स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं ‘मोमोज’: शुभलेश शर्मा

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गोविंद शर्मा
देवबंद (महानाद): गली मौहल्लों, नुक्कड़, मार्केट में सिल्वर के स्टीमर में उबलते हुए मोमोज तीखी लाल मिर्च की चटनी के साथ खाते हुए बड़ी संख्या में किशोर और युवा दिखाई देते हैं, परन्तु वे नहीं जानते कि वह अपनी जीभ के स्वाद में गम्भीर बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं।

उक्त विचार सामाजिक कार्यकर्ती शुभलेश शर्मा ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आपको अक्सर शाम के समय मासूम युवा व किशोर मोमोज, चाऊमीन आदि फास्टफूड खाकर अपने स्वास्थ्य व चरित्र को बर्बाद कर रहे हैं। मोमोज मैदा के बने हुए होते हैं और मैदा गेहूं का एक उत्पाद है, जिसमें से प्रोटीन व फाइबर निकाल लिया जाता है। उन्होंने कहा कि मैदे में स्टार्च ही शेष रहता है। उसे और अधिक चमकाने के लिए बेंजोयल पराक्साइड उसमे मिला दिया जाता है जो एक रासायनिक ब्लीचर है।

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सुभलेश शर्मा ने कहा कि मोमोज मे ब्लीचर्स का प्रयोग किया जाता है। यह ब्लीचर शरीर में जाकर किडनी को नुकसान पहुंचाता है। मैदे के प्रोटीन रहित होने से इसकी प्रकृति एसिडिक हो जाती है यह शरीर में जाकर हड्डियों से कैल्शियम को सोख लेता है। दूसरी ओर तीखी लाल मिर्च की चटनी उत्तेजक होती है, जिससे यौन रोग, धातु रोग, नपुंसकता जैसी भयंकर बीमारियां देश के किशोर व युवाओं को खोखला कर रही हैं। इस में ऐसे कैमिकलों को मिलाया जाता है जो बच्चों के दिमाग में चले जाते हैं और इससे बच्चों का मन बार बार इन हानिकारक वस्तुओं को खाने को करता है। यह खाने की चीजें आंतों में जाकर चिपक जाती है, जिससे बच्चों में नया खून बनना बंद हो जाता है और शरीर का विकास रुक जाता है। जीभ के स्वाद में आकर अपने स्वास्थ्य को युवा किशोर खराब कर रहे हैं।

शुभलेश शर्मा ने कहा कि यह खाना पूर्वी एशियाई देशों चीन-तिब्बत का है। यह वहां की जलवायु के अनुकूल है। जबकि भारत की गर्म जलवायु के यह अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि सबको संकल्प करना चाहिए कि वह स्वास्थ्य नाशक! रोग प्रधान आहार को कभी नहीं खाएंगे और ना ही किसी को खाने देंगें।

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