भगवान शिव के इस मंदिर को बनवाया था भूतों ने?

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ग्वालियर (महानाद): चंबल अंचल के मुरैना के बीहड़ों में बना सिहोनिया का ककनमठ मंदिर भगवान शिव का ऐसा प्राचीन मंदिर है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे भूतों ने बनाया था। यह मंदिर लटकते हुए पत्थरों का बना हुआ है। चंबल के बीहड़ में बना ये मंदिर 10 किलोमीटर दूर से ही दिखाई देने लग जाता है। जैसे-जैसे इस मंदिर के पास पहुंचते हैं इसके एक के ऊपर एक लटकते हुए पत्थर दिखाई देने लगते हैं। जैसे-जैसे इस मंदिर के नजदीक पहुंचते जाते हैं मन में दहशत बढ़ने लगती है।

कहते हैं कि मुस्लिम शासकों ने इसे तोड़ने के लिए गोले तक दागे लेकिन तोप के गोले भी इसके लटकते हुए पत्थरों को हिला नहीं सके। इस मंदिर के आस-पास बने कई छोटे-छोटे मंदिर जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं, लेकिन इस मंदिर पर वक्त का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इस शिव मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मंदिर को जिन पत्थरों से बनाया गया है वेह पत्थर आस-पास के इलाके में नहीं मिलता है।

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मंदिर को लेकर कई तरह की किवदंतियां प्रचलित हैं। लेकिन पूरे अंचल में जो एक किवदंती सबसे ज्यादा मशहूर है उसके अनुसार मंदिर का निर्माण भूतों ने किया था। लेकिन मंदिर में एक प्राचीन शिवलिंग विराजमान है, जिसके पीछे यह तर्क दिया जाता है कि भगवान शिव का एक नाम भूतनाथ भी है। भोलेनाथ न सिर्फ देवी-देवताओं और इंसानों के भगवान हैं बल्कि उनको भूत-प्रेत व दानव भी भगवान मानकर पूजते हैं। पुराणों में भी लिखा है कि भगवान शिव के विवाह में देवी-देवताओं के अलावा भूत-प्रेत भी बाराती बनकर आए थे और इस मंदिर का निर्माण भी भूतों ने किया है। इसलिए इसे भूतों वाला मंदिर कहते हैं।

कहते हैं कि यहां रात में ऐसा नजारा दिखता है, जिसे देखकर इंसान की रूह तक कांप जाती है। ककनमठ मंदिर का इतिहास लगभग एक हज़ार साल हजार पुराना है। बेजोड़ स्थापत्य कला का उदाहरण ये मंदिर पत्थरों को एक दूसरे से सटा कर बनाया गया है। मंदिर को बनाने के लिए पत्थरों का संतुलन इस तरह बनाया गया है कि बड़े-बड़े तूफान और आंधी भी इसे हिला नहीं पाये। कुछ लोग यह मानते हैं कि कोई चमत्कारिक अदृश्य शक्ति है जो इस मंदिर की रक्षा करती है। इस मंदिर के बीचो बीच शिवलिंग स्थापित है। 120 फीट ऊंचे इस मंदिर का उपरी सिरा और गर्भ गृह सैकड़ों साल बाद भी सुरक्षित है। मुरैना में स्थित ककनमठ मंदिर पर्यटकों के लिए विशेष स्थल है। यहां की कला और मंदिर की बड़ी-बड़ी शिलाओं को देखने के लिए साल भर पर्यटक यहां आते रहते हैं।