किसान आंदोलन : सरकार की सख्ती के बाद शंभू बॉर्डर से गायब हुए जेसीबी, पोकलेन और मोडिफाइड ट्रेक्टर

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महानाद डेस्क : सरकार की सख्ती के बाद किसानों का मनोबल टूटता नजर आ रहा है। हरियाणा-पंजाब सरकार की सख्ती के बाद किसानों ने शंभू बार्डर पर हरियाणा पुलिस से मुकाबला करने के लिए जो इंतजाम किए थे, फिलहाल उन्हें हटा लिया गया है। मोडिफाइड ट्रैक्टरों, पोकलेन और जेसीबी मशीनों को बॉर्डर से हटा लिया गया है।

आपको बता दें कि पंजाब से दिल्ली कूच पर आमादा किसान पिछले 10 दिनों से शंभू बॉर्डर पर बैठे हैं और लाख जतन करने के बावजूद शंभू बॉर्डर पर की गई हरियाणा पुलिस की नाकेबंदी को तोड़ने में नाकाम रहे हैं। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक पर अभी तक किसान कोई फैसला नहीं कर पाए हैं। इससे पहले बुधवार को ही किसानों ने संघर्ष विराम का एलान कर दिया था। जिन बख्तरबंद पोकलेन और जेसीबी मशीनों के बूते किसान बैरिकेडिंग तोड़ कर दिल्ली कूच की हुंकार भर रहे थे, उन मशीनों को फ्रंट लाइन से हटाकर वापस ट्रॉलियों पर लाद दिया गया है। पोकलेन, जेसीब मशीनों और मॉडिफाइड ट्रैक्टरों को अंडरग्राउंड कर दिया गया है।

केंद्र सरकार की एडवाइजरी और हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद शंभू बॉर्डर पर पंजाब पुलिस की मौजूदगी भी पिछले दिनों से ज्यादा बढ़ी नजर आई। लगता है कि अब पंजाब सरकार भी नहीं चाहती कि किसान उग्र प्रदर्शन या पोकलेन, जेसीबी जैसी मशीनों का इस्तेमाल शंभू बार्डर पर करें। इसके लिए हरियाणा सरकार पहले ही पंजाब सरकार को चिट्ठी लिखकर शरारती तत्वों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग कर चुकी है। हालांकि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान खुलकर कह रहे हैं कि मुझे कुर्सी की परवाह नहीं है। राज्य में चाहे राष्ट्रपति शासन लग जाए मैं पंजाब के लोगों के साथ खड़ा हूं। पंजाब सरकार बार्डर पर हुई हिंसा को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी पर्चा दर्ज करेगी।

उधर, शंभू बार्डर पर बुधवार को हरियाणा पुलिस से टकराव के बीच बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ने या बॉर्डर पर ही डटे रहने को लेकर भी किसान नेताओं में मतभेद दिखा था। एक तरफ जहां किसान नेता सरवन सिंह पंधेर केंद्र सरकार के साथ बातचीत की खबरों के बीच रणनीति तय करने के बाद ही आगे बढ़ने की बात कर रहे थे तो युवा किसानों का एक धड़ा मशीनों का इस्तेमाल कर तुरंत बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ना चाहता था। इसको लेकर दोनों पक्षों के बीच खींचतान देखने को मिली थी। शायद यही वजह है कि अनियंत्रित और हाईजैक होते आंदोलन को संभालने के लिए किसान नेताओं ने 2 दिनों का वक्त लिया है। दूसरी तरफ अभी तक बैकडोर से किसानों को सपोर्ट कर रही पंजाब सरकार भी किसान आंदोलन को लेकर हाई कोर्ट के बदले रुख के बाद अंदरखाने दवाब में है और कार्रवाई करने को मजबूर दिख रही है।

वहीं, एक युवा किसान शुभकरण की मौत के बाद किसानों ने 23 फरवरी (आज) को आक्रोश दिवस मनाने का ऐलान किया है तो संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का इस्तीफा मांगा है। खनौरी बॉर्डर पर बुधवार को किसानों और पुलिस के बीच टकराव हुआ था जिसमें युवा किसान शुभकरण (21 वर्ष) की मौत हो गई थी। हालांकि, किसान की मौत कैसे हुई, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं हो पाई है। पुलिस के मुताबिक, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारणों की वजह साफ हो पाएगी। वहीं, किसानों ने शुभकरण के पोस्टमार्टम को रोक कर कहा है कि जब तक सरकार आर्थिक मुआवजे की घोषणा नहीं करेगी, तब तक पोस्टमार्टम नहीं होनें देंगे। किसान नेताओं ने शुभकरण को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग भी की है।

वहीं, अंबाला पुलिस ने कहा कि इस आंदोलन में कई किसान नेता सक्रिय भूमिका में हैं और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। लगातार सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम के जरिए भड़काऊ और उकसाने वाले भाषण देकर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए लगातार पोस्ट डाली जा रही हैं और इस आंदोलन में लगातार भाषणबाजी करके आंदोलनकारियों को प्रशासन के खिलाफ भड़काया जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों, सरकार के खिलाफ गलत शब्दों को भरपूर किया जा रहा है। आंदोलन की आड़ में उपद्रवियों द्वारा भयंकर उत्पात भी मचाया जा रहा है।

पुलिस के मुताबिक, आपराधिक गतिविधियों को रोकने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 की धारा 2 (3) के तहत किसान संगठनों के पदाधिकारियों को नजरबंद करने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा अमल में लाई जा रही है ताकि आंदोलन के दौरान कानून व्यवस्था को कायम रखा जा सके और सामाजिक सौहार्द बिगड़ने न पाएं।

पुलिस की ओर से कहा गया है कि आंदोलन के दौरान उपद्रवियों द्वारा सरकारी और निजी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया गया है। आंदोलनकारियों द्वारा सरकारी और निजी संपत्ति को पहुंचाए गए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। प्रशासन ने इस संबंध में आम जनता को पहले ही सूचित/सतर्क कर दिया था कि यदि इस आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों ने सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया तो उनकी संपत्ति और बैंक खाते जब्त कर इस नुकसान की भरपाई की जाएगी। इसको लेकर पुलिस ने कहा कि अगर किसी आम आदमी को इस आंदोलन के दौरान संपत्ति का कोई नुकसान हुआ है, तो वह प्रशासन को नुकसान का विवरण दे सकता है।

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