देशभर के 8 करोड़ व्यापारी कल करेंगे ‘भारत बंद’

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नई दिल्ली (महानाद) : जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) में सुधार की मांग को लेकर देशभर के 8 करोड़ से ज्यादा व्यापारियों ने कल शुक्रवार को भारत बंद आह्वान किया है। व्यपारियों के भारत बंद के समर्थन में ट्रांसपोर्टर्स संगठनों ने ट्रकों को पार्क कर सुबह 6 बजे से लेकर शाम 8 बजे तक चक्का जाम करेंगे।

व्यापारियों के संगठन सीएआईटी के अनुसार दिल्ली सहित देश के सभी राज्यों में छोटे-बड़े 1500 व्यापारी संगठन जीएसटी पोर्टल पर लॉग इन नहीं कर अपना विरोध दर्ज करायेंगे। इसमें लघु उद्योग, हॉकर्स, महिला उद्यमी और व्यापार से जुड़े अन्य क्षेत्रों के राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय संगठन भी शामिल होंगे। इस बंद के दौरान आवश्यक सेवाएं जारी रहेंगी, जिसमें इसमें मेडिकल स्टोर, दूध, सब्जी आदि की दुकानें शामिल हैं।

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बता दें कि सीएआईटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखकर जिसमें जीएसटी से जुड़े मुद्दों, ई-काॅमर्स कंपनियों से जुड़े मामलों का जिक्र किया था। इस चिट्ठी में प्रधानमंत्री से केंद्रीय लेवल पर एक ‘स्पेशल वर्किंग ग्रुप’ बनाने की मांग की गई थी। सीआईएटी ने बताया था कि हाल ही में जीएसटी में किए गए कुछ संशोधनों की वजह सरकारी अधिकारियों को मनमाने और निरंकुश अधिकार मिल गए हैं। ये संशोधन प्रधानमंत्री मोदी के ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ मिशन के बिलकुल उलट है, इन संशोधनों से देश में ‘टैक्स टेररिज्म’ का माहौल बन रहा है।

उधर, ट्रांसपोर्टर्स की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने भी सीआईएटी के भारत बंद का साथ देने का ऐलान कर दिया है, जिसके कारण कल शुक्रवार को देश भी में ट्रकों का चक्का भी जाम रहेगा।

ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप सिंघल का कहना है कि पहले 1 दिन में 100 किलोमीटर चलने की शर्त थी, जिसे बढ़ाकर 200 किलोमीटर कर दिया गया है। कई बार अगर फुल लोड न हो तो समय सीमा बेहद कठिन हो जाती है। ई-वे बिल को लेकर कई समस्याएं हैं, ई-वे बिल एक्सपायरी पर भारी पेनल्टी वसूली जाती है। टैक्स रकम के दोगुने के बराबर की रकम बतौर पेनल्टी वसूली जा रही है। अधिकारी छोटी छोटी गलतियों के लिए भी भी जुर्माना वसूल रहे हैं।

सिंघल का कहना है कि जहां पर टैक्स चोरी नहीं है वहां पर टैक्स कम किया जाए, साथ ही या तो ई-वे बिल को खत्म किया जाए या इसे सरल बनाया जाए। सरकार की बजाय सामान भेजने और मंगाने वाले ही तय करें कि सामान के पहुंचने की मियाद क्या होगी।

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