुए आदि भी ऑक्सीजन की कमी के कारण मरते हैं।

यहां दुःख की बात यह है कि हिन्दू श्रद्धालु यह सब देखने के बाद भी मंदिर की कमाई खाने वालों के विरुद्ध आवाज नहीं उठाते हैं और मंदिर में प्रसाद चढ़ाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते है। अफसोस की बात यह है कि हिन्दू समाज दूसरे धर्मों के धार्मिक स्थलों को देखकर भी कोई प्रेरणा नही लेता है कि वहां कितनी साफ सफाई रहती है, जिन धार्मिक स्थलों में सरोवर है तो वहा का पानी इतना साफ होता है कि वह पीने के काम भी आ सकता है। हिन्दू समाज को धार्मिक स्थलों की साफ सफाई का ध्यान रखने के साथ साथ जिम्मेदार लोगों को भी नींद से जगाना चाहिए।

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