महिला अधिकारी द्वारा नायब तहसीलदार पर लगाये गये आरोप निराधार, अधिकारी ने वीडियो वायरल कर कहा था नहीं मिल रहा इंसाफ

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बस्ती (महानाद): एक महिला अधिकारी द्वारा नायब तसीलदार पर उसके साथ दुष्कर्म करने व हत्या की कोशिश करने के आरोपों की जांच के लिए 16 नवंबर को विशाखा गाइडलाइन के अनुसार कमेटी का गठन किया गया। इसमें प्रीति खरवार क्षेत्राधिकारी रुधौली को अध्यक्ष तथा सुनीता सिंह, पीओ डूडा एवं कीर्ति सिंह अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत मुंडेरवा को सदस्य नामित किया गया था। उक्त 3 राजपत्रित महिला अधिकारियों की कमेटी ने नायब तहसीलदार पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है। कमेटी ने सोमवार देर शाम डीएम को रिपोर्ट सौंप कर मामले की गंभीरता से जांच कराने की सिफारिश की है।

आपको बता दें कि एक महिला अधिकारी ने नायब तहसीलदार पर उसके साथ दुष्कर्म का प्रयास और जान से मारने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह मुख्यमंत्री से इंसाफ की गुहार लगा रही है। मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। वहीं, बस्ती के डीएम ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।

तीन महिला राजपत्रित अधिकारियों की कमेटी ने जांच रिपोर्ट पेश कर कहा कि महिला अधिकारी के आवास में कोई अन्य पुरुष मौजूद था, जिसने आरोपी नायब तहसीलदार को फोन पर अपशब्द कहे हैं। पीड़िता को कैसे चोट लगी। उसके आवास पर आया व्यक्ति कौन था तथा किस व्यक्ति ने फोन करके धमकी दी थी। इन सभी तथ्यों के संबंध में गहराई से जांच के लिए केस दर्ज कर जांच कराने की संस्तुति की गई है।

डीएम अंद्रा वामसी ने एसपी गोपाल कृष्ण चौधरी के संयुक्त हस्ताक्षर से यह रिपोर्ट शासन को भेज दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपी नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला से महिला अधिकारी के बीच मित्रवत संबंध थे। छोटी दिवाली के दिन दोनों साथ-साथ अधिकारियों के घर मिठाई पहुंचाने गए थे। लौटने के बाद पटाखे की दुकानों की जांच की थी। कंपनी बाग के पास स्थित एक रेस्टोरेंट में खाना खाया था। फिर अपने-अपने आवास पर चले गए थे। रात्रि के 11ः05 बजे के बाद महिला अधिकारी के मोबाइल फोन से नायब तहसीलदार को कई बार व्हाटस एप कॉल की गई। रिसीव करने पर किसी पुरुष की आवाज आई और उसने नायब तहसीलदार को अपशब्द कहे।

जांच के दौरान लिए गए बयान व मोबाइल चैट के अवलोकन तथा गोपनीय जांच से पाया गया है कि 11/12 नवंबर की रात्रि में महिला अधिकारी के आवास पर कोई व्यक्ति आया था। उसी ने उनके मोबाइल से घनश्याम शुक्ल के मोबाइल फोन पर व्हाटस एप कॉल करके अपशब्द कहे और महिला अधिकारी के बारे में अश्लील शब्दों का प्रयोग करते हुए धमकी दी। आरोपी घनश्याम महिला अधिकारी का कुशल क्षेम लेने उनके आवास पर गए थे। वहां किसी व्यक्ति और महिला अधिकारी में कहासुनी हो रही थी।

जांच रिपोर्ट के अनुसार 16 नवंबर को ही मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी गई थी। अगले दिन 17 नवंबर को एक उच्चाधिकारी के कक्ष में लंबी वार्ता चली, जिसमें महिला अधिकारी व उनके परिजन मौजूद थे। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि बातचीत के दौरान महिला अधिकारी का रुख आरोपी के प्रति नरम हो गया था, मगर बाद में वह एफआईआर दर्ज कराने पर अड़ गई। उनकी बहन ने अधिकारी के कक्ष में तहरीर लिखी, जिस पर महिला अधिकारी ने हस्ताक्षर करके कोतवाली पुलिस को सौंप दिया।

घटना के बाद यह बात भी सामने आई थी कि महिला अधिकारी के दरवाजे की कुंडी आरोपी अफसर ने तोड़ दी थी। लेकिन मौके पर अगल-बगल स्थित दोनों अफसरों के दरवाजे बंद मिले। दोनों आवास के बाहर के दरवाजे की कुंडी सुरक्षित मिली, जिस पर ताला लटक रहा है। जिस पीछे के रास्ते से आरोपी अफसर के घर में घुसने की बात कही जा रही है, वहां दोनों अधिकारियों के आवास के बीच लगभग आठ फीट ऊंची चहारदीवारी है, जिससे कूदना आसान नहीं है।

मामले में सामने आ रहे उतरौला के व्यक्ति की भूमिका भी अहम बताई जा रही है। उसकी कॉल डिटेल को पुलिस ने खंगाला तो पता चला कि महिला अधिकारी के मोबाइल फोन पर 6 महीने में 1500 बार कॉल की गई हैं। कार्यालय और फील्ड में ड्यूटी के दौरान भी वह व्यक्ति अक्सर दिखता था। कई बार कार्रवाई के दौरान वह वीडियो और फोटो बनाते हुए दिख चुका है।

कोतवाली में दर्ज केस में आरोपी नायब तहसीलदार की गिरफ्तारी न होने से क्षुब्ध महिला अधिकारी ने सोमवार को लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री से भेंट की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में लिखा है कि एफआईआर और न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान के चार दिन बाद भी पुलिस ने आरोपी नायब तहसीलदार को गिरफ्तार नहीं किया। लिखा है कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक मामले की लीपापोती कर रहे हैं। वहीं उसने ये सब आरोपों को लेकर एक वीडियो भी सोशल मीडिया परवायल किया है।

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