महिलाओं के कपड़ों और आचरण पर टिप्पणी करने से बचें जज, जमानत देने से पहले शिकायतकर्ता को दें सूचना

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नई दिल्ली (महानाद) : यौन उत्पीड़न के आरोपी को पीड़िता से राखी बंधवाने की शर्त पर जमानत देने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि जजों को महिलाओं के कपड़ों और आचरण पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए। महिलाएं क्या पहनें और कैसे रहें, इस पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

जज को महिलाओं पर ऐसी टिप्पणी नहीं करनी है कि ‘उसने कपड़े ही ऐसे पहने हुए थे’ ‘उसे एक आदर्श महिला की तरह से व्यवहार करना चाहिए था’। शराब या सिगरेट पीने के कारण उसने पुरुषों को अपनी ओर आकृष्ट किया’, जिसकी वजह से उसके साथ यौन अपराध हो गया।

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सुप्रीम र्कोअ ने यौन अपराधों से जुड़े मामलों में जजों को महिलाओं के खिलाफ रुढ़िवादी रुख से बचने की सलाह देते हुए कहा कि कोर्ट अपनी ओर से पीड़िता व आरोपी के बीच शादी, मेल-मिलाप या समझौता करने की शर्त और सुझाव आदि न दें। जमानत की शर्तों में शिकायतकर्ता को आरोपी द्वारा किसी भी उत्पीड़न से बचाने के लिए प्रयास किये जायें। जहां भी जमानत दी जाती है, शिकायतकर्ता को तुरंत सूचित किया जा जाए कि आरोपी को जमानत दे दी गई है। जमानत शर्तों में महिलाओं और समाज में उनके स्थान को लेकर रुढ़िवाद या पितृसत्तात्मक धारणाओं से परे हटकर निर्देश होने चाहिए।

कोर्ट ने बार कौंसिल आॅफ इंडिया को भी निर्देश देते हुए कहा कि कानून के पाठ्यक्रमों में यौन अपराधों और लैंगिक संवेदनशीलता के अध्याय शामिल करें तथा न्यायिक अकादमियों से भी जजों को संवेदनशील बनाने के कार्यक्रम चलाए जाएं।

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