आश्रम की करोड़ों की बेशकीमती संपत्ति हड़पने को की गई थी महंत राम गोविंद दास की हत्या

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अभिनव अग्रवाल
हरिद्वार (महानाद) : एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल के नेतृत्व में हरिद्वार पुलिस ने बेहतरीन काम करते हुए 24 घंटे के अंदर ब्लाइंड मर्डर का खुलासा करते हुए मास्टरमाइंड सहित 4 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। हत्यारों ने आश्रम की करोड़ों की बेशकीमती संपत्ति को हड़पने के लिए महंत राम गोविंद दास की हत्या कर गंगा में फेंक दिया तथा लगभग 6 महीने राज छुपाए रखा। जैसे ही हरिद्वार पुलिस को शिकायत प्राप्त हुई तो पुलिस ने महज 24 घंटे के अंदर सच्चाई सबके सामने ला दी।

एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल

आपको बता दें कि रायवाला, देहरादून निवासी रुद्रानन्द ने दिनांक 17.10.2024 को पुलिस को तहरीर देकर बताया कि श्रृद्धा भक्ति आश्रम, ज्ञानलोक कॉलोनी, कनखल, हरिद्वार के महंतराम गोविंद दास दिनांक 15.06.2024 को धर्म प्रचार हेतु आश्रम से राजस्थान गये थे लेकिन फिर वापिस लौट कर नहीं आये। तहरीर के आधार पर थाना कनखल में महंत की गुमशुदगी दर्ज की गई।

अनुभवी पुलिस कप्तान प्रमेन्द्र सिंह डोबाल के पर्यवेक्षण एवं एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह व सीओ सिटी जूही मनराल के निर्देशन में पुलिस ने जांच शुरु की जुटी तो आश्रम के कार्यकर्ता मनीषानंद, शोभित व गुमशुदा महन्त के परिचितों से पूछताछ करने पर पता चला कि जून माह 2024 से आश्रम में एक नया बाबा बैठा है जिसको पहले कभी देखा नहीं गया। कनखल पुलिस की इंटेलिजेंट पूछताछ में कुछ लोगों की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होने पर आश्रम में बैठाए गए नए बाबा रामगोपाल नाथ से कनखल पुलिस की कई चरणों की पूछताछ पर पूरी घटना से पर्दा उठा व मुख्य अभियुक्त सहित अन्य अभियुक्तों की भूमिका सामने आने पर पता चला कि महंत की हत्या कर दी गई है।

पुलिस ने बताया कि घटना का मास्टरमाइंड अशोक फरवरी 2024 में आश्रम में आया था, जो कपड़े बेचने के लिए आश्रम एवं आसपास इलाकों में आता था और कभी-कभी एक या दो दिन के लिए आश्रम में रुक जाया करता था। वहीं से धीरे-धीरे इसकी महंत से मुलाकात हो गई। ये इनको 2021 से जानता था। इसी कारण लगभग 3 माह आश्रम में रुक कर गया था। इन 3 महीनों में यह महंत और आश्रम का पूरा हिसाब किताब भली प्रकार समझ चुका था। मुख्य आरोपी अशोक समय-समय पर अपने दोस्त ललित, सौरभ व प्रदीप को भी आश्रम में बुलाता रहता था। जहां इनके द्वारा आश्रम की पूरी जानकारी, महंत का उत्तराधिकारी न होने व शहर के बीचोंबीच स्थित आश्रम की बेशकीमती संपत्ति के बारे में गहनता से जानकारी इकट्ठा कर अशोक द्वारा अपने साथियों ललित, सौरभ व प्रदीप के साथ षड़यंत्र रचते हुए महंत को रास्ते से हटाकर पूरी की पूरी बेशकीमती संपत्ति को कब्जाने का कुटिल प्लान बनाया।

पुलिस ने बताया कि पकड़े जाने के डर से सभी दोस्तों ने प्लान के मुताबिक सबसे पहले आश्रम में लगे सभी सीसीटीवी कैमरे हटा दिए और मौका देखकर दिनांक 01 जून 2024 को महंत राम गोविंद दास को पहले नशे के इंजेक्शन लगाकर मूर्छित कर गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद आरोपियों ने कट्टे में रखे शव को किराए की स्कूटी की मदद से ले जाकर गंगा नदी में फेंक दिया। इस दौरान इस बात का पूरा ध्यान रखा गया कि पूरे रास्ते में ये कहीं पर भी कैमरे की नजर में न आ जाएं लेकिन हरिद्वार पुलिस की पारखी नजरों से बच न सके।

महंत की हत्या के बाद अशोक ने 3 जून को अपने किसी परिचित फर्जी बाबा रामगोपाल नाथ को रुपयों का लालच देकर आश्रम की निगरानी के लिए बुलाया और उसको अंधेरे में रखकर महंत के धर्म प्रचार हेतु अयोध्या जाना बताया व बताया कि अगर कोई पूछे तो यही बताना कि महंत जी अयोध्या गए हैं। इस दौरान फर्जी बाबा को बाकी लोगों के साथ उठने बैठने, खाने-पीने के दौरान कुछ दिन बाद आश्रम के महंत की हत्या किए जाने की जानकारी हो गई लेकिन समय-समय पर मिल रहे बढ़िया खर्च एवं आश्रम बेचकर हिस्से में आने वाले मोटे मुनाफे के लालच में वो चुपचाप बैठा रहा और इस बात को दबाए रखा।

अब मुख्य बात ये थी कि महंत जी को ठिकाने लगाने के बाद उनके आश्रम को कैसे बेचा जाए और पैसा लेकर नौ दो ग्यारह हुआ जाए। इसके लिए आरोपी अशोक ने आश्रम को बेचने के लिए संजीव त्यागी जो छोटा-मोटा प्रॉपर्टी डीलर है, से मिलकर महंत के हू-ब-हू जाली हस्ताक्षर कर फर्जी वसीयतनामा तैयार किया जिसमें संजीव त्यागी द्वारा पूरी जानकारी होने के बाद भी आश्रम बेचकर करोड़ों रुपए का मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में आरोपियों का साथ दिया गया। अब तक घटना में फिलहाल 6 आरोपी प्रकाश में आए हैं, विवेचना जारी है एवं विवेचना के दौरान अन्य की संलिप्तता की भी जानकारी जुटाई जा रही है।

पुलिस ने बताया कि मास्टरमाइंड अशोक ने अपने साथियों के साथ मिलकर महंत की हरिद्वार शहर के बीचो-बीच स्थित करोड़ों की प्रोपर्टी हड़पने के उद्देश्य से उक्त मर्डर की घटना को अंजाम दिया था। मुख्य आरोपी महंत की हत्या के पश्चात महंत की लगभग 50 लाख की एफडी के मूल कागजात, चेक बुक, मोबाइल व अन्य दस्तावेज अपने साथ ले गया और गुमराह करने के उद्देश्य से मृतक के मोबाइल में अलग-अलग सिम डाल रहा था। वह महंत के बैंक एकाउंट चैक पर फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक से लगभग 10 लाख की रकम भी हड़प चुका था, इसके बाद अब लाखों की एफडी, जिसके मूल कागज़ात इनसे बरामद हुए हैं, को कैश कराने की फिराक में घूम रहा था लेकिन तेजतर्रार हरिद्वार ‘कनखल’ पुलिस ने पकड़ लिया।

आरोपी संजीव त्यागी के साथ मिलकर आश्रम का फर्जी वसीयतनामा बनाकर आश्रम को 10 करोड़ में बेचने की डील की तैयारी में थे कि ऐन वक्त पर कंनखल पुलिस को सूचना हो गई और कनखल पुलिस ने मात्र 24 घंटे के भीतर इतनी उलझी हुई गुत्थी को सुलझा लिया।
पुलिस ने बताया कि महंत की हत्या के बाद मुख्य आरोपी अशोक द्वारा फर्जी बाबा को आश्रम बैठाकर सभी को आश्रम से जुड़े नए सेवादारों व महंत के परिचितों को ये कहकर गुमराह किया गया कि महंत जी धर्म प्रचार हेतु अयोध्या गए हैं व आश्रम की देखभाल हेतु नए बाबा को रखा गया है। इतने महीनों से इस बात पर किसी को शक भी नहीं हुआ था।

पुलिस ने बताया कि पिछले लगभग 4 माह से महंत का मोबाइल स्विच ऑफ होना व उनकी कोई खबर न होने पर भी आश्रम से किसी भी व्यक्ति द्वारा पुलिस को सूचना न देने पर महंत के एक अन्य चेले रुद्रानन्द (वादी) जो परशुराम अखाड़े से सम्बन्ध रखते हैं, द्वारा भारी शक होने पर थाना कनखल पर दिनांक 17.10.2024 को महंत की गुमशुदगी दर्ज कराई गई। तब पहली बार पुलिस को इस मामले की जानकारी दी गई जिसको कनखल पुलिस ने तत्परता व बुद्धिमत्ता दिखाते हुए मात्र 24 घंटे के भीतर खोल दिया। जिसको लेकर स्थानीय जनता द्वारा थाना कनखल पुलिस की प्रशंसा की गई।

घटना में शामिल मुख्य आरोपी अशोक, ललित व आपराधिक षड्यंत्र में शामिल रामगोपाल नाथ व संजीव त्यागी को हिरासत में लिया जा चुका है। वर्तमान में प्रकाश में आए अन्य 2 अभियुक्तों सौरभ व प्रदीप की तलाश जारी है। विवेचना प्रचलित है अगर और भी नाम प्रकाश में आए तो उनको भी नियमानुसार गिरफ्तार किया जाएगा। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद थाना कनखल की कई पुलिस टीमें, जल पुलिस की मदद से महंत के शव की तलाश में जुटी हुई हैं।

अभियुक्तगण के कब्जे से मृतक महंत गोविंदास की 16 लाख रूपए की पंजाब नेशनल बैंक की मूल एफडी (जिसे आरोपी कैश कराने की फिराक में था), दो चैक बुक व फर्जी वसियतनामें की छायाप्रति बरामद हुई। पकड़ में आए आरोपियों की निशांदेही पर वारदात के दौरान प्रयुक्त इंजेक्शन, नशीली गोली का पत्ता आदि बरामद किया गया।

आरोपी 10वीं, 12वीं पास हैं। कपड़ों का काम कर रहा मुख्य आरोपी अशोक वर्ष 2004 में बाइक चोरी के मामले में व आरोपी ललित करनाल से ज्वैलर्स लूट मामले में जेल का चुका है।
नाम पता अभियुक्त –
1- अशोक कुमार पुत्र रघुवीर सिंह म.नं. 57, गली नम्बर 2, दुर्गापुरी एक्सटेन्शन, शाहदरा, थाना ज्योतिनगर, दिल्ली।
2- ललित पुत्र दिनेश शर्मा निवासी पृथ्वी विहार नियर एफसीआई गोदाम, मेरठ रोड, थाना 32 सेक्टर, करनाल।
3- संजीव कुमार त्यागी पुत्र शरदचन्द निवासी मुण्डेत, थाना मंगलौर, हरिद्वार।
4- योगी रामगोपाल नाथ उर्फ गोपाल सिहं पुत्र स्व. मनफूल सिंह निवासी ग्राम कोहरा, थाना सजेती, तहसील घाटमपुर, जिला कानपुर नगर, उ.प्र.।

पुलिस टीम में सीओ सिटी जूही मनराल, थानाध्यक्ष कनखल मनोज नौटियाल, एसआई चरण सिंह चौहान, एएसआई मुकेश राणा, कां. सतेन्द्र रावत, उमेद सिंह, जितेंद्र राणा, संजू सैनी, उमेश तथा वसीम शामिल थे।

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