गिराये जायेंगे सुपरटेक के 33 मंजिला 2 टावर, 200 करोड़ का होगा नुकसान

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नोएडा (महानाद) : सुप्रीम कोर्ट ने सेक्टर-93 ए में स्थित सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी के दो टावरों को गिराये जाने के आदेश दिए हैं। इन टावरों को गिराने का खर्चा भी सुपरटेक को उठाना होगा। बता दें कि 33 मंजिल तक बन चुके इन टावरों के निर्माण पर 200 करोड़ से अधिक का खर्चा आया है और अब इनको गिराने में भी करोड़ों रुपये खर्च करने होंगे।

बता दें कि एमरॉल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत नोएडा में 15 टावरों का निर्माण किया गया था। इन टावरों में प्रत्येक में 11 मंजिलें बनी हुई थीं। वर्ष 2009 में सुपरटेक बिल्डर ने नोएडा प्राधिकरण के पास रिवाइज्ड प्लान जमा कराया। इस प्लान में एपेक्स व सियान नाम से दो टावरों के लिए एफएआर खरीदा। बिल्डर ने इन दोनों टावरों के लिए 24 मंजिल का प्लान मंजूर करा लिया, जिसे बाद इसे बढ़ाकर 40 मंजिल तक कर दिया गया। टावरों के 15 मंजिल तक बनने के बाद स्थानीय लोगों ने इसको लेकर आपत्ति करनी शुरु की तथा वर्ष 2010 में अपनी पहली आपत्ति लगायी, लेकिन उनकी कहीं सुनवायी नहीं हुई। जिस पर वर्ष 2012 में इसको लेकर हाईकोर्ट में एक केस दर्ज किया गया। जिस पर सुनवाई करते हुए वर्ष 2014 में हाईकोर्ट ने इन टावरों को ध्वस्त करने के आदेश दिए, तब तक यह टावर 33 मंजिल बन चुके थे।

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जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। जिस पर सुनवाईकरते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए उक्त दोनों टावरों को तोड़ने के आदेश पारित कर दिये। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने नोएडा स्थित सुपरटेक एमेराल्ड के 40 मंजिला ट्विन टावर को तीन महीने में गिराने के आदेश देते हुए कहा कि ये मामला नोएडा अथॉरिटी और बिल्डर के बीच मिलीभगत का एक उदाहरण है। मामले में सीधे-सीधे बिल्डिंग प्लान का उल्लंघन किया गया है। नोएडा अथॉरिटी ने लोगों से प्लान शेयर भी नहीं किया। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट का टावरों को गिराने का फैसला बिल्कुल सही था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दोनों टावरों को गिराने की कीमत सुपरटेक से वसूली जाए। साथ ही दूसरी इमारतों की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए टावर गिराए जाएंगे। इसके लिए नोएडा अथॉरिटी विशेषज्ञों की मदद ले। जिन लोगों को रिफंड नहीं किया गया गया है उनको रिफंड दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि फ्लैट खरीदारों को दो महीने में 12 प्रतिशत ब्याज दर से पैसा रिफंड किया जाए।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनाधिकृत निर्माण में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। पर्यावरण की सुरक्षा और निवासियों की सुरक्षा पर भी विचार करना होगा। यह निर्माण सुरक्षा मानकों को कमजोर करता है। बिल्डरों और योजनाकारों के बीच अपवित्र गठजोड़ निवासियों को उस जानकारी से वंचित किया जाता है जिसके वे हकदार हैं।

नोएडा विकास प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने कहा है कि कोर्ट के आदेश को मिलते ही उसका पूर्णतया पालन कराया जाएगा। जिसके तहत तीन महीने में इन टावरों को गिराया जाना है।

वहीं, दूसरी ओर बिल्डर इस मामले में पुर्नविचार याचिका दायर करने की तैयारी हैं। अभी तक बिल्डर को सुप्रीम कोर्ट से आदेश की कॉपी प्राप्त नहीं हुई है, जिस दिन आदेश की कॉपी मिलेगी उससे 30 दिन के भीतर वह इस मामले में पुर्नविचार याचिका दायर कर सकते हैं। ग्रुप के प्रबंध निदेशक मोहित अरोड़ा ने कहा है कि वह इस मामले में पुर्नविचार याचिका दायर करेंगे।

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