बड़ी खबर : खत्म हुए अंग्रेजों के कानून, लोकसभा व राज्यसभा से पास हुए भारत के अपने कानून

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

नई दिल्ली (महानाद): आजादी के 76 साल बाद देश से अंग्रेजों के जमाने के कानूनों को अलविदा बोल दिया गया। गृहमंत्री अमित शाह ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम (एविडेंस एक्ट) में बड़े बदलाव करते हुए इन तीनों ही कानूनों की जगह नये कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम मंगलवार को लोकसभा में तथा बृहस्पतिवार को राज्यसभा में पेश किये थे जिसके बाद इन्हें पास कर दिया गया। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये कानून बन जायेंगे।

इस अवसर पर अमित शाह ने कहा कि पुराने कानून तत्कालीन विदेशी शासकों द्वारा अपना वर्चस्व बनाए रखने में मदद के लिए बनाए गए थे। नए कानून हमारे संविधान के मूल मूल्यों- व्यक्तिगत स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सभी के लिए समान व्यवहार को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं।

शाह ने कहा कि नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों को प्रभावित करने वाले कानूनों को प्राथमिकता दी गई है। उसके बाद मानव अधिकारों से जुड़े कानूनों और देश की सुरक्षा से संबंधित कानूनों को प्राथमिकता दी गई है।

– बता दें कि सीआरपीसी में 484 धारायें थीं। भारतीय न्याय संहिता में 531 धारायें होंगी। 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं तथा 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई हैं। 44 नए प्रावधान जोड़े गए हैं।

– अब मॉब लिंचिंग पर सीधे फांसी की सजा दी जाएगी।

– पुलिस द्वारा की जाने वाली तलाशी की वीडियोग्राफी की जायेगी।

– देश में राजद्रोह कानून को खत्म कर दिया गया है। इसकी जगह देशद्रोह कानून लाया गया है। देश के खिलाफ बोलना गुनाह होगा। सशस्त्र विद्रोह करने पर जेल होगी। किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ बोलने पर जेल नहीं होगी बल्कि देश के खिलाफ बोलने पर जेल होगी। गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि राजद्रोह कानून अंग्रेजों का बनाया हुआ है। इसके तहत महात्मा गांधी, तिलक महाराज और सरदार वल्लभ भाई पटेल सहित कई स्वतंत्रता सेनानी सालों तक जेल में रहे। विपक्ष में रहते हुए ये राजद्रोह का विरोध तो करते थे, लेकिन सत्ता में रहते हुए इसका दुरुपयोग किया। पहली बार नरेंद्र मोदी सरकार ने एतिहासिक निर्णय लेते हुए राजद्रोह की धारा 124क को पूर्णतया समाप्त कर दिया है।

– अगर कोई शख्स रोड पर एक्सीडेंट करके भाग जाता है और घायल को सड़क पर ही छोड़ देता है तो उसे 10 साल की सजा होगी। वहीं यदि एक्सीडेंट करने वाला शख्स, घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाता है तो उसकी सजा कम कर दी जाएगी।

– अमित शाह कहा कि प्रस्तावित कानून पुलिस की जवाबदेही को मजबूत करने के लिए एक प्रणाली लाएंगे। अब गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के बारे में हर पुलिस स्टेशन में विवरण दर्ज किया जाएगा और एक नामित पुलिस अधिकारी इन रिकॉर्डों को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने तस्करी कानूनों को जेंडर-न्यूट्रल बना दिया है।

– अब 60 दिनों के अंदर ही न्यायाधीश को इस पर सुनवाई भी करनी है। ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में केस ट्रायल पर आएगा। प्ली बारगेनिंग के लिए नए कानून में 30 दिनों का समय दिया गया है। यानी आरोप तय होने के 30 दिनों के अंदर अगर किसी ने गुनाह मान लिया, तो ही सज़ा कम होगी। ट्रायल के दौरान कोई दस्तावेज़ पेश करने का प्रावधान नहीं था। लेकिन अब 30 दिनों के भीतर सभी दस्तावेज़ पेश करना अनिवार्य होगा। इसमें कोई देरी नहीं की जाएगी।

वहीं, आपको बता दें कि इन विधेयकों पर चर्चा से पूर्व लोकसभा व राज्यसभा से 143 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया। जोकि भारतीय इतिहास में एक रिकार्ड है।

पंजाब से सांसद हरसिमरत कौर बादल इन कानूनों के विपक्ष में बोलने के लिए खड़ी हुई थीं लेकिन उन्होंने कांग्रेस सरकारों के समय सिखों पर हुए अत्याचार के बारे में चर्चा करते हुए पुराने कानूनों की कमियां गिनाईं।

तीन नये कानून पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपपी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह एतिहासिक पल है। इनके जरिए हमने अप्रासंगिक हो चुके राजद्रोह जैसे कानून को भी अलविदाकह दिया है। जनता की सेवा और कल्याण पर केंद्रित नए कानूनों से देश में नए युग की शुरुआत होने जा रही है।

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