काशीपुर : आम आदमी पार्टी की मदद से ई-रिक्शा चालकों/ट्रक-बस चालकों के खाते में आये 2000

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आकाश गुप्ता
काशीपुर (महानाद) : आम आदमी पार्टी की मदद से ई-रिक्शा चालकों/ट्रक-बस चालकों के खाते में सरकारी मदद के 2000 रुपये आ गये।

बता दें कि प्रदेश सरकार की योजना के तहत कोविड काल के दौरान कामकाज ठप हो जाने से आर्थिक रूप से परेशान हुए जिन ई-रिक्शा, ट्रक व बस चालकांे के आम आदमी पार्टी कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराए गए थे। उनको मिलने वाली आर्थिक मदद की 2000 रुपये की पहली किश्त उनके खातों में आ गई। खातों में धनराशि आ जाने से गरीब चालकों-परिचालकों के परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्होंने इस मदद को दिलवाने में आम आदमी पार्टी द्वारा की गयी मदद के प्रति आभार जताते हुए आप कार्यालय पहुंचकर पार्टी के उत्तराखंड चुनाव कैंपेन कमटी के अध्यक्ष दीपक बाली का आभार जताया।

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विदित हो कि उत्तराखंड सरकार ने कोविड- काल में कारोबार ठप हो जाने से आर्थिक रूप से परेशान हुए ई-रिक्शा, ट्रक, बस, कार, कैब व टेंपो चालको को छः माह तक प्रति माह दो-दो हजार रुपये देने की घोषणा की थी। सरकार ने घोषणा तो कर दी लेकिन उस घोषणा का लाभ गरीब चालकों-परिचालको को कैसे मिले? बेचारे गरीब व अशिक्षित लोग योजना का लाभ उठाने हेतु रजिस्ट्रेशन कराने कहां जाए? यह संकट खड़ा हो गया। कैफे पर रजिस्ट्रेशन कराने जाएं तो उनसे पैसे मांगे जा रहे थे और एआरटीओ ऑफिस में जाएं तो भीड़ हो जाने से गरीब रिक्शा चालकों की पूरे-पूरे दिन की रोजी रोटी खत्म होने का संकट। ऐसे में गरीबों की मदद के लिए एक बार फिर आप नेता दीपक बाली ही उनकी मदद को आगे आए और उन्होंने अपने कार्यालय में एक साथ तीन काउंटर लगवा कर पूरे शहर में मुनादी कराकर चालकों-परिचालकों के रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही शुरू करा दी।

योजना कीअंतिम तिथि 5 सितंबर तक देखते ही देखते नगर व क्षेत्र के सैकड़ों चालकों-परिचालकों ने अपने रजिस्ट्रेशन करा दिए जिनके बैंक खातों में अब पहली किश्त के रूप में दो-दो हजार रुपये आ गए हैं। खातों में पैसे आते ही रिक्शा चालक सैकड़ों की संख्या में दीपक बाली के कार्यालय पहुंचे और उनका आभार जताया। रिक्शा चालकों ने कहा कि जब हम दर-दर भटक रहे थे तब दूसरे राजनीतिक दल चुपचाप बैठे तमाशा देख रहे थे। उनके आड़े समय में दीपक बाली ही उनकी उम्मीदों की किरण बने। अगर वह मदद न करते और मुनादी न कराते तो उन्हें न तो योजना के बारे में कुछ पता चलता और न ही उनके रजिस्ट्रेशन हो पाते और उन्हें सरकार से कोई मदद न मिल पाती।

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